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राम मंदिर की सौ मीटर परिधि में नया निर्माण होगा प्रतिबंधित

परिसर की सुरक्षा के मद्देनजर गठित समिति ने की संस्तुति सौंपी रिपोर्ट

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 12:20 AM (IST)Updated: Sun, 15 May 2022 12:20 AM (IST)
राम मंदिर की सौ मीटर परिधि में नया निर्माण होगा प्रतिबंधित
राम मंदिर की सौ मीटर परिधि में नया निर्माण होगा प्रतिबंधित

अयोध्या (प्रवीण तिवारी): रामजन्मभूमि परिसर की सुरक्षा को लेकर कड़े प्रबंध किए जाने लगे हैं। इसी कड़ी में मंदिर परिसर के सौ मीटर परिधि वाले क्षेत्र में किसी भी प्रकार के नये निर्माण कार्य को प्रतिबंधित करने की तैयारी है, लेकिन इस क्षेत्र के मठ, मंदिरों व धर्मशालाओं के जीर्णोद्धार व सुंदरीकरण की सशर्त अनुमति प्रदान की जाएगी। इस कार्य के पहले महंत व धर्मशाला स्वामियों को जिलाधिकारी से इसकी अनुमति लेनी होगी। साथ ही अयोध्या विकास प्राधिकरण से मानचित्र पास कराना होगा, तभी ये निर्माण कार्य कराए जा सकेंगे। यह निर्णय अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ने लिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट भी प्राधिकरण प्रशासन को सौंप दी है। अब प्राधिकरण की आगामी 17 मई को होने जा रही बोर्ड की बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना है। समिति की संस्तुतियां अनुमोदन के लिए बोर्ड के पटल पर रखी जाएंगी। इन पर मुहर लगते ही ये संस्तुतियां अमल में भी आ जाएंगीं। चार सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट सौंपने के पहले देश के महत्वपूर्ण स्मारकों व धार्मिक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था का विस्तृत अध्ययन किया। इसके अलावा भी समिति ने कुछ मानक सुझाए हैं, जिसमें परिसर की बाहरी दीवार के चारों ओर सौ मीटर से अधिक व तीन सौ मीटर कम दूरी के क्षेत्रफल में निर्माण के मानक तय कर दिए हैं। इस क्षेत्र में यदि कोई स्टिल्ट सहित निर्माण करता है तो भवन की ऊंचाई अधिकतम 12.50 मीटर होगी। स्टिल्ट निर्माण में पहले छह से आठ फीट ऊंचाई तक खंभे होते हैं, इसी पर छत ढाली जाती है, फिर भवन निर्माण का कार्य शुरू होता है। इसके अंतर्गत खंभों पर ढाली गई छत के नीचे पार्किंग की सुविधा होती है। जैसे बहुमंजिला इमारतों में देखा जाता है। स्टिल्ट रहित निर्माण में भवन की ऊंचाई 10.50 मीटर रखनी होगी। इस निर्माण में सीधे खंभे ढाल कर भवन की छत की ढलाई होती है। यहां किसी प्रकार की पार्किंग की सुविधा नहीं होती। इस कार्य के पहले भी जिलाधिकारी से सुरक्षा संबंधित अनापत्ति लेनी होगी। विकास प्राधिकरण से मानचित्र स्वीकृत कराना होगा।

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