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राम मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाली शिलाओं का जीवन 1000 साल, भूकंप रोधी बनेगा भवन

विहिप का दावा राम मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पिंक सैंड स्टोन का जीवन है काफी लंबा। मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशी का कार्य हो चुका है 65 फीसद।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 09:56 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 09:56 AM (IST)
राम मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाली शिलाओं का जीवन 1000 साल, भूकंप रोधी बनेगा भवन
राम मंदिर निर्माण में प्रयुक्त होने वाली शिलाओं का जीवन 1000 साल, भूकंप रोधी बनेगा भवन

अयोध्या [रविप्रकाश श्रीवास्तव]। राममंदिर के स्वरूप को लेकर उत्सुकता चरम पर है। यह जानना रोचक है कि राममंदिर में प्रयुक्त होने वाले पिंक सैंड स्टोन का जीवन काफी दीर्घ है। राममंदिर को आकार देने वाली शिलाओं की आयु एक हजार वर्ष से अधिक है। यह दावा विहिप से जुड़े जानकारों की ओर से किया गया, जो कार्यशाला की व्यवस्थाओं से गहराई से जुड़े हैं।

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श्रीरामजन्मभूमि न्यास की ओर से मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर जिले के बंशी पहाड़पुर से विशेष किस्म के पिंक सैंड स्टोर को मंगा कर कार्यशाला में उनकी तराशी कराई गई है। गुलाबी रंग का यह पत्थर दिखने में ही काफी मोहक है। मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशी का कार्य 65 फीसद हो चुका है, लेकिन अभी भी मंदिर की ऊपरी छत और शिखर आदि हिस्सों के लिए पत्थरों की तराशी होना बाकी है। इसके लिए एक लाख घन फीट पत्थरों की और जरूरत है। विहिप से जुड़े जानकारों के मुताबिक चार साल पहले संगठन की ओर से पत्थरों के बारे में अधिक से अधिक तथ्य प्राप्त करने के लिए इनकी लैब टेस्टिंग कराई गई थी, जिसके बाद यह बात सामने आई थी। न्यास कार्यशाला में अब तक एक लाख घन फीट पत्थरों की तराशी हो चुकी है, जबकि इससे अधिक पत्थरों को अभी तराशा जाना है।

क्‍या कहते हैं विहिप मीडिया प्रभारी ?

विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के मुताबिक, राममंदिर निर्माण में प्रयुक्त वाले पत्थरों की आयु को लेकर कुछ साल पहले टेस्टिंग कराई गई थी। यह बात सामने आई थी कि पत्थरों की आयु एक हजार साल है। राममंदिर का निर्माण न्यास के मॉडल के अनुरूप ही होगा।

भूकंप रोधी बनेगा भवन

मंदिर का भवन भव्य होने के साथ ही भूकंपरोधी भी होगा। रामनगरी भूकंप का झटका झेल चुकी है, ऐसे में मंदिर के निर्माण को लेकर जो विचार- विमर्श चल रहे हैं, उनके केंद्र में भूकंप रोधी ढांचा तैयार करना भी है। इसके लिए कुशल इंजीनियरों एवं भू-गर्भ वैज्ञानिकों की भी मदद लेने पर विचार चल रहा है। अधिगृहीत परिसर में स्थित रामचबूतरे से मंदिर की नींव का विस्तार किया जा सकता है।


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