..और अपना लिया कागज का थैला
फैजाबाद : एक पखवारा भी नहीं बीता और यहां पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध का असर जनसामान्य पर तारी
फैजाबाद : एक पखवारा भी नहीं बीता और यहां पॉलीथिन बैग पर प्रतिबंध का असर जनसामान्य पर तारी होने लगा है। ड्राईक्लीनर हो या फल विक्रेता! पॉलीथिन की जगह कागज का थैला अपना रहे हैं। इससे कागज उद्योग को पंख लगने के आसार हैं।
बुधवार को शहर में चौक से रिकाबगंज के बीच 'जागरण' ने नजर डाली तो कई दुकानों पर तस्वीर बदली नजर आई। हट्ठी महरानी मंदिर के पास कपड़ा ड्राईक्लीन करने वाले रवि न केवल धुले कपड़े कागज के लिफाफे में पैक करते मिले, बल्कि उन्होंने दुकान पर बाकायदा स्लोगन भी लिखा दिया है कि'कृपया पॉलीथिन का प्रयोग न करें'। वे कहते हैं कि कानून का पालन करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। नियावां चौराहे पर फल का ठेला लगाने वाले मनोज का कहना है कि पॉलीथिन के पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने की जानकारी ज्यों-ज्यों लोगों तक पहुंच रही है, वे जागरूक हो रहे हैं। कपड़े या जूट का थैला लेकर आ रहे हैं। उन्होंने पॉलीथिन ब ग पर प्रतिबंध के बाद बड़े आकार का कागज का लिफाफा खरीद लिया है और उसी में फल पैक करके ग्राहक को देते हैं। ऐसी तस्वीर कई और दुकानों पर भी दिखी।
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Þ पॉलीथिन पर्यावरण के साथ सेहत के लिए भी हानिकारक है। इसलिए हर किसी को कानून के भय की जगह खुद एवं अपने सगे-संबंधियों की सेहत की रक्षा के लिए पॉलीथिन से परहेज करना चाहिए। कपड़ा, कागज का थैला, स्टील का डिब्बा, पेयपदार्थ के लिए कांच एवं स्टील के बोतल आदि बेहतर विकल्प हैं।
-डॉ. आशीष श्रीवास्तव, अस्थिरोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल ---------------------
Þजनस्वास्थ्य एवं पर्यावरण संरक्षण के मद्देजनर न्यायालय के आदेश पर सरकार ने पॉलीथिन के इस्तेमाल पर बैन लगाया है। यह स्वागतयोग्य है। इस कानून का जनहित में हर किसी को पालन करना चाहिए। विकल्प के रूप में जेब में पतले कपड़े का झोला लेकर चलना ज्यादा उपयुक्त है।
-दिनेश मिश्र बब्बू, सामाजिक कार्यकर्ता