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आस्था के ज्वार बिन सूना रामनगरी का सावन

रामनगरी में सावन की शान निराली रही है। सावन की बरसा-बहार यूं भी मनोहारी होती है और रामनगरी में आस्था के ज्वार से मिलकर इसकी रौनक यादगार बन जाती है पर इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए रामनगरी में श्रद्धालुओं का आगमन निषिद्ध कर दिया गया है। ऐसे में रामनगरी का सावन सूना साबित हो रहा है.

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 12:58 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:06 AM (IST)
आस्था के ज्वार बिन सूना रामनगरी का सावन
आस्था के ज्वार बिन सूना रामनगरी का सावन

अयोध्या : रामनगरी में सावन की शान निराली रही है। सावन की बरसा-बहार यूं भी मनोहारी होती है और रामनगरी में आस्था के ज्वार से मिलकर इसकी रौनक यादगार बन जाती है, पर इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए रामनगरी में श्रद्धालुओं का आगमन निषिद्ध कर दिया गया है। ऐसे में रामनगरी का सावन सूना साबित हो रहा है। सावन का आगाज ही सोमवार से हुआ। कोई और मौका होता, तो यह संयोग आस्था के शिखर का स्पर्श करता, पर कोरोना से संक्रमित रामनगरी का सावन स्वयं में सिमट कर रह गया है। कांवड़िए थे न साधारण शिवभक्त। जिस पुण्यसलिला सरयू में प्रत्येक वर्ष सावन के साथ आस्था की हिलोर उठती रही है, उसके घाट सूने थे और सरयू की ओर जाने वाले घाटों पर पुलिस का सख्त पहरा था। कोराना से मुकाबिल श्रद्धालु अव्वल घर से ही निकलने में संकोच कर रहे हैं और जो हिम्मत कर निकले, उन्हें पुलिस ने रामनगरी तक पहुंचने ही नहीं दिया। पैदल और गोपनीय रास्तों से इक्का-दुक्कर श्रद्धालु रामनगरी पहुंचने में जरूर कामयाब हुए हैं, पर रामनगरी में उनका सफर निरापद नहीं था। सरयू ही नहीं सावन के सोमवार पर आस्था के केंद्र में रहने वाले भोले बाबा की पौराणिक पीठ नागेश्वरनाथ भी पुलिस के पहरे में रहा और यह सुनिश्चित किया जाता रहा कि इक्का-दुक्का स्थानीय श्रद्धालुओं को छोड़कर यहां भीड़ न लगने पाये। पूर्व में सावन के अवसर पर प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस के जो जवान श्रद्धालुओं का गहन प्रवाह नियंत्रित करने के लिए पसीना बहाते रहते थे, इस बार वे यह सुनिश्चित कर रहे थे कि सार्वजनिक स्थल पर भीड़ ही न होने पाये।

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कोरोना से बचाव के लिए नागेश्वरनाथ मंदिर में भी समुचित प्रबंध किया गया था। जो इक्का-दुक्का श्रद्धालु बाबा के अभिषेक के लिए पहुंचे, उनमें शारीरिक दूरी सुनिश्चित कराये जाने का गंभीर प्रबंध किया गया था। किसी को बाबा के गर्भगृह में जाने की इजाजत नहीं थी और बाबा का अभिषेक करीब दो मीटर लंबी पाइप के माध्यम से ही संभव हो पा रहा था।

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151 दिवसीय यज्ञ का आगाज

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प लेकर 2014 से ही अनुष्ठानरत पं. कल्किराम ने सावन के सोमवार की पवित्र बेला से इस अनुष्ठान को नए सिरे से विस्तार दिया। उन्होंने महाराज रघु से प्रतिष्ठित पौराणिक श्री टेढ़ीयतीश्वर महादेव का दुग्धाभिषेक करते हुए 151 दिवसीय प्रणवाक्षरी महामृत्युंजय महायज्ञ का संकल्प लिया। रामादल के प्रवक्ता गौरव शुक्ल ने बताया कि 151 दिवसीय महायज्ञ में चीन को पराभूत करने के मोर्चे पर भारत का साथ देने वाले देशों की सुख-समृद्धि-सुरक्षा और वैभव की प्रार्थना करते हुए विशेष यज्ञाहुति सोमवार से शुरू की गई।


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