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22 घंटे में रामनगरी को निहाल कर गए मुख्यमंत्री

अयोध्या : मंगलवार से बुधवार के बीच 22 घंटे गुजारने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामनगरी क

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 11:08 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:08 PM (IST)
22 घंटे में रामनगरी को निहाल कर गए मुख्यमंत्री
22 घंटे में रामनगरी को निहाल कर गए मुख्यमंत्री

अयोध्या : मंगलवार से बुधवार के बीच 22 घंटे गुजारने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रामनगरी को निहाल कर गए। इस अवधि में मुख्यमंत्री ने जहां दीपोत्सव का उद्घाटन कर सांस्कृतिक जड़ों को रोशन किया, वहीं पर्यटन विकास की संभावनाओं को नया आयाम प्रदान किया। मंगलवार को अपराह्न उन्होंने जिस दीपोत्सव का उद्घाटन किया, वह स्वयं में रामनगरी को वैश्विक प्रतिष्ठा दिलाने वाला रहा। इस सच्चाई में कोई शक नहीं कि दुनिया दीपावली के जिस महापर्व से रोशन होती है, वह रामनगरी से ही प्रवर्तित हुआ। जब त्रेता में भगवान राम 14 वर्ष के वनगमन और लंका विजय के बाद अयोध्या वापस लौटे, तब अयोध्या के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और इसी खुशी में उन्होंने इतने दीप जलाए कि दुनिया दीपावली जैसे महापर्व से परिचित हुई। हालांकि समय की लंबी यात्रा में दीपावली तो अक्षुण बनी रही पर रामनगरी की जड़ों से अनुप्राणित इस महापर्व की विरासत कमजोर पड़ती गई। महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के अनुसार रामनगरी के गौरव को परिभाषित करती इस विरासत को पुनगररव प्रदान कर मुख्यमंत्री ने कुछ वैसी ही पहल की है, जैसी दो हजार वर्ष पूर्व भारतीय लोककथाओं के नायक महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या को नए सिरे से बसाकर की थी। महाराज विक्रमादित्य से मुख्यमंत्री की तुलना महज दीपोत्सव को पुनगररव प्रदान करने तक ही नहीं सीमित होती, वे इस महान शासक की तरह रामनगरी के पर्यटन एवं सांस्कृतिक विकास की संभावनाओं के फलक पर कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस सच्चाई की तस्दीक मंगलवार को ही 24.66 करोड़ की लागत से प्रस्तावित रानी हो के स्मारक, 7.59 करोड़ की लागत से प्रस्तावित रामकथा पार्क के सुंदरीकरण, 53.64 करोड़ की लागत से प्रस्तावित रामकी पैड़ी के सुंदरीकरण तथा अविरल जलप्रवाह, 51 करोड़ की लागत से प्रस्तावित नगरी के विद्युतीकरण, 37 करोड़ की लागत से प्रस्तावित सरयू से जुड़ते नालों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ने का कार्य तथा 3.69 करोड़ की लागत से प्रस्तावित पशुशालाओं एवं चारागाहों का निर्माण एवं विकास सहित कुल 176 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास कर की। इलाकाई विधायक वेदप्रकाश गुप्त याद दिलाते हैं, मुख्यमंत्री ने गत वर्ष भी प्रथम दीपोत्सव के उद्घाटन पर 136 करोड़ से अधिक की विकास योजनाओं का शिलान्यास किया था और जिनमें से अधिकांश का काम पूर्ण होने को है।

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हजारों करोड़ की योजनाओं से सज्जित होगी रामनगरी

निकट भविष्य में रामनगरी की जो तस्वीर उभरेगी, वह महज तीन-चार सौ करोड़ की बजाय हजारों करोड़ की विकास योजनाओं से सज्जित रहेगी। मुख्यमंत्री ने अपने अयोध्या प्रवास के अंतिम चरण में भगवान राम की जिस 151 मीटर ऊंची प्रतिमा स्थापित करने के लिए स्थल का निरीक्षण किया, वह योजना ही आठ सौ करोड़ की लागत से अधिक की है। अपने इस डीम प्रोजेक्ट के प्रति मुख्यमंत्री जैसी तत्परता बरत रहे हैं, उससे यह संकेत साफ है कि वे मौजूदा कार्यकाल के आखिरी चरण तक भगवान राम की इस विशालतम प्रतिमा का लोकार्पण करने में कामयाब होंगे। पर्यटन विकास के अध्ययन से जुड़े और दिव्य दीपोत्सव की अवधारणा के शिल्पी अविवि के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित के अनुसार अकेले यह प्रतिमा ही अयोध्या को विश्व पर्यटन के क्षितिज पर स्थान दिलाने में कामयाब होगी।

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स्वर्णिम भविष्य की मिलने लगी आहट

- नगरी के स्वर्णिम भविष्य का मार्ग वर्तमान की संभावना से ही प्रशस्त होने लगा है। 80 करोड़ से अधिक की लागत से प्रस्तावित अयोध्या रेलवे स्टेशन का उच्चीकरण शुरू हो चुका है और 2021 तक यह कार्य पूर्ण करने का लक्ष्य निर्धारित है। -------------------------

'वेटिकन सिटी एवं मक्का से नहीं होगी कम'

- मुख्यमंत्री ने हालिया दौरे में न केवल फैजाबाद जिला का नाम अयोध्या कर अयोध्यावासियों और इस नगरी की विशाल सांस्कृतिक परिधि में शामिल होने वालों को झूमने का मौका दिया बल्कि जिला मुख्यालय से सटे निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज का नाम राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज और जिला मुख्यालय के करीब ही प्रस्तावित एअरपोर्ट का नाम भगवान राम एअरपोर्ट कर नगरी के विकास की अनंत संभावनाओं का द्वार खोला। युवा भाजपा नेता एवं समाजसेवी अभय ¨सह की मानें तो वह दिन दूर नहीं, जब सांस्कृतिक ²ष्टि से वेटिकन सिटी एवं मक्का से भी अधिक गौरवमय अयोध्या पर्यटन विकास के फलक पर भी इन नगरियों से आगे होगी।

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सातवें आसमान पर होगी नगरी की गौरव-गरिमा

- मुख्यमंत्री ने अयोध्या प्रवास के दौरान इशारों में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की उम्मीदों का हवा भी दी। सुप