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एकाकीपन दूर करती हैं पुस्तकें: न्यायमूर्ति सिंह

अयोध्या पुस्तकें व्यक्ति को विद्वान तो बनाती ही हैं साथ ही पुस्तकें मानसिक दबाव को कम करने में सहायक हैं। इनसे एकाकीपन भी दूर होता है। ये एकांत की साथी हैं और कभी धोखा नहीं देतीं। पुस्तकों की हैकिग संभव नहीं है जबकि कंप्यूटर के ज्ञान की हैकिग हो जाती है। पुस्तकों के बिना ज्ञान संभव नहीं है और ज्ञान ही शासन करता हैज्ञान ही सत्ता का संचालन करता है। ये बातें छह दिवसीय 14 वें फैजाबाद पुस्तक मेला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने अपने संबोधन में कहीं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 11:45 PM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 06:09 AM (IST)
एकाकीपन दूर करती हैं पुस्तकें: न्यायमूर्ति सिंह
एकाकीपन दूर करती हैं पुस्तकें: न्यायमूर्ति सिंह

अयोध्या: पुस्तकें व्यक्ति को विद्वान तो बनाती ही हैं साथ ही पुस्तकें

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मानसिक दबाव को कम करने में सहायक हैं। इनसे एकाकीपन भी दूर होता है। ये एकांत की साथी हैं और कभी धोखा नहीं देतीं। पुस्तकों की हैकिग संभव नहीं है, जबकि कंप्यूटर के ज्ञान की हैकिग हो जाती है। पुस्तकों के बिना ज्ञान संभव नहीं है और ज्ञान ही शासन करता है,ज्ञान ही सत्ता का संचालन करता है। ये बातें छह दिवसीय 14 वें फैजाबाद पुस्तक मेला के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने अपने संबोधन में कहीं।

यह मेला नारायण दास खत्री मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। खत्री प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व अधिवक्ता थे। न्यायमूर्ति सिंह ने पुस्तकों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि पुस्तकों का कोई विपरीत प्रभाव कभी किसी चिकित्साशास्त्र में नहीं वर्णित है, जबकि आज कंप्यूटर और टीवी के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं।

पुस्तकों को पढ़ने से सकारात्मक प्रवृत्ति और विचार विकसित होते हैं। ये कभी धोखा नहीं देती हैं। जैसे वृक्ष विकसित हो जाने के बाद केवल देते हैं, कुछ लेते नहीं वैसे ही पुस्तकें भी हैं। यह केवल देती हैं। इन्हें कोई पीड़ा दीजिए यह शिकायत नहीं करतीं।

न्यायमूर्ति सिंह ने विभिन्न देशों में प्रति व्यक्ति पुस्तकों की उपलब्धता का ब्यौरा देकर उनके आविष्कार और शोध में महत्व को भी समझाया और कहा इस मामले में भी भारत बहुत पीछे है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि का स्वागत पुप्ष गुच्छ देकर ट्रस्ट के सदस्य निरंकार सिंह ने किया। ट्रस्ट की बीना खत्री ने उन्हें स्मृति चिह्न और पुस्तकें भेंट कीं।

राकेश केसरवानी ने नगर विधायक वेद प्रकाश गुप्ता को स्मृति चिह्न प्रदान किया। अपने संबोधन के दौरान मुख्य अतिथि ने अपनी पुस्तक मंचासीन पूर्व सांसद निर्मल खत्री को भेंट की। चित्रकार खलीक अहमद ने अयोध्या का चित्र मुख्य अतिथि को भेंट किया। मुख्य अतिथि ने ट्रस्ट की ओर से नवोदित बाल रचनाकारों की पत्रिका नई कलम के चौथे अंक भी विमोचन किया।

