धान की दो प्रजातियां बनीं किसानों की पहली पसंद
नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय धान की पांच प्रजातियों में से एनडीआर 2064 तथा 2065 का कोई जोड़ नहीं। ऐसा दावा विवि के कृषि वैज्ञानिकों का है। इन दोनों की तुलना पूर्वांचल के किसानों की आय बढ़ाने वाली प्रजातियों से करते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता धान की अन्य प्रजातियों के मुकाबले ज्यादा इनमें बताते हैं।
अयोध्या: नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय धान की पांच प्रजातियों में से एनडीआर 2064 तथा 2065 का कोई जोड़ नहीं। ऐसा दावा विवि के कृषि वैज्ञानिकों का है। इन दोनों की तुलना पूर्वांचल के किसानों की आय बढ़ाने वाली प्रजातियों से करते हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अन्य प्रजातियों के मुकाबले ज्यादा है। दाने वजनदार होने से पैदावार अधिक होती है। विश्वविद्यालय के बीज विक्रय केंद्र पर पहली बार किसानों को अनुदान की सुविधा कृषि विभाग ने दी है।
अयोध्या, सुलतानपुर, अमेठी, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर जैसे जिलों के किसानों के लिए इस प्रजाति को कृषि वैज्ञानिक बहुत महत्वपूर्ण बताते हैं। एनडीआर की यह दोनों किस्में पांच वर्ष पूर्व यहां के वैज्ञानिकों ने विकसित की थीं। धान उत्पादकों के लिए यह किसानों की पहली पसंद हैं। 15 जून तक इसकी नर्सरी डाल कर जुलाई के प्रथम सप्ताह में रोपाई की जाती है। अधिकतम 135 दिन में फसल तैयार हो जाती है। बीज विक्रय केंद्र से लगभग एक हजार क्विंटल धान की दोनों प्रजातियों की हो चुकी है। कृषि विवि की एनडीआर 7112, स्वर्णा सब-1 व सांभा सब-1 भी धान की प्रमुख प्रजातियों में शामिल है।
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बोले निदेशक शोध
डीआर गजेंद्र सिंह के अनुसार एनडीआर 2064 वा 2065 धान की प्रजातियां किसानों की पहली पसंद है। ज्यादा उत्पादन से लागत के मुकाबले आमदनी अधिक होती है।