रामनगरी में तड़के से भोले के भक्तों की हिलोर उठी
अयोध्या रामनगरी में तड़के से भोले के भक्तों की हिलोर उठी। न केवल कांवड़िए बल्कि साधारण शिवभक्त पौ फटने के पूर्व पुण्यसलिला सरयू की ओर उन्मुख हुए। संत तुलसीदासघाट लक्ष्मणघाट सहित कई अन्य घाटों पर सरयू स्नान का सिलसिला पूर्वाह्न तक चला और सरयू स्नान के बाद श्रद्धालु अनिवार्य रूप से पौराणिक महत्व की पीठ नागेश्वरनाथ की ओर बढ़े। श्रद्धालुओं का गहन प्रवाह नियंत्रित करना प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस के जवानों की घंटों परीक्षा लेता रहा।
अयोध्या : रामनगरी में तड़के से भोले के भक्तों की हिलोर उठी। न केवल कांवड़िए बल्कि साधारण शिवभक्त पौ फटने के पूर्व पुण्यसलिला सरयू की ओर उन्मुख हुए। संत तुलसीदासघाट, लक्ष्मणघाट सहित कई अन्य घाटों पर सरयू स्नान का सिलसिला पूर्वाह्न तक चला और सरयू स्नान के बाद श्रद्धालु अनिवार्य रूप से पौराणिक महत्व की पीठ नागेश्वरनाथ की ओर बढ़े। श्रद्धालुओं का गहन प्रवाह नियंत्रित करना प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस के जवानों की घंटों परीक्षा लेता रहा।
भीड़ के दबाव का सामना करते भक्त किसी तरह बाबा के सम्मुख पहुंचकर दूध अथवा सरयू जल से अभिषेक कर रहे थे। अगले पल उन्हें निकासद्वार की ओर बढ़ने को विवश होना पड़ रहा था। आसपास के जिलों की श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में यदि नागेशवरनाथ मंदिर था तो एक अन्य पौराणिक पीठ क्षीरेश्वरनाथ स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में थी। यहां भी तड़के से भक्तों का तांता लगा। दिन ढलते ही अभिषेक का सिलसिला थमा और बाबा को भांति-भांति के फूलों एवं पुष्पलड़ियों से सज्जित किया गया। इसी के साथ ही बाबा की शोभा शिरोधार्य करने के लिए भक्तों की नई पांत उमड़ी। संध्या आरती के साथ बाबा के प्रति आस्था का वैभव चरम पर दिखा। देर रात प्रसाद वितरण का दौर चला। शयन आरती के साथ भोले के मंदिरों का पट बंद हुआ पर तब तक श्रद्धालु उनकी आभा-प्रभा अपने मानस पटल पर पूरी तरह से सहेज चुके थे। गुप्तारघाट स्थित पंचमुखी मंदिर पर भी तड़के से अभिषेक करने वालोकं का तांता लगा। सायं बाबा की नयनाभिराम झांकी सजी।
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भारत बने विश्वगुरु
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प लेकर 2014 से ही अनुष्ठानरत पं. कल्किराम ने सावन के सोमवार की पवित्र बेला से इस अनुष्ठान को नए सिरे से विस्तार दिया। उन्होंने बताया कि महानुष्ठान की पूर्णाहुति तक प्रत्येक सोमवार को मौन उपवास एवं भारत के प्रतिष्ठित 108 शिवालयों पर 108 श्रीविष्णु महायज्ञXह्नह्वश्रह्ल;का आयोजन किया जाएगा। प्रस्तावित महानुष्ठान की सफलता के लिए अमोघ पंचाक्षरी महामंत्र का जप गुप्त रूप से किया जा रहा है। ---------------------- एकता-अखंडता का सूत्र भोले की भक्ति : रामदास
- नाका हनुमानगढ़ी परिसर स्थित भास्करनाथ महादेव मंदिर पर भक्तों का तांता लगा। तड़के चार बजे से दोपहर 12 बजे तक बाबा के अभिषेक का अटूट क्रम बना रहा। भक्तों ने शिवजी को बिल्व पत्र, सरयू जल, दूध आदि अर्पित किए। सायं भोले बाबा का भव्य श्रृंगार किया गया। भक्तों की व्यवस्था में पीठाधिपति महंत रामदास, रामनेवाजदास, विनयकुमार पांडेय, अनिलकुमार पांडेय, पुजारी प्रेमकुमार शुक्ल, अभिलाष शुक्ल, अभिषेक शुक्ल, अजयकुमार तिवारी आदि सक्रिय रहे। महंत रामदास ने कहा, भोले की उपासना वैश्विक और ब्रह्मांडगत एकता-अखंडता का सूत्र देती है। -------------------- लवकुश मंदिर में बिखरी आस्था की इंद्रधनुषी छटा
-रामलला के दर्शन मार्ग पर स्थित लवकुश मंदिर में आस्था की इंद्रधनुषी छटा बिखरी। मंदिर के केंद्रीय गर्भगृह में भगवान राम एवं सीता, दाहिनी ओर मां बगलामुखी एवं बाईं ओर द्वादश ज्योतिर्लिंग के साथ स्फटिक के ज्योतिर्लिंग का विग्रह सामान्य दिनों में दर्शनार्थियों के लिए लुभावन होता है पर सावन के सोमवार की छटा निराली थी। इस मौके पर आस्था का केंद्र बना भोले बाबा का गर्भगृह। भोर से सिद्धार्थनगर के कृष्णकुमार जयपुरिया, गोरखपुर के विजय श्रीवास्तव एवं देशबंधु, मुरादाबाद के कमलकुमार गुप्त, कानपुर के जय सिंह, संतकबीरनगर की मंजूदेवी आदि सहित दूर-दराज के श्रद्धालु अभिषेक के लिए बाबा के दरबार में प्रस्तुत थे। शुरुआत तीन क्विटल दूध-दही एवं सरयू जल से बाबा के विग्रह के सहस्त्रधारा स्नान से हुई।
तदुपरांत आचार्य द्विजेंद्रनारायण एवं कई अन्य वैदिक आचार्यों के मार्गदर्शन में बाबा के अभिषेक का क्रम शुरू हुई। पूरी तन्मयता से अनुष्ठान संयोजन में जुटे महंत रामकेवलदास के अनुसार मास शिवरात्रि की पूर्व बेला में अगले सोमवार तक भोले की भक्ति का उल्लास कई गुना बढ़ जाएगा और यह परि²श्य यजमानों सहित संपूर्ण समाज के लिए मंगलकारी होगा।