37 वर्ष से वनवास झेल रही कांग्रेस
विधानसभा चुनाव में जीत का इंतजार 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले सर्वाधिक मत
अयोध्या (प्रहलाद तिवारी) : कभी कांग्रेस की मजबूत सियासी भूमि रही रुदौली विधानसभा सीट अब पार्टी के लिए बंजर नजर आती है। यहां कांग्रेस 37 वर्ष से वनवास झेल रही है। वर्ष 1985 के बाद कांग्रेस को यहां विधानसभा चुनाव में जीत नहीं मिल सकी है। शुरुआती दौर में कांग्रेस यहां लड़ाई में रही, लेकिन धीरे- धीरे वह इससे बाहर होती चली गई। दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2009 व 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को इसी विधानसभा क्षेत्र से सबसे अधिक मत भी मिले, पर विधानसभा चुनाव में पार्टी जनता का भरोसा जीतने में कामयाब नहीं हो सकी।
रुदौली सीट कांग्रेस के लिए कितनी उपजाऊ भूमि रही, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 में खुद कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां पर जनसभा करने आई थीं। पहले इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था। वर्ष 1969 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णमगन सिंह चुनाव जीते थे। इसके बाद वर्ष 1985 में कांग्रेस के मरगूब अहमद खान यहां से चुनाव जीते थे, इसके बाद पार्टी यहां संघर्ष करने में ही जुटी है। वर्ष 1977 और 1980 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को हरा कर जनता पार्टी के प्रदीप यादव विधायक निर्वाचित हुए। वर्ष 1985 में कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन 1989 में जनता पार्टी के प्रदीप यादव ने पुन: अपना कब्जा सीट पर जमा लिया। उन्होंने कांग्रेस के ऐहतराम अली को हराया। वर्ष 2017 का चुनाव यहां से कांग्रेस लड़ी ही नहीं। सपा-कांग्रेस गठबंधन में यह सीट सपा को चली गई। वर्ष 2012 के चुनाव में यहां मुनीर खां चुनाव लड़े। वह 12 हजार मत ही पा सके। इस बार कांग्रेस से पीसीसी सदस्य दयानंद शुक्ल टिकट के प्रमुख दावेदार बन कर सामने आए हैं। ममता त्रिवेदी का नाम भी टिकट के लिए चर्चा में है। हालांकि अभी तक कांग्रेस ने यहां से अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।