रहस्यमय हालात में हो रही चमगादड़ों की मौत
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अयोध्या : करीब सप्ताह भर से रहस्यमय हालात में चमगादड़ों की मौत हो रही है। इन मौतों ने आसपास के लोगों को भी सहमा दिया है। रोशननगर के रामप्रसाद उपाध्याय के बाग में पेड़ों पर लंबे समय से इन चमगादड़ों की बसेरा है। इनमें से पांच से सात की संख्या में रोजाना चमगादड़ों की मौत हो रही है। विशेषज्ञ चमगादड़ों की मौत की वजह उच्च तापक्रम को बता रहे हैं, हालांकि अभी तक किसी का भी पोस्टमार्टम नहीं कराया गया है, जबकि चमगादड़ों को बेहद खरतनाक निपाह वायरस का वाहक भी माना जाता है, लेकिन वन विभाग की ओर से अभी तक इनकी मौत के कारणों की पड़ताल वैज्ञानिक तरीके से नहीं की गई है।
करीब 76 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक रामप्रसाद उपाध्याय ने बताया कि सदियों से इस बाग में चमगादड़ों का बसेरा है। पहले इनकी संख्या हजारों में थी, लेकिन अब करीब पांच सौ से सात सौ के करीब बची है। उन्होंने बताया कि बीते करीब एक सप्ताह से रोजाना ही पांच से लेकर सात की संख्या में इनकी मौत हो रही है, जबकि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। वहीं इस मसले पर प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. रविकुमार सिंह ने बताया कि बाग में चमगादड़ों का बसेरा होने की जानकारी तो है, लेकिन इनकी मौत की सूचना अभी तक किसी ने नहीं दी है। यदि ऐसा है तो हर लिहाज से चमगादड़ों की मौत के कारणों की तलाश की जाएगी।
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सहमे हुए हैं ग्रामीण
सप्ताह भर से रोजाना हो रही चमगादड़ों की मौत से ग्रामीण भी सहमे हुए हैं। ग्रामीणों के डर की सबसे बड़ी वजह निपाह वायरस है। चमगादड़ निपाह वायरस के वाहक होते हैं। इसीलिए ग्रामीण डरे-सहमे हैं, हालांकि अभी तक इस वायरस का यहां कोई इतिहास नहीं रहा है, लेकिन केरला में इसकी दस्तक गत वर्षों में हुई थी। रामसागर उपाध्याय, संतोष कुमार, कमलेश, अनिल उपाध्याय अजय सिंह, शुभम सिंह, प्रधान अरविद निषाद, बृजेश सिंह, जितेंद्र निषाद, सती प्रसाद, रामअंजोर यादव, मुर्तजा हुसैन, शीतला गुप्ता व महेश गुप्ता आदि का कहना है कि चमगादड़ों की मौत की जांच होनी आवश्यकता है, जिससे किसी भी प्रकार का खतरा उत्पन्न नहीं होने पाए।
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किसान मित्र होते हैं चमगादड़
चमगादड़ किसान मित्र पक्षी के रूप में जाने जाते हैं। फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट इनका भोजन होते हैं। इसलिए जिन क्षेत्रों में इसका बसेरा होता है, वहां फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीट नाममात्र ही पाए जाते हैं। रात में शिकार करते हैं, जबकि दिन में पेड़ों पर उल्टे लटके रहते हैं।
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क्या कहते हैं विज्ञानी
साकेत महाविद्यालय के जंतु विज्ञानी डॉ. वीके पांडेय ने बताया कि चमगादड़ों के शरीर में 33 से 37 डिग्री सेल्सियस के तापमान को ही सहने की क्षमता होती है, लेकिन मौजूदा समय में तापमान 42 से 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। इसलिए आशंका है कि चमगादड़ों की मौत की वजह भी गर्मी ही हो। हालांकि इसकी वैज्ञानिक तरीके से जांच की जानी चाहिए कि किन वजहों से रोजाना पांच से सात की संख्या में चमगादड़ मर रहे हैं। डॉ. पांडेय ने बताया कि चमगादड़ों के कुतरे फलों का सेवन कतई नहीं करें और जिन स्थानों पर इनकी मौत हो रही है, वहां विशेष सफाई रखी जाए और सावधानी भी बरतें।
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रेंजर बोले
मयाबाजार के रेंजर डीके सिंह ने बताया कि चमगादड़ों की मौत की सूचना मिलने पर कर्मियों को भेजा गया था। कुछ खाली गड्ढों में पानी भरवाया गया है, जिससे चमगादड़ों को गर्मी से थोड़ी राहत मिल सके। मामले पर पैनी नजर रखी जा रही है।
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कुछ दिनों पूर्व हुई थी मछलियों की मौत
चंद दिनों पहले ही रामकी पैड़ी में बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई थी। मछलियों की मौत की वजह भी सामने नहीं आ सकी। इस वजह से रामकी पैड़ी में दुर्गंध भी आनी आरंभ हो गई है। पार्षद महेंद्र शुक्ल ने जिलाधिकारी को इस बाबत पत्र भी दिया है, लेकिन अभी तक मृत मछलियां रामकी पैड़ी में ही पड़ी हुई हैं।
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