फर्जीवाड़ा कर नायब तहसीलदार बन बैठा सर्वे लेखपाल
अयोध्या अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक अस्थाई लेखपाल पद से नायब तहसीलदार सर्वे बने मो.शफीउल्लाह को वापस उनके मूल अस्थाई लेखपाल पद पर जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने शुक्रवार को रिवर्ट कर दिया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उसकी याचिका को 21 जनवरी 2002 को खारिज कर दिया था। अधिकारियों को गुमराह कर वह अपने पक्ष में आदेश करा नायब तहसीलदार के पद तक पहुंच गया। जिलाधिकारी ने नायब तहसीलदार सर्वे पद का कार्यभार ग्रहण कराने वाले अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ उत्तरदायित्व निर्धारण का निर्देश दिया है।
अयोध्या: अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक अस्थाई लेखपाल पद से नायब तहसीलदार सर्वे बने मो.शफीउल्लाह को वापस उनके मूल अस्थाई लेखपाल पद पर जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने शुक्रवार को रिवर्ट कर दिया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उसकी याचिका को 21 जनवरी 2002 को खारिज कर दिया था। अधिकारियों को गुमराह कर वह अपने पक्ष में आदेश करा नायब तहसीलदार के पद तक पहुंच गया। जिलाधिकारी ने नायब तहसीलदार सर्वे पद का कार्यभार ग्रहण कराने वाले अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ उत्तरदायित्व निर्धारण का निर्देश दिया है। उत्तरदायित्व निर्धारण से अधिष्ठान लिपिक की भूमिका सवालों के घेरे में है। जिलाधिकारी की कार्रवाई के बाद कलेक्ट्रेट में हड़कंप मचा है। सर्वे नायब पद पर उसे मिले वेतन/लाभ आदि के बारे में आयुक्त एवं राजस्व परिषद,लखनऊ से जिलाधिकारी ने मार्ग दर्शन मांगा है। नायब तहसीलदार सर्वे के खिलाफ राजस्व परिषद में शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने उसके सर्विस प्रकरण की जांच एडीएम सिटी डॉ. वैभव शर्मा को सौंपी थी। एडीएम सिटी ने जांच में अस्थाई लेखपाल (स्थानापन्न) पद पर तैनात मो. शफीउल्लाह के बिना स्थाई हुए नायब तहसीलदार पद पर पदोन्नति पर सवाल ही नहीं उठाया, वर्ष 1991 में विखंडित सर्विस नियमावली का उल्लेख किया जिसके आधार पर तैनाती मिली थी। नायब तहसीलदार के खिलाफ जिलाधिकारी की कार्रवाई का यही ठोस आधार माना जा रहा है। करीब तीन वर्ष से वह जिले में नायब तहसीलदार पद पर कार्यरत है। ऐसे में नायब तहसीलदार के रूप में उसके स्तर से निर्णीत वादों पर भी सवाल उठा है।
-प्रभार संबंधी तत्कालीन जिलाधिकारी का आदेश संदिग्ध
19 सितंबर 2016 का तत्कालीन जिलाधिकारी किजल सिंह का कार्यभार ग्रहण कराने संबंधी आदेश जांच में संदिग्ध माना गया है। आदेश की अवधि में जिलाधिकारी 17 सितंबर से अवकाश पर रहीं। ऐसे में उनके स्तर से आदेश संभव नहीं। यही नहीं आदेश में नायब तहसीलदार सर्वे पद पर कार्यभार ग्रहण कराने का उल्लेख न होने के बावजूद नायब तहसीलदार का प्रभार सौंप गया। इसी वजह से अधिष्ठान लिपिक की भूमिका पर सवाल उठा है।
जांच रिपोर्ट में 22 फरवरी 1986 को रिश्वत लेने के आरोप में विजिलेंस टीम के हाथों गिरफतारी, 11 सितंबर को सशर्त बहाली,
25 जुलाई 1991 को फैजाबाद मुख्यालय से बिना अनुमति के गैरहाजिरी पर निलंबन एवं 24 सितंबर 1991 को बहाली, हाईकोर्ट में उसकी याचिका खारिज होने समेत ऐसे कई तथ्यों का उल्लेख है।