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भव्य मंदिर के साथ चमकेगी रामनगरी की सांस्कृतिक विविधता

जैन मंदिर में पांच करोड़ की लागत से बनेगा इंटरप्रिटेशन सेंटर तथा संग्रहालय

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 07:38 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 07:38 PM (IST)
भव्य मंदिर के साथ चमकेगी रामनगरी की सांस्कृतिक विविधता
भव्य मंदिर के साथ चमकेगी रामनगरी की सांस्कृतिक विविधता

अयोध्या : रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ दिव्य रामनगरी विकसित किए जाने की तैयारी में लगी केंद्र एवं प्रदेश सरकार नगरी की सांस्कृतिक विविधता को भी रोशन करने की तैयारी में है। इसकी शुरुआत प्रथम जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव के रायगंज स्थित मंदिर परिसर में इंटरप्रिटेशन सेंटर (सत्संग एवं शोध केंद्र) तथा संग्रहालय की स्थापना के प्रस्ताव से हुई है। प्रस्तावित योजना पांच करोड़ की लागत वाली है और इसी 18 तारीख तक इस प्रस्ताव की स्वीकृति तय मानी जा रही है। यह कार्य यूपी राजकीय निर्माण निगम की निगरानी में कराया जाएगा। रामनगरी में प्रथम जैन तीर्थंकर का मंदिर और अब उसे शासकीय सहयोग से विकसित किए जाने की योजना महज संयोग नहीं है, बल्कि रामनगरी आदि काल से ही राम भक्तों के साथ जैन मतावलंबियों की भी आस्था के केंद्र में रही है। प्रथम तीर्थंकर का जन्म अयोध्या में ही हुआ था। उनके पिता का नाम नाभि था, जो अयोध्या के राजा थे। कतिपय पौराणिक आख्यानों के आधार पर ऋषभदेव को श्रीराम का भी पूर्वज माना जाता है और श्रीराम का वंश का नाम जिन राजा इक्ष्वाकु के नाम से जाना जाता है, उन इक्ष्वाकु का समीकरण ऋषभदेव से स्थापित किया जाता है। अयोध्या में ऋषभदेव की अनादिकालीन विरासत को नए सिरे से संरक्षित करने का श्रेय जैन आचार्य देशभूषण को है। उन्होंने 1952 में विशाल परिसर में प्रथम तीर्थंकर की 31 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा स्थापित की। उनकी शिष्या एवं जैन मत की शीर्ष साध्वी ज्ञानमती माता के निर्देशन में गत ढाई दशक से यह विरासत समुन्नत की जा रही है।

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पांच तीर्थंकरों के जन्म से गौरवांवित

- जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से पांच का जन्म अयोध्या में ही हुआ। इनमें प्रथम तीर्थंकर के अलावा दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ, तीसरे तीर्थंकर सुमतिनाथ, चौथे तीर्थंकर अभिनंदननाथ तथा चौदहवें तीर्थंकर अनंतनाथ हैं। रामनगरी के विभिन्न मुहल्लों में आज भी इन तीर्थंकरों के प्राचीन चरण चिह्न हैं और जिन स्थलों पर गत कुछ दशक के दौरान नयनाभिराम मंदिर का भी निर्माण कराया गया है। रायगंज स्थित जैन मंदिर के प्रबंधक मनोज जैन बताते हैं कि कटरा स्थित मंदिर में स्थापित तीसरे तीर्थंकर की प्रतिमा की पीठिका पर प्रशस्ति जिस लिपि में उत्कीर्ण है, उसे आज पढ़ा नहीं जा सकता और इससे प्रतिमा की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है।

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18 पंच कल्याणक के साथ शीर्ष पर अयोध्या

- तीर्थंकरों के पंच कल्याणक संस्कार जैन मत में आस्था के नियामक हैं। अयोध्या के अलावा ऐसी कोई भूमि नहीं है, जहां तीर्थंकरों के 18 पंच कल्याणक हुए हों। पंच कल्याणक वस्तुत: तीर्थकरों के पांच प्रमुख संस्कार हैं। मोक्ष तो यहां किसी तीर्थंकर का नहीं हुआ, पर यहां जन्म लेने वाले सभी पांच तीर्थंकरों का गर्भाधान संस्कार भी यहीं हुआ, जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे और चौदहवें तीर्थंकर का तप कल्याणक एवं ज्ञान कल्याणक भी अयोध्या में ही हुआ।

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भव्यता की ओर प्रथम तीर्थंकर का मंदिर

- ऋषभदेव जैन मंदिर का प्रबंधन करने वाली संस्था दिगंबर जैन अयोध्या तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष स्वामी रवींद्रकीर्ति के मार्गदर्शन में प्रथम तीर्थंकर का मंदिर निरंतर भव्यता की ओर अग्रसर है। मंदिर में सभी 24 तीर्थंकरों की प्रतिमा स्थापना के बाद प्रथम तीर्थंकर के सभी 101 प़ुत्रों तथा जैन आगम में वर्णित सभी 30 युगों के 24 तीर्थंकरों की 720 प्रतिमाओं की स्थापना का अभियान इसी साल शुरू होना है।

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बौद्ध, सिख एवं इस्लामिक आस्था की भी संवाहक

- रामनगरी रामभक्तों और जैन मतावलंबियों के साथ बौद्ध, सिख एवं इस्लामिक परंपरा की आस्था से जुड़ी है। यहां हजरत शीश की दरगाह है, जिन्हें हजरत आदम का पुत्र माना जाता है। अन्य अनेक सूफी संतों की दरगाहों से भी रामनगरी की सांस्कृतिक विविधता बयां होती है। प्राचीन बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गौतम बुद्ध ने इस नगरी में 16 वर्षावास के साथ अनेक कालजयी उपदेश दिए। .. तो प्रथम सिख गुरु नानकदेव, नवम गुरु तेगबहादुर एवं दशम गुरु गोविद सिंह के आगमन से अनुप्राणित गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड रामनगरी के प्रति सिख गुरुओं का लगाव परिभाषित करता हे।

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पूरी तत्परता से साकार कर रहे पीएम का स्वप्न : विधायक

- रामनगरी की विकास योजनाओं में मुख्य सलाहकार की भूमिका निभा रहे इलाकाई विधायक वेदप्रकाश गुप्त के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वप्न है कि रामनगरी अपनी सांस्कृतिक गरिमा के अनुरूप पूरी दुनिया में चमके और इस स्वप्न को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस तत्परता का परिचय दे रहे हैं, वह अभूतपूर्व है और उनके इस अभियान में रामनगरी की सांस्कृतिक विविधता को रोशन करना भी निहित है।


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