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टीचिग में आए तकनीकी बदलाव को स्वीकारना जरूरी

पहले ब्लैकबोर्ड के माध्यम से टीचिग का कार्य किया जाता था। कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई विषम परिस्थिति ने शिक्षकों को अपनी टीचिग में बदलाव लाने के लिए बाध्य कर दिया है। आईसीटी लर्निंग सभी के लिए आवश्यक हो गई है। इसका उपयोग शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं को बराबर करना चाहिए .

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 11:13 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 11:13 PM (IST)
टीचिग में आए तकनीकी बदलाव को स्वीकारना जरूरी
टीचिग में आए तकनीकी बदलाव को स्वीकारना जरूरी

अयोध्या: एमएलएसयू यूनिवर्सिटी उदयपुर के इंटरनल क्वालिटी एश्योरेंस सेल (आइक्यूएसी) के निदेशक डॉ. करूणेश सक्सेना ने कहा कि टीचिग में तकनीकी तौर पर कई बदलाव आए हैं। पहले ब्लैकबोर्ड के माध्यम से टीचिग का कार्य किया जाता था। कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न हुई विषम परिस्थिति ने शिक्षकों को अपनी टीचिग में बदलाव लाने के लिए बाध्य कर दिया है। आईसीटी लर्निंग सभी के लिए आवश्यक हो गई है। इसका उपयोग शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं को बराबर करना चाहिए। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ के संयुक्त संयोजन में इनफॉरमेशन एंड कंयुनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी )एंड कंटेंट डेवलपमेंट'' विषय पर सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में मुख्य वक्ता पद से बोल रहे थे। डॉ. सक्सेना ने शिक्षकों को फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की उपयोगिता को बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम शिक्षकों के शैक्षिक गतिविधियों में सहायक होगा। वे इसके जरिये अपने एकेडमिक परफॉरर्मेंस में बढ़ोत्तरी कर सकते है।

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बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल के प्रो. कुमारेश स्कंदन कश्यप ने कंटेंट में एथिक्स का क्या महत्व है, इसकी उपयोगिता बताई। कहा कि ई-कंटेंट को तैयार करने के लिए कंटेंट की सही चयन आवश्यक है। इसके न होने से छात्रों को सही कंटेंट नहीं दे पाएंगे। इसलिए जरूरी है कि शिक्षक एथिक्स को ध्यान में रखते हुए ई-कंटेंट का निर्माण करें, जिससे कि वह जीवंत हो छात्रों के लिए लाभकारी हो। प्रो. हिमांशु शेखर सिंह ने बताया कि रविवार को सात दिवसीय फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन होगा।समापन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री नीलिमा कटियार व मुख्य वक्ता प्रो. रामपल्ली सत्यनारायण होंगे। अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित करेंगे। प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. नरेश चौधरी व संयोजक राजीव कुमार रहे।


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