राम मंदिर पर इकबाल अंसारी का बड़ा बयान, कहा- मंदिर के लिए कानून बने मुझे ऐतराज नहीं
अयोध्या में राम मंदिर पर संभावित बिल को लेकर मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने आज बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर को लेकर कानून बने हमें कोई एतराज नहीं।
जेएनएन, अयोध्या। राम मंदिर के लिए चल रही कोशिशों के बीच बाबरी ढांचा पक्ष के पैरोकार मो इकबाल अंसारी का बड़ा बयान आया है। कहा, भाजपा राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाना चाहती है तो बनाए। हमें कोई एतराज नहीं है। हम कानून का आदर करने वाले लोग हैं पर देश का अमन-चैन सुनिश्चित रहना चाहिए। शिवसेना एवं विहिप के प्रस्तावित कार्यक्रमों के विरोध में आयोजित सभा में शिरकत करने आए इकबाल ने मीडिया से कहा, कोई भी मुसलमान कभी फसाद नहीं चाहता, हम देश का नुकसान भी नहीं चाहते। अयोध्या में भीड़ जुटाने के लिए शिवसेना और विहिप पर सवाल भी खड़ा किया।
मो. इकबाल ने शिवसेना एवं विहिप के कार्यक्रमों को ही ध्यान में रखकर गत दिनों, अपनी और अयोध्या के आम मुस्लिमों की सुरक्षा की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए पलायन की चेतावनी दी थी। कहा था कि जिस प्रकार 24, 25 नवंबर को अयोध्या में मंदिर समर्थकों को जुटाने की तैयारी हो रही है, कुछ ऐसा ही नजार छह दिसंबर,1992 से पूर्व का था और उस मौके पर जुटी भीड़ ने न केवल बाबरी मस्जिद शहीद कर दी थी बल्कि अयोध्या की अन्य अनेक मस्जिदों को शहीद करने के साथ बड़ी संख्या में मुस्लिमों के घर आग के हवाले कर दिए थे। शासन ने इकबाल की चेतावनी को ध्यान में रखकर रविवार को उनकी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाकर एक दारोगा और तीन सिपाही तैनात किए हैं। इकबाल ने प्रशासन के इस रुख का स्वागत भी किया।
यह पहला मौका नहीं है, जब इकबाल ने शासन-प्रशासन अथवा प्रदेश की योगी सरकार एवं केंद्र की मोदी सरकार की प्रशंसा की हो, वे यह दोहराते रहे हैं कि आशंका के विपरीत योगी-मोदी के शासन में मुस्लिम सुरक्षित हैं। इकबाल के वालिद मरहूम हाशिम अंसारी को बाबरी ढांचा के पैरवी से जुड़ी मुहिम का पितामह माना जाता रहा है। दो वर्ष पूर्व 94 वर्ष की अवस्था में चिरनिद्रा में लीन होने वाले हाशिम अपने जीवन के उत्तराद्र्ध में रामलला की पैरवी करते रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हाशिम की ङ्क्षचता थी कि रामलला को उनकी गरिमा के अनुरूप मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर से निकाल कर भव्य मंदिर में स्थापित किया जाए। हाशिम ने हनुमानगढ़ी से जुड़े शीर्ष महंत ज्ञानदास के साथ आपसी सहमति से मंदिर-मस्जिद विवाद के समाधान का गंभीर प्रयास भी किया था। इकबाल इन दिनों निर्वाणी अनी अखाड़ा के महंत धर्मदास के साथ आपसी सहमति से मसले के हल के प्रयास में लगे हैं।