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नई शिक्षा नीति से नौनिहालों पर कम होगा कोर्स का भार

अवध विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित ने नई शिक्षा नीति को सराहते हुए कहा कि इससे न सिर्फ देश को विश्वगुरु बनाने मदद मिलेगी बल्कि आत्मनिर्भर बनने में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि इससे बच्चों से पाठ्यक्रम का दबाव कम होगा.

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 12:09 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 12:09 AM (IST)
नई शिक्षा नीति से नौनिहालों पर कम होगा कोर्स का भार
नई शिक्षा नीति से नौनिहालों पर कम होगा कोर्स का भार

अयोध्या : अवध विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति प्रो.मनोज दीक्षित ने नई शिक्षा नीति को सराहते हुए कहा कि इससे न सिर्फ देश को विश्वगुरु बनाने मदद मिलेगी, बल्कि आत्मनिर्भर बनने में सहायक होगी। उन्होंने बताया कि इससे बच्चों से पाठ्यक्रम का दबाव कम होगा। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ा बदलाव इंजीनियरिग के छात्रों के लिए है। इनको मल्टीपल एंट्री और एग्जिट की व्यवस्था की गई है। इंजीनियरिग के छात्र यदि किसी कारणवश पाठ्यक्रम पूर्ण नहीं कर पाते हैं तो नई व्यवस्था के अंतर्गत एक वर्ष पर छात्र को सर्टिफिकेट, दो वर्ष के उपरांत डिप्लोमा और तीन वर्ष के बाद डिग्री दिए जाने का प्रावधान है। इससे ऑनलाइन एवं डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

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उन्होंने इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेशचंद्र पोखरियाल निशंक को बधाई दी। बताया कि नई शिक्षा नीति में कुल 27 मुद्दों का समावेश है। इसमें गणित, विज्ञान, कला, खेल आदि सभी विषयों को समान रूप से सिखाने पर जोर है। प्रो. दीक्षित ने बताया कि व्यवसायिक शिक्षा के विस्तार की संभावना है। 2040 तक सभी उच्च शिक्षा संस्थानों को बहुविषयक संस्थान बनाना होगा। बताया कि विद्यार्थियों पर बोर्ड परीक्षा का भार कम करने से लेकर प्राइमरी शिक्षा में बच्चों पर पाठ्यक्रमों के दबाव को कम करने की दिशा में पहल है। कुलपति ने इसे दीर्घगामी परिणाम देने वाला बताया। उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम होगा। निजी एवं सार्वजनिक उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एकीकृत व्यवस्था होगी। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी। विद्यार्थियों के स्वास्थ्य जांच के लिए हेल्थ कार्ड जारी किए जाएंगे।


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