व्यवस्थाएं बदल रहीं हैं लेकिन आदत नहीं
फैजाबाद : जाम के एक नहीं कई कारण हैं। बेइंतहा अतिक्रमण, पार्किंग का अभाव जैसे कारणों
फैजाबाद : जाम के एक नहीं कई कारण हैं। बेइंतहा अतिक्रमण, पार्किंग का अभाव जैसे कारणों से इतर जाम के पीछे सबसे बड़ा कारण सामने आ रहा है, वो है नागरिकों में ट्रैफिक सेंस का अभाव। रास्ता अवरुद्ध होने से बेफिक्र लोग अपने वाहन सड़क के किनारे बेतरतीब ढंग से खड़े कर देते हैं। आम नागरिक ही नहीं नेता और अधिकारी के वाहन भी इस अव्यवस्था को बढ़ाते नजर आते हैं।
शहर के रिकाबगंज चौराहे पर यातायात नियंत्रण की आधुनिक व्यवस्था की गई है। ट्रैफिक लाइट सिग्नल के जरिए यातायात नियंत्रित किया जा रहा है। बावजूद इसके, यहां होमगार्डों की पूरी फौज लगानी पड़ती है, इसलिए कि वाहन चलाने वाले पूरी तरह सिस्टम से चलने के आदी नहीं है। सड़क की बाईं लेन हमेशा इतनी खाली रखकर वाहन चलाना चाहिए कि इमरजेंसी वाहन निकल सकें, लेकिन आगे निकलने की होड़ में क्या मजाल जो इस निर्देश का पालन करता हो। लाल सिग्नल होने के बाद भी मार्ग का बायां हिस्सा इसलिए खाली रखा जाता है, लेकिन यहां पूरी रोड़ पर कब्जा करके लाइट हरी होने का इंतजार किया जाता है। भले पीछे एंबुलेंस फंसी हो अथवा अग्निशमन दल या अन्य कोई इमरजेंसी वाहन। ये हाल जब यातायात नियंत्रण की आधुनिक व्यवस्था वाले चौराहे का है तो उन चौराहों पर जाम नजारा कैसा होता होगा, जहां ट्रैफिक संभालने के लिए चंद होमगार्ड ही तैनात रहते हैं।
शहर में पार्किंग व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए विकास प्राधिकरण व नगर निगम की ओर से समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। व्यवसायिक काम्प्लेक्स भी बिना पार्किंग व्यवस्था कराए धड़ल्ले से चल रहे हैं। जाम में इमरजेंसी वाहनों के फंसने पर यदि न्यायपालिका गंभीर है तो यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए जिम्मेदारों एवं नागरिकों को भी आगे आना चाहिए। तभी पूरी तरह से व्यवस्थित यातायात का सपना साकार हो सकता है।
नगर निगम का काम कर रही ट्रैफिक पुलिस
-यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए शहर में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है। ये काम नगर निगम का है, लेकिन ट्रैफिक पुलिस को इसमें लगा दिया गया है। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस का अपने मूल दायित्व को पूरी तरह से निभा पाना संभव नहीं दिखता है। नगर निगम में सहायक अभियंता ट्रैफिक का पद सृजित हो जाने के बावजूद यातायात व्यवस्था में सुधार की दिशा में कोई प्रयास होता नहीं दिख रहा है। नगर पालिका के अस्तित्व में रहते हुए चौराहों पर ट्रैफिक लाइट लगाने के तैयार प्रस्ताव को जमींदोज कर ही दिया गया।
यातायात पुलिस कर्मियों की संख्या कम
-नगर निगम अयोध्या में ट्रैफिक नियंत्रण के लिए एकमात्र यातायात उप निरीक्षक, एक मुख्य आरक्षी व 19 आरक्षी हैं। इसमें होमगार्ड व पीआरडी की मदद ली जा रही है। ट्रैफिक सिपाहियों की संख्या में भारी कमी है। यहां 50 ट्रैफिक सिपाही व पांच मुख्य आरक्षी होने चाहिए। ट्रैफिक सिपाहियों की ड्यूटी सुबह आठ से रात नौ बजे तक रहती है। ड्यटी दो पालियों में लगनी चाहिए, पर इतने पुलिसकर्मी नहीं है कि इस व्यवस्था को सुचारु रखा जाय। वर्तमान में ट्रैफिक के दबाव को देखा जाए तो चार यातायात उप निरीक्षकों, 20 मुख्य आरक्षियों व 100 आरक्षियों की दरकार है।
Þयातायात के बेहतर संचालन के लिए जनसहयोग आवश्यक है। मौजूदा संसाधनों से यातायात नियंत्रण किया जा रहा है। यातायात नियमों का जनता अच्छे ढंग से अनुपालन करने लगे तो ट्रैफिक संबंधी समस्याएं ही नहीं आएंगी।
-इंद्रजीत ¨सह, उपनिरीक्षक, यातायात