नेहरू-गांधी परिवार के प्रति आस्था का स्मारक
डीएनए में समाहित निष्ठा नेतृत्व के सवाल पर रोशन हो रही
अयोध्या : कांग्रेस में नेतृत्व चयन को लेकर छिड़ी सुगबुगाहट के बीच स्थानीय कार्यकर्ता पूरी तरह गांधी परिवार के साथ खड़े हैं। चाहें वे एआईसीसी के सदस्य राजेंद्रप्रताप सिंह हो या पूर्व महानगर अध्यक्ष सुनील पाठक हों। वे कहते हैं, गांधी परिवार के नेतृत्व के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा सकती और वही हमारी ताकत है। स्थानीय कांग्रेस को नेहरू-गांधी परिवार के प्रति आस्था का संस्कार देश की आजादी के पूर्व मिला। 1936 में आजादी के दीवानों के केंद्र के रूप में कांग्रेस कार्यालय की स्थापना की गयी। उसी साल पं. जवाहरलाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू का निधन हुआ था और इसी वजह से इस इमारत को कमला नेहरू भवन नाम दिया गया। इस इमारत के निर्माण में आजादी के आंदोलन से जुड़े अनेक राजे-रजवाड़ों का अंशदान था और यह इमारत तभी से आजादी के संघर्ष के दौर की याद दिलाने के साथ कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार के प्रति आस्था की परिचायक है। यह भवन देश की आजादी के बाद से कांग्रेस कार्यालय के रूप में भी गौरवांवित है। पार्टी प्रवक्ता मो. शरीफ के अनुसार देश के प्रति गांधी परिवार के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता और आज कांग्रेस को इस परिवार की कहीं अधिक जरूरत है। इलाकाई कांग्रेस के पर्याय माने जाने वाले पूर्व सांसद एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. निर्मल खत्री ने सोमवार को फेसबुक पर पोस्ट के माध्यम से गांधी परिवार को नेतृत्व के लिए एक मात्र विकल्प बताया था। आजाद के बाद के कुछ दशक तक कांग्रेस यहां अपराजेय रही है और उसके पीछे गांधी परिवार का जादू माना जाता रहा है।