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रामलीला की प्रस्तुति मात्र नाट्य ही नहीं श्रीराम के प्रति समर्पण का सूत्र

प्रस्तुति के लिए रामनगरी पहुंचे कलाकारों के रुझान से परिभाषित हो रही यह सचाई.भरा-पूरा कारोबार छोड़ रामलीला के हुए निर्देशक प्रवेश कुमार तो अनिता एवं लवकेश जैसे कलाकारों के लिए रामलीला किसी जिदगी से कम नहीं.

By JagranEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 12:43 AM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 12:43 AM (IST)
रामलीला की प्रस्तुति मात्र नाट्य ही नहीं श्रीराम के प्रति समर्पण का सूत्र

अयोध्या: रामलीला की प्रस्तुति मात्र नाट्य ही नहीं श्रीराम के प्रति समर्पण का सूत्र भी है। यह सच्चाई उन सितारों से परिभाषित होती है, जो पुण्यसलिला सरयू के तट पर स्थित लक्ष्मणकिला परिसर में शनिवार से ही प्रस्तावित नौ दिवसीय रामलीला की प्रस्तुति के लिए दिल्ली से आये हैं। मिसाल के तौर पर रामलीला के निर्देशक प्रवेशकुमार ही हैं। दिल्ली में उनके परिवार का भरा-पूरा कारोबार है, पर रामलीला की प्रस्तुति में ऐसी लगन लगी कि कारोबार पीछे छूट गया और वे लीला के तथा लीला उनकी हो गयी। छात्र जीवन से ही अभिनय की ओर उन्मुख हुए प्रवेश को अनेक विज्ञापन और सीरियल में छिटपुट काम का अवसर मिला, पर उनकी कला रामलीला के मुकाम तक पहुंचते-पहुंचते साधना बन गई। चाहे वह दिल्ली की प्रतिष्ठित पंजाबी बाग की रामलीला हो या डेरा वाला की। प्रवेश ने हर मंच पर अपनी छाप छोड़ी। कभी लक्ष्मण, कभी भरत, कभी दशरथ, कभी मेघनाद, तो कभी रावण की भूमिका में। अयोध्या की रामलीला में भी वे दशरथ की भूमिका निभाएंगे, पर उनका असली काम रामलीला का निर्देशन है। यह गुण उनको संभवत: जन्मजात मिला है। बात डेढ़ दशक पुरानी है। अभिनय के दौरान उन्होंने साथी कलाकार को कुछ सुझाव दिये और उनकी यह कोशिश निर्देशक को चुभ गयी। उसने ताना मारा यदि साथी कलाकारों को सुझाव देने का इतना ही शौक है, तो स्वयं निर्देशन क्यों नहीं कर लेते। प्रवेश ने इस ताने को चुनौती के रूप में लिया और देखते-देखते लीला के निर्देशक बन गए। आज रामलीला के निर्देशक के तौर पर वे दिल्ली के सबसे बड़े नाम हैं। दिल्ली से बाहर भोपाल, वृंदावन और अमरोहा की प्रतिष्ठित रामलीला का भी निर्देशन कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। अपने काम के संदर्भ में प्रवेश कहते हैं, वह स्वयं को डायरेक्टर नहीं मानते, असली निर्देशक तो रामजी हैं और मैं उनका प्रतिनिधि बनकर उनके मूल्यों और आदर्शों का अनुसरण करता हुआ अपना काम करता हूं। मूलत: दिल्ली की ही अनिता मक्कड़ को स्कूल के समय से ही नृत्य और नाट्य में रुचि जगी। यह रुचि जब रामलीला से जुड़ी, तो नृत्य-नाट्य उनके जीवन की दिशा तय करने लगा। 19 वर्ष पूर्व उन्होंने दिल्ली के अशोक विहार में होने वाली रामलीला में केकई का किरदार निभाने का अवसर मिला। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे कुछ ही वर्षों में केकई, कौशल्या, सूर्पनखा, मंदोदरी की भूमिका की पर्याय बन गयीं। अब अयोध्या की रामलीला में वे मंथरा की भूमिका के लिए तैयार हैं। एक कलाकार के तौर पर वे इस भूमिका को चुनौतीपूर्ण मान रही हैं और इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं। गत दिनों में मुंबई में आयोजित इंटरनेशनल रामायण शो में वाहवाही लूटकर आयीं अनिता अयोध्या की रामलीला में भी अपनी भूमिका को यादगार बनाने को तैयार हैं।

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मूलत: राजस्थान के लवकेश धालीवाल का बचपन में ही पिता के साथ दिल्ली आ गये और संस्कारों में रचा-बसा अभिनय दिल्ली आर्ट थिएटर और मुंबई में अभिनय के कोर्स के दौरान पूरी तरह से निखर उठा। अयोध्या की रामलीला में लक्ष्मण की भूमिका निभाने को तैयार लवकेश अभिनय में महारत हासिल करने के साथ डांस कोरियोग्राफर भी हैं। लक्ष्मण की भूमिका के लिए अयोध्या स्थित लक्ष्मणकिला में आने को वे अपने लिए दिव्य-दैवी संयोग मानते हैं।

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अयोध्या से होगा अभिनय का आगाज

