प्रस्तावित मंदिर के आकार-प्रकार में वृद्धि असंभव नहीं
प्रख्यात वास्तुविद् आशीष सोमपुरा का मानना है कि आर्किटेक्चर की कोई लिमिट नहीं पर मंदिर की भव्यता में वृद्धि का आखिरी फैसला श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को करना होगा.
अयोध्या : रामजन्मभूमि पर प्रस्तावित मंदिर को भव्यतम बनाये जाने की चाहत रखने वालों के लिए खुशखबरी है। यह आश्वासन किसी एैरे-गैरे का नहीं, बल्कि तीन दशक पूर्व राममंदिर का मॉडल बनाने वाले प्रख्यात वास्तुविद् चंद्रकांत सोमपुरा के पुत्र आशीष सोमपुरा का है। मूलत: अहमदाबाद के आशीष भी अपने पिता की तरह स्थापत्य कला के क्षितिज पर राष्ट्रीय स्तर पर जाने जाते हैं। बढ़ती उम्र और स्वास्थ्यगत कारणों से चंद्रकांत सोमपुरा का घर से बाहर निकलना कम होता जा रहा है और स्थापित वास्तुविद् के तौर पर अब आशीष को पिता की भी भूमिका का निर्वहन करना पड़ रहा है। इसी भूमिका के तहत मंदिर निर्माण शुरू होने के ऐन पूर्व तैयारियां परखने के लिए आशीष रामनगरी में थे। गुरुवार को रामजन्मभूमि परिसर का जायजा लेने के बाद शुक्रवार को उन्होंने रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला में तराशी गई शिलाओं का निरीक्षण करते हुए घंटों बिताये। इस दौरान जागरण ने उनसे कुछ सामयिक और महत्वपूर्ण मसलों पर बातचीत की, जो इस प्रकार है-
सवाल- मंदिर निर्माण शुरू होने के अहम मौके पर आपके अयोध्या आगमन का क्या मकसद है?
जवाब- इन दिनों उन शिलाओं की सफायी चल रही है, जो प्रस्तावित मंदिर के लिए 30 साल से गढ़ी जा रही हैं। इस दौरान गर्दों-गुबार और मौसम की मार से गढ़ी गयीं शिलाओं पर गंदगी-काई जम गयी है। मंदिर के रूप में शिफ्ट किये जाने के पूर्व इनकी सफायी जरूरी है, पर हमें यह भी ख्याल रखना है कि सफाई की प्रक्रिया में पत्थरों को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा है। यही परखने के लिए मैं अयोध्या आया हूं। क्योंकि तराशी के बाद पत्थरों के आकार-प्रकार में किचित परिवर्तन पत्थरों की शिफ्टिग में गंभीर समस्या बन सकता है।
सवाल- आप बुधवार से ही अयोध्या में हैं। इस दौरान आपकी श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के लोगों से बराबर बातचीत होती रही है। बातचीत का मुद्दा क्या रहा है?
जवाब- जाहिर है कि मंदिर निर्माण की प्रक्रिया किस तरह आगे बढ़नी है।
सवाल- बुधवार को आपने कई घंटे रामजन्मभूमि परिसर में बिताये। इस दौरान आपने किस ओर ध्यान केंद्रित किया?
जवाब- नींव डालने की प्रक्रिया शुरू होनी है। हमें यह देखना है कि मंदिर की बुनियाद कितनी गहरी होगी, फाउंडेशन किस तरह का बनेगा।
सवाल- बुनियाद भरी जाने और पत्थरों की मंदिर के रूप में शिफ्टिग शुरू होने में कितना वक्त लग सकता है?
जवाब- इस सबके लिए दो-ढाई महीने इंतजार करना होगा। जब तक नींव का काम होगा, तब तक रामघाट की इस कार्यशाला से जराशे गये पत्थरों को रामजन्मभूमि परिसर में ले जाना उचित नहीं होगा।
सवाल- गत वर्ष नौ नवंबर को रामलला के हक में निर्णय आने के बाद से ही 268 फीट लंबा, 140 फीट चौड़ा और 128 फीट ऊंचा प्रस्तावित मंदिर के आकार-प्रकार को लेकर सवाल खड़ा किया जाने लगा। अब मांग हो रही है कि इस आकार-प्रकार से कहीं भव्य भगवान राम के अछ्वुद-अद्वितीय व्यक्तित्व की तरह अछ्वुद-अद्वितीय बने। क्या यह संभव है?
जवाब- आर्कीटेक्चली तो संभावनाएं बहुत होती हैं। आर्किटेक्चर की कोई लिमिट नहीं है, लेकिन इस दिशा में काम श्री रामजनमभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक के निर्णय पर टिका होगा। ट्रस्ट की बैठक इसी महीने की 18 तारीख को है।
सवाल- सुनने में आ रहा है कि प्रस्तावित मंदिर पर विशेष कोटिग होगी?
जवाब- निश्चित रूप से ऐसा होगा और यह कोटिग मंदिर को मौसम की मार से बचायेगा।