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स्कूल न पहुंचने वाले बच्चों का ऑनलाइन ही सहारा

इस वक्त भी ऑनलाइन क्लास का उतना ही महत्व है जितना चार माह पहले था। कई बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते। उन्हें इसी माध्यम से जोड़कर शिक्षा देने का प्रबंध स्कूल कर रहे हैं। अभिभावकों की सहमति पत्र के बाद क्लास में बच्चों को बैठाया जाना यह बहुत अहम है.

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 10:35 PM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 10:35 PM (IST)
स्कूल न पहुंचने वाले बच्चों का ऑनलाइन ही सहारा
स्कूल न पहुंचने वाले बच्चों का ऑनलाइन ही सहारा

अयोध्या: इस वक्त भी ऑनलाइन क्लास का उतना ही महत्व है, जितना चार माह पहले था। कई बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते। उन्हें इसी माध्यम से जोड़कर शिक्षा देने का प्रबंध स्कूल कर रहे हैं। अभिभावकों की सहमति पत्र के बाद क्लास में बच्चों को बैठाया जाना यह बहुत अहम है। ई एजुकेशन से अभिभावक, शिक्षक व छात्र अनभिज्ञ थे, लेकिन लगातार संवाद से इस समस्या को दूर किया जा सका । इस समय यह पद्धति लोकप्रिय हो गई है। कोचिग क्लास तो ऑनलाइन ही चल रही है। बड़ी-बड़ी कोचिग क्लास का ऑनलाइन ही सहारा है, अभी सरकार ने कोचिग शुरू करने की अनुमति नहीं दी। ऑनलाइन ही बच्चे पढ़ रहे हैं। ऑनलाइन क्लास कोरोना से बच्चों की सुरक्षा कर रहा है। पठन पाठन को गति प्रदान करने वाला है। इस विधा में थोड़ी समस्या जरूर है, लेकिन अभिभावक मदद को आगे आ रहे हैं। हो सके तो मोबाइल के अतिरिक्त लैपटॉप मुहैया कराएं तो समुचित तरीके से पढ़ाई हो सकेगी। क्लास के अतिरिक्त सुबह बच्चों को टहलना और खेलकूद में प्रतिभाग कराना चाहिए।

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जय सिंह, निदेशक-वेक्टर क्लासेज कौशलपुरी फैजाबाद। विद्यार्थी की बात

अयोध्या: लॉकडाउन ने पढ़ाई को लेकर चिता पैदा कर दी थी लेकिन ऑनलाइन पद्धति से शिक्षण कार्य शुरू हो सका। आज इसी में भविष्य दिख रहा है। इसे तकनीकी रूप से और अपडेट करना होगा, जिससे क्लास रूम जैसा वातावरण मिल सके। बिना अवरोध के पढ़ाई हो सके। मोबाइल पर अधिक पढ़ाई से सिरदर्द व आंख में जलन जैसी समस्याएं आती हैं।

पूर्वी दुबे, कक्ष-दस, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल फैजाबाद। अभिभावक की राय

अयोध्या: पहले छुट्टी के दिनों में बच्चे खेलकूद में इतना व्यस्त रहते थे कि अभिभावकों की सुनते नहीं थे। कोरोना की दस्तक के बाद बच्चों को नियंत्रित करने व इन्हें पढ़ाई में एकाग्र करने की बड़ी समस्या थी, लेकिन इसका समाधान ऑनलाइन पद्धति ने दिया। अब बच्चे सुबह समय से पूर्व ही मोबाइल लेकर बैठ जाते हैं। स्कूल चल रहा है पर बच्चों को भेजने को लेकर भय है।

डॉ.राजेश कुशवाहा, डॉ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय।


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