धर्मसभा : नारों से 90 जैसा ज्वार पैदा करने की तैयारी
अयोध्या : 90 का दशक और अयोध्या। भला कौन भूल सकता है। 'रामलला हम आएंगे. मंदिर वहीं बनाएंग
अयोध्या : 90 का दशक और अयोध्या। भला कौन भूल सकता है। 'रामलला हम आएंगे. मंदिर वहीं बनाएंगे.'। 'बच्चा-बच्चा राम का, जन्मभूमि के काम का.'। 'रामलला के वास्ते, खाली कर दो रास्ते.' मंदिर आंदोलन के साक्षी रहे लोगों के मन-मस्तिष्क पर ये नारे आज भी अंकित हैं। दो दशक बाद एक बार फिर मुद्दा और नारा वही है, लेकिन इस बार मौका विहिप की धर्मसभा का है। आगामी 25 नवंबर को अयोध्या में प्रस्तावित विहिप की धर्मसभा की एक ओर सांगठनिक स्तर पर व्यापक तैयारियां हो रही हैं, तो दूसरी ओर मंदिर आंदोलन में गढ़े गए नारे एक बार फिर से समर्थकों की जुबां पर है। इन्हीं नारों से धर्मसभा के लिए भी मंदिर आंदोलन जैसा ज्वार पैदा करने की कोशिश हो रही है। साकेत महाविद्यालय में महामंत्री पद का चुनाव लड़ चुके करीब 25 वर्षीय विशाल ¨सह कहते हैं हमन 90 के दशक का मंदिर आंदोलन तो नहीं देखा, लेकिन रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर अवश्य देखना चाहते हैं।
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सोशल मीडिया पर छाए नारे
विहिप की धर्मसभा की तैयारियां फेसबुक और वाट्सएप पर भी नजर आने लगी हैं। फेसबुक पर तो हर छठीं-सातवीं पोस्ट में विहिप की धर्मसभा में शामिल होने का आह्वान करते नारे नजर आने लगे हैं, जबकि वाट्सएप पर 'धर्मसभा 25 नवंबर अयोध्या' के नाम से ग्रुप भी बनाया गया ह । इन ग्रुपों पर भी नारों के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया जा रहा है।
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'पहले मंदिर फिर सरकार'
मंदिर को लेकर विहिप के साथ दूसरे ¨हदुत्वादी संगठन आंदोलन की मुद्रा में हैं। इसी सिलसिले में 24 व 25 नवंबर को यहां शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का आगमन हो रहा है। इससे ठीक पहले शिवसेना ने भी नया नारा दिया है। 'हर ¨हदू की यही पुकार-पहले मंदिर फिर सरकार' नारे के साथ शिवसेना इस मुद्दे पर मुखर है। शिवसेना के प्रदेश प्रमुख अनिल ¨सह कहते हैं कि नारों ने विभिन्न मौकों पर अपनी अहमियत साबित की है।
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मंदिर की प्रतिबद्धता और पूर्व की अभिव्यक्ति का स्मरण विभिन्न माध्यमों से होता है। नारे भी लोगों के संकल्प को व्यक्त करने का जरिया हैं।
शरद शर्मा
प्रांतीय मीडिया प्रभारी
विहिप