देखते ही देखते रेलवे की जमीन पर उग आई अवैध बस्तियां
गोसाईंगंज फैजाबाद पटरंगा क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण
अयोध्या : रेल पटरी से 30 मीटर दूरी तक कोई भी निर्माण नहीं करा सकता है। ऐसा करने वाला रेलवे की नजर में गुनाहगार है, लेकिन यह गुनाह यहां खुलेआम देखने को मिलता है। बाराबंकी से लेकर अंबेडकरनगर जिले के बीच स्थित अयोध्या रेल सेक्शन में रेल की पटरियों के किनारे इस गुनाह की पूरी श्रृंखला मौजूद है।
शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक रेल पटरियों के किनारे हुआ अतिक्रमण हटाना रेलवे के लिए चुनौती बन गया है। यह अतिक्रमण एक-दो दिन का नहीं बल्कि वर्षों पुराना है। इसमें स्थाई लेकर अस्थाई दोनों श्रेणी के अतिक्रमण शामिल हैं। फैजाबाद जंक्शन पर तो रेलवे की नाक के नीचे ही मोदहा में रेलवे की जमीन पर स्थाई अतिक्रमण कर लिया गया। अवैध कब्जा रोकने में रेलवे ने मजबूत इच्छाशक्ति नहीं दिखाई, जिसका परिणाम रहा कि देखते ही देखते रेलवे की जमीन पर अवैध बस्तियां उग आईं।
रेलवे भूमि अतिक्रमण का सबसे उपयुक्त स्थान बन गई है। कारण है कि सरकारी जमीन पर कब्जा रोकने की कवायद समय पर नहीं होती है, जब तक कार्रवाई के लिए सर्वे, नोटिस की प्रक्रिया शुरू होती है तब तक ऊंची-ऊंची दीवारें खड़ी हो जाती हैं। अतिक्रमण स्थाई होने के बाद कानून दांव-पेंच में पूरी प्रक्रिया उलझ जाती है और अतिक्रमण जस का तस बना रहता है। अयोध्या में भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। इंजीनियरिग सेक्शन की पत्रावलियां बताती हैं कि जिले में फैजाबाद शहर, गोसाईंगंज और पटरंगा क्षेत्र में रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे के मामले हैं। इन्हें चिह्नित भी कर लिया गया है और इससे संबंधित पत्रावली को उच्चाधिकारियों के समक्ष अवलोकन के लिए भेजा गया है।
आरपीएफ के सामने ही रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जे होते रहे, लेकिन जनाक्रोश भड़कने के डर से जिम्मेदारों ने कार्रवाई के लिए बड़ा कदम नहीं उठाया। आलम ये है कि रेलवे की जमीन पर कहीं सरकारी तो कहीं निजी भवन बनकर खड़े हो गए। स्कूल भी संचालित हो रहे हैं। आरपीएफ के जिम्मेदारों का कहना है कि इंजीनियरिग सेक्शन की ओर से शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की जाती है। रेलवे की जमीन हो अथवा भवन अवैध कब्जा करने वालों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाती है।