..तो खत्म हो जाएगा यूपीस्टेट एग्रो का वजूद
रामगंज (फैजाबाद) गोसाईंगंज पूर्वी रेलवे क्रासिग के समीप स्थित यूपीस्टेट एग्रो के दफ्तर पर कभ
रामगंज (फैजाबाद) : गोसाईंगंज पूर्वी रेलवे क्रासिग के समीप स्थित यूपीस्टेट एग्रो के दफ्तर पर कभी किसानों का रेला लगता था। खाद-बीज के लिए क्षेत्रीय किसानों की भीड़ सुबह से डेरा जमा लेती थी। केंद्र प्रभारी का फोन पैरोकारी में दिनभर घनघनाता था, लेकिन इधर कई सालों से यहां सन्नाटा पसरा है। कार्यालय व गोदाम में विभाग ने तालाबंदी कर रखी है और अर्से से इसका दरवाजा नहीं खुला। अब गोदाम के बाहर चाय व साइकिल पंचर की दुकानें खुल गई हैं। किसान व क्षेत्रीय लोगों के लिए यह किस्सा मात्र रह गया है, जिससे यूपीस्टेट एग्रो का वजूद खत्म सा हो गया है।
एग्रो केंद्र बंद हो जाने से निजी दुकानदारों की मनमानी बढ़ गई। वे किसानों से मनमाना दाम वसूल करते हैं। सहकारी समितियां पहले अपने सदस्यों को सामग्री वितरित करती है। उसके बाद ही बाहरी किसानों को देती है। एग्रो पर कोई भी व्यक्ति अपनी खतौनी लेकर खाद, बीज खरीद उपलब्ध कराता था। दूसरा बीज गोदाम टंडौली मे खुला है, जिससे किसानों को पांच किलोमीटर दौड़ लगानी पड़ती है। -----------------------
पांच वर्ष से कार्यालय बंद
-एग्रो के मकान मालिक शंकरसुवन सिंह की मानें तो यह दफ्तर सन 1968 में उनके घर में किराए पर खोला गया था, जिसका एक साल का किराया डेढ़ सौ रुपये था, लेकिन इधर करीब पांच वर्षों से दफ्तर नहीं खुला। विभागीय अधिकारी तालाबंदी कर उसकी चाभी अपने साथ ले गए हैं। उन्होंने समय से किराया मिलने की बात कही।
----------------- किसानों का छलका दर्द
-किसान रमेश पांडेय ने कहा कि एग्रो का दफ्तर बंद होने से किसान निजी दुकानों पर ठगे जा रहे हैं। समितियां पहले अपने सदस्यों को आपूर्ति करती हैं जबकि एग्रो सभी किसानों को खाद, बीज छूट पर मिल जाता था। अरविद सिंह ने कहा कि गोसाईंगंज से 15 किलोमीटर की परिधि के किसान यहीं से सामग्री ले जाते थे। अब उन्हें परेशानी हो रही है। वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि विभागीय लापरवाही से अब एग्रो का अस्तित्व खत्म हो गया है।
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