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कदाचार के चलते कई अन्य महंतों को गंवाना पड़ा है पद

पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत चतुर्भुजदास चंदा बाबा का मामला नया नहीं.

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 01:04 AM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 06:04 AM (IST)
कदाचार के चलते कई अन्य महंतों को गंवाना पड़ा है पद
कदाचार के चलते कई अन्य महंतों को गंवाना पड़ा है पद

अयोध्या : गुप्तारघाट स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के महंत चतुर्भुजदास 'चंदा बाबा' का मामला कोई नया नहीं है। कुछ अन्य मिसाल भी हैं, जिसमें कदाचार के विरुद्ध संत-समाज ने आवाज बुलंद की और महंत को अपने पद से हाथ धोना पड़ा। अधिक पीछे जाने की जरूरत नहीं है। करीब डेढ़ दशक पूर्व रामनगरी के जानकीघाट मुहल्ला स्थित चारुशिला मंदिर के तत्कालीन महंत भागवत स्वरूप शरण को संत समाज के प्रतिरोध पर पद से हाथ धोना पड़ा और उनकी जगह रामटहल शरण को महंती दी गयी। भागवत स्वरूप शरण पर कुछ वैसा ही आरोप था, जैसा संत समाज की ओर से जारी नोटिस में चंदा बाबा का पर लगाया गया है। भागवत स्वरूप न केवल गुरु का अनादर करने लगे थे, बल्कि अड़ोस-पड़ोस के लोगों से लड़ाई-झगड़ा उनके स्वभाव में शामिल हो गया था। संतों के लिए एक जिम्मेदार महंत का यह आचरण असह्य हो गया था और उन्होंने सामूहिक प्रयास से भागवत स्वरूप को बेदखल कर चारुशिला मंदिर की महंती रामटहलशरण को प्रदान की। दो दशक पूर्व रामनगरी की चुनिदा पीठ रामवल्लभाकुंज के तत्कालीन महंत देवरामदास वेदांती को भी महंती की गरिमा के विपरीत आचरण की कीमत चुकानी पड़ी थी। नगरी के शीर्ष महंत नृत्यगोपालदास सहित संत समाज के संगठित प्रतिरोध के चलते उन्हें रामवल्लभाकुंज से बेदखल होना पड़ा था। समाज को अराजक तत्वों से बचाने के लिए संत बहुत पूर्व से ही सजग रहे हैं। इसका उदाहरण रसिक संप्रदाय की आचार्य पीठ लक्ष्मणकिला के महंत रहे सीतारामशरण से मिलता है। यह वे लक्ष्मणकिलाधीश सीतारामशरण नहीं थे, जिन्हें रामकथा के दिग्गज व्याख्याता के रूप में याद किया जाता है। यह सीतारामशरण उनसे कुछ पीढ़ी पहले हुए और कदाचरण के चलते उन्हें महंती से वंचित होना पड़ा। बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी में संतों की आचार संहिता पूरी कड़ाई से लागू होती है और आचार संहिता का उल्लंघन पाये जाने पर उन्हें हनुमानगढ़ी से निकाले जाने में वहां की पंचायत पल भर की भी देर नहीं करती। रसिक पीठाधीश्वर एवं जानकीघाट बड़ास्थान के महंत जन्मेजयशरण के अनुसार समाज के लिए संत प्रेरक और मार्गदर्शक की तरह रहे हैं और यदि उनमें ही पतन देखने को मिलेगा, तो यह समाज के लिए अत्यंत घातक होगा। ऐसे में संतों की यह स्वाभाविक जिम्मेदारी है कि वे समाज को लांछित करने वालों को दूर रखें।

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संतों ने मांगा है स्पष्टीकरण

- चतुर्भुजदास उर्फ चंदा बाबा इन दिनों संत समाज की ओर से दी गयी नोटिस के चलते सुर्खियों में हैं। नोटिस में चंदा बाबा के आचरण पर सवाल उठाते हुए उनसे 15 दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया है।


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