राम जन्मभूमि या किसी की भी जन्मभूमि में अदला-बदली नहीं
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आज दोपहर में मणिरामदास जी की छावनी में हुई संतों की बैठक।
अयोध्या, जेएनएन। विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने सोमवार को मणिरामदास जी की छावनी में संतों की बैठक को संबोधित करते हुए आश्वस्त किया, मंदिर निर्माण के लिए अब और प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। उन्होंने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मध्यस्थता से हल करने के प्रयासों की ओर इशारा करते हुए कहा, रामजन्मभूमि या किसी की भी जन्मभूमि की अदला-बदली नहीं हो सकती। यदि दूसरा पक्ष कोई मस्जिद चाहता है, तो वह ऐसी जगह बने, जिसके चलते पीढ़ी दर पीढ़ी विवाद का कारण न बने।
आस्था के विरूद्ध जाकर समझौता संभव नहीं
मणिरामदास जी की छावनी में राममंदिर के लिए आयोजित संतों की बैठक को संबोधित करने वालों में अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती भी रहे। उन्होंने राममंदिर के लिए सुलह के प्रयासों के प्रति सजग करते हुए कहा, रामलला जहां विराजमान हैं, वह उनकी जन्मभूमि है। इस पर कोई भी समझौता आस्था विरुद्ध जाकर संभव नहीं है। संत समिति के महामंत्री ने यह भी एलान किया कि समझौता के नाम पर अयोध्या की सांस्कृतिक सीमा में कोई भी मस्जिद नहीं स्वीकार की जाएगी और बाबरी नाम की मस्जिद देश में तो कहीं भी नहीं स्वीकार्य होगी।
विहिप की कोई दावेदारी नहीं होगी
अपने उद्बोधन में उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर-मस्जिद विवाद के समाधान के लिए गठित मध्यस्थता पैनल की भूमिका पक्षकारों का पक्ष जानकर सुप्रीमकोर्ट को राय देने तक है, फैसला तो कोर्ट को ही देना है। इस बीच विहिप उपाध्यक्ष ने राममंदिर पर दावेदारी को लेकर सफाई भी दी। कहा, राममंदिर बनने पर विहिप की ओर से कोई पुजारी नहीं होगा, न ही मंदिर की भूमि पर उसका कोई दावा होगा। उस जमीन के मालिक तो भगवान राम ही होंगे और विहिप की भूमिका सिर्फ मंदिर की लड़ाई लडऩे तक है। इससे पूर्व संतों के उद्बोधन से राममंदिर निर्माण के प्रति बेसब्री बयां हुई और संतों की इच्छा प्रधानमंत्री से भेंट कर उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत कराने की है। बैठक की अध्यक्षता रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने की।
15 जून को संत भरेंगे हुंकार
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष मणिरामदास जी की छावनी के महंत नृत्य गोपाल दास के सात दिवसीय जन्मोत्सव समारोह के समापन अवसर पर 15 जून को संत मंदिर निर्माण के लिए हुंकार भरेंगे। हालांकि, इस दिन आयोजित होने वाली धर्म संसद से पहले सोमवार को संतों की बैठक के दौरान महंत नृत्य गोपाल दास ने भरोसा जताया कि इस सरकार में राममंदिर का निर्माण सुनिश्चित होगा।
नृत्यगोपालदास को मोदी पर भरोसा
रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने मंदिर निर्माण के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया। कहा, हमें पूरा विश्वास है कि यह सरकार हिंदू समाज के इस चिर स्वप्न को पूरा करेगी। वे अपने आश्रम मणिरामदास जी की छावनी में आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। संचालन महंत कन्हैयादास ने किया। बैठक में रामकुंज के महंत रामानंददास, खाक चौक के महंत बृजमोहनदास, बड़ा भक्तमाल मंदिर के महंत अवधेशदास, खाकी अखाड़ा के महंत सुशीलदास आदि भी मौजूद रहे।
निर्मोही अखाड़ा की दावेदारी को बल
संतों की बैठक के दौरान राममंदिर पर निर्मोही अखाड़ा की दावेदारी को बल मिला। विहिप उपाध्यक्ष चंपत राय ने मंदिर मामले में रामचंद्रदास परमहंस की गवाही का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि निर्मोही अखाड़ा के संतों ने 350 वर्षों तक रामलला की सेवा-पूजा की।
संतों की बैठक में ये रहें उपस्थित
देर शाम तक चली बैठक में अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य जितेंद्र, रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य एवं पूर्व सांसद डॉ. राम विलास दास वेदांती, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास, रंगमहल के महंत रामशरण दास, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास, दंतधावनकुंड के महंत नारायणाचारी, उदासीन ऋषि आश्रम के महंत डॉ. भरत दास, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास, तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति त्रिपाठी, वशिष्ठभवन के महंत डॉ. राघवेशदास, गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंंह, दशरथगद्दी के महंत बृजमोहन दास, रघुवंश संकल्प सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष दिलीप दास त्यागी, गोलाघाट के महंत सियाकिशोरीशरण, शत्रुघ्ननिवास के महंत पवन दास शास्त्री सहित विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय, अंतरराष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश चंद्र आदि ने विचार रखे। इस मौके पर महंत सत्येंद्र दास, आचार्य वरुण दास, अंतर्राष्ट्रीय संगठनमंत्री दिनेशचंद्र, केंद्रीय सलाहकार पुरुषोत्तम नारायण ङ्क्षसह, रामलला के सखा त्रिलोकीनाथ पांडेय, विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा, चरनजीत सिंंह आदि मौजूद रहे।
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