- मंझे अभिनेताओं के बीच शत्रुघ्न की भूमिका के लिए चयनित दिल्ली के परविदर सिंह की पृष्ठभूमि कुछ हटके है। उनके परिवार का दिल्ली में कई स्कूल है और वे स्कूल संचालन में ही परिवार के साथ हाथ बंटाते हैं। उनके पिता मुखिया गूजर स्थापित भाजपा नेता होने के साथ दिल्ली से ही लगे दलपुरा गांव की रामलीला में दशकों से कुंभकर्ण की भूमिका निभाते आ रहे हैं। अयोध्या की रामलीला के रिहर्सल के दौरान पिता के साथ ही उनकी भेंट रामलीला के निर्देशक प्रवेशकुमार से हुई। आकर्षक कद-काठी और प्रवाहमय शारीरिक भाव-भंगिमा देख निर्देशक ने उनसे शत्रुघ्न की भूमिका निभाने को कहा। परविदर ने यह प्रस्ताव अवसर की तरह स्वीकार किया और दो माह के रिहर्सल के बाद अब वे स्वयं को शत्रुघ्न की भूमिका के लिए पूरी तरह सक्षम पाकर उत्साहित हैं।

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रामकथा के प्रतिनिधि अनेक ग्रंथों का समन्वय

- अयोध्या की रामलीला के लिए आयोजक सुभाष मलिक बॉबी एवं निर्देशक प्रवेशकुमार बॉलीवुड के साथ पूरे देश से प्रतिभाओं को चुन कर लाये हैं। इसकी तस्दीक दिनेश शर्मा से होती है। दिनेश शर्मा रामलीला के स्क्रिप्ट डायरेक्टर हैं और यह काम उन्होंने मध्यप्रदेश स्थित अपने पैतृक अशोकनगर की रामलीला से सीखा है। रामलीला में सामान्य तौर पर रामचरितमानस की चौपाइयों के अनुरूप प्रसंग का विस्तार होता है, पर अशोकनगर और आस-पास के अंचल में प्रसंग विस्तार के लिए मानस के अलावा रामकथा के प्रतिनिधि ग्रंथ केशवदास कृत रामचंद्रिका और गोस्वामी तुलसीदास की ही रचना कवितावली एवं गीतावली का भी समावेश होता है। दिनेश शर्मा इस समन्वय के आचार्य हैं। मिसाल के तौर पर वे बताते हैं, रावण-बाणासुर संवाद का रामचंद्रिका में मनोरम विवरण है, तो राम-केवट संवाद के मंचन में वे कवितावली और राधेश्याम रामायण को आधार बनाते हैं।

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महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष निभाएंगी त्रिजटा की भूमिका

- गाजियाबाद भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष रेनू विसेंट ने एक्टिग के बारे में कभी सोचा नहीं था, पर ऑडीशन में वे त्रिजटा की भूमिका के लिए आम राय से चुनी गईं और रिहर्सल के बाद वे न केवल त्रिजटा के अभिनय के लिए तैयार हैं, बल्कि इस बहाने रामनगरी आकर स्वयं को बेहद भाग्यशाली समझ रही हैं।

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छोटे से कॅरियर में मिली श्रीराम की अहम भूमिका

- श्रीराम की भूमिका के लिए चयनित सोनू डागर के कॅरियर की शुरुआत पांच साल पूर्व हुई। तब वे बीए के छात्र थे और कनाट प्लेस में एक्टिग के कोर्स के प्रचार से प्रेरित हो छह माह का कोर्स किया। इसके बाद दिल्ली में ही थिएटर ज्वॉइन किया। हापुड़ के बीबीनगर निवासी इस युवा को जल्दी ही काम मिलने लगा। मॉडलिग और विज्ञापन के क्षेत्र में स्थापित होने के साथ सोनू ने सोनी इंटरटेनमेंट पर प्रसारित 'विघ्नहर्ता गणेश' में चंद्रदेव की भूमिका और स्टार भारत पर प्रसारित 'जय कन्हैयालाल की' में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। आठ हजार लोगों का ऑडीशन लिए जाने के बाद श्रीराम की भूमिका लिए चयनित होना कितना चुनातीपूर्ण है, इसके जवाब में सोनू कहते हैं कि दो-तीन माह से प्रवेश सर के निर्देशन में रिहर्सल चला है। 370 पेज की स्क्रिप्ट आत्मसात की है और अब इन तैयारियों को मंच पर प्रस्तुत करने की बारी है।

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हरियाणवी फिल्मों से लेकर सीता की भूमिका तक

- उत्तराखंड के रुद्रपुर की निवासी कविता जोशी हरियाणवी फिल्मों की अभिनेत्री हैं। चर्चित सीरियल 'क्राइम पेट्रोल' से भी वे अपनी पहचान बना चुकी हैं। ऑडीशन में सीता की भूमिका के लिए चयनित होने से पूर्व उन्होंने सोचा भी नहीं था कि अयोध्या में वे रामलीला करेंगी, वह भी सीता की भूमिका में।

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युवा तेवतिया ने किया कलाकारों का चयन

- मेगा इवेंट के रूप में प्रस्तुत अयोध्या की रामलीला के चुनिदा सूत्रधारों में युवा मनीष तेवतिया भी शामिल हैं। कलाकारों के चयन में उनकी भूमिका अहम रही है और रामलीला की शुरू होने की पूर्व बेला तक उनका चयन सार्थक-सटीक साबित हो रहा है और इसके लिए उन्हें सहयोगियों से प्रशंसा भी मिलने लगी है।


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