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प्रवासियों की कमाई का जरिया बनी मूंग व उड़द की किसानी

लॉकडाउन में काम छूटने पर घर लौटे प्रवासियों के लिए 50 दिन में तैयार हो रही मूंग व उड़द की फसल कमाई का अच्छा जरिया बन रही है लोगों ने घर आकर मूंग व उड़द की बोआई कराई. इस तरह अब गांव में ही रोजी रोटी का जुगाड़ हो गया है.

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 10:46 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 10:46 PM (IST)
प्रवासियों की कमाई का जरिया बनी मूंग व उड़द की किसानी
प्रवासियों की कमाई का जरिया बनी मूंग व उड़द की किसानी

अयोध्या: लॉकडाउन में काम छूटने पर घर लौटे प्रवासियों के लिए 50 दिन में तैयार हो रही मूंग व उड़द की फसल कमाई का जरिया बन रही है। तमाम लोगों ने घर आकर मूंग व उड़द की बोआई कराई। फसल की एक सिचाई कर चुके हैं। शहर में कमाई के लिए गए लोग कोरोना के चलते लॉकडाउन में घर आ गए। अब गांव में ही रोजी रोटी का आसरा है। सरसों की कटाई व आलू की खुदाई के बाद खाली खेत में उड़द व मूंग की बोआई की। कृषि वैज्ञानिक डॉ.रवि प्रकाश बताते हैं कि उन्नत बीज मूंग की सम्राट (पीडीएम 139) व उड़द की शेखर 243 तथा मूंग की कल्याणी प्रजाति 50 से 55 दिन में तैयार हो जाती है।

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उड़द व मूंग की फसल 55 दिन में तैयार हो जाती है। गेहूं व धान बोआई के बीच के समय में बोआई की जाती है। फसल चक्र का भी पालन होता है। इससे मृदा में शत्रु कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता पैदा होती है। पहली कटाई के बाद खेत में ही सूखी पत्तियों के रह जाने से पोषक तत्वों के साथ जीवांश में भी बढ़ोतरी होती है। फसल का उत्पादन भी बढ़ जाता है । बिरौली झाम के रामसरन,गोकुला के कालीचरन व धमसा ने मूंग व उड़द की बोआई की है ।


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