घरों में अल्लाह की इबादत कर कोरोना से मुक्ति की कर रहे दुआ
मुस्लिमों के नेकी का है यह महीना मस्जिदों में जाने से रोके कदम
प्रहलाद तिवारी, रुदौली (अयोध्या) : कौमी एकता के मरकज रुदौली का मिजाज इस रमजान बदला हुआ है। पाक माह रमजान में जहां मस्जिदों में भारी भीड़ जुटती थी, वही अब लोग मस्जिदों के बजाय अपने घरों में इबादत कर रहे हैं। नमाजियों में उत्साह की कोई कमी नहीं है। कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन करते हुए नमाजी रमजान-ए-पाक महीने में घरों में अल्लाह की इबादत कर कोरोना से मुक्ति की दुआ कर रहे हैं। कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए बरकतों व रहमतों वाले इस माह के लिए घरों में सहरी, तरावीह, रोजा, इफ्तार के लिए लोग काफी तत्पर देखे जा रहे हैं। सेवई, खजूर, किशमिश, काजू फल, सेवई पीनखजूर व टोपी सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी चल रही है। कोरोना गाइडलाइंस को लेकर इस बार जगह-जगह इफ्तार का आयोजन नहीं किया जा रहा है बल्कि रोजेदार अपने-अपने घरों में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए इफ्तार में शामिल होते है। बच्चे भी बड़े उत्साह के साथ रोजा रख रहे हैं। पूरे बसावन के मौलाना अरशद कासमी पहले मस्जिद में नमाज अदा करने जाते थे। उनके साथ नमाज पढ़ने जाने के लिए लोगों की भीड़ मस्जिद की ओर चलती थी। अब उन्होंने खुद मस्जिद में नमाज अदा करना बंद कर दिया। वह घर पर ही नमाज अदा कर कोरोना से मुक्त की इबादत करते हैं। कहते हैं कि जो दुआ मस्जिद में नमाज पढ़ने से कबूल होती है वही दुआ घर में भी सच्चे मन से नमाज पढ़ने पर अल्लाह कबूल करता है। सबको महफूज रखें और खुद महफूज रहे। ईदगाह कमेटी के उपाध्यक्ष तारिक कादरी बताते हैं कि हर नमाजी की अल्लाह से एक ही प्रार्थना है, कि जल्द से जल्द इस महामारी से मुल्क को छुटकारा मिले। पांच पारे की नमाज अदा करके समाज के लोग धार्मिक मर्यादा के साथ ही सामाजिक मर्यादा का भी निर्वहन कर रहे हैं। मखदूम जादा निवासी पूर्व एयरफोर्स कर्मी शाह अनवार अहमद कहते हैं कि इफ्तारी की रकम से गरीबों को मजलूमों को भोजन कराएं। कोरोना संक्रमण के बनाए नियमों का पालन अवश्य करें। घर में इबादत के साथ सभी की सलामती की दुआ करें। सभासद डॉ. अमीर अब्बास बताते हैं कि रमजान पाक का महीना अल्लाह की इबादत के साथ नेकी का भी महीना है। संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन कर हम खुद के साथ समाज के लिए भी नेकी कर सकते हैं।