स्वागत और आभार ज्ञापन मेला की संयोजिका रीता खत्री ने तथा संचालन नमिता मेहरोत्रा ने किया। इस अवसर पर मंच पर वरिष्ठ अधिवक्ता माणिक चंद सिन्हा और साहित्यकार यतींद्र मिश्र भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पूर्व विधायक माधव प्रसाद, साकेत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ.वीएन अरोरा व डॉ. सीताराम अग्रवाल, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. प्रणय कुमार त्रिपाठी, नगर पालिका फैजाबाद के पूर्व अध्यक्ष विजय गुप्ता, केके सिन्हा, उपेंद्र सिंह लल्लू, बाबाबख्श सिंह, संजय महेंद्रा, सुप्रीत कपूर, सूर्यकांत पांडेय, राजेंद्र प्रताप सिंह, सुनील पाठक, उमेश उपाध्याय, आलोक तिवारी सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे। कौशल से हुआ विधि संहिता का उदभव

महिलाओं के वैदुष्य के संदर्भ में बाल्मीकि रामायण के अरण्य कांड के

दंडकारण्य प्रसंग में सीता राम के एक संवाद का उद्धरण दे कर न्यायामूर्ति सिंह ने कहा कि विधि संहिता का उछ्वव भी कौशल से हुआ है। उन्होंने इस प्रसंग पर चर्चा के क्रम में कहा कि राक्षसों के संहार पर सीता माता ने आपत्ति जताते हुआ कहा कि अपराध तीन ही प्रकार के हैं झूठ बोलना, पर स्त्री या पर पुरुष गमन तथा अकारण किसी को दंड देना। आप यह बताएं कि यह तीसरे प्रकार का अपराध क्यों कर रहे हैं, तमाम राक्षसों को अकारण मार रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि विधि संहिता आठ नौ हजार साल पहले यहीं से प्रारंभ होती है। अनैतिक संबंधों पर दंड विधान का समापन उचित नहीं

न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने अनैतिक संबंधों पर देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले पर कहा कि आठ नौ हजार साल पहले से चली आ रही एक व्यवस्था को समाप्त करने के पीछे पाश्चात्य मानसिकता है। रामायणकाल से ही यह दंडनीय अपराध रहा है और इसके लिए मृत्युदंड का विधान रहा है। उन्होंने मंचासीन नगर विधायक की तरफ इशारा कर कहा कि विधायिका भी इस पर चुप्पी साधे हुए है। इस पर संसद में कानून बनना चाहिए। इस व्यवस्था में तो कालांतर में भारत जंगल में बदल जाएगा।

पुरस्कृत हुए मेधावी

अयोध्या: नारायण दास खत्री मेमोरियल ट्रस्ट की ओर से प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी मेधावी विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इस मौकेपर नारायण दास खत्री स्मृति छात्रवृत्ति हाईस्कूल की यूपी बोर्ड की परीक्षा में जिले में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी रामचंद्र सिंह इंटर कालेज के वसु सिंह को प्रदान की गई। कनौसा कान्वेंट इंटर कालेज की विद्यार्थी साक्षी जायसवाल को यूपी बोर्ड की परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए बिमला खत्री स्मृति छात्रवृत्ति प्रदान की गई। केंद्रीय विद्यालय के छात्र सुयश पांडेय को दसवीं की परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए रमेश नारायण बर्मन स्मृति छात्रवृत्ति प्रदान की गई।

बालिका वर्ग में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाली छात्रा नैमिषा वर्मा को कुसुम बर्मन छात्रवृत्ति प्रदान की गई। राजकीय कन्या इंटर कालेज की छात्रा कीर्ति और आर्य कन्या इंटर कालेज की छात्रा दिव्या पांडेय को डॉ.भोलानाथ धवन स्मृति छात्रवृत्ति तथा महाराजा इंटर कालेज की श्रेया मिश्रा तथा एसएसवी इंटर कालेज के छात्र वैभव श्रीवास्तव को राकेश चंद्र कपूर छात्रवृत्ति प्रदान की गई।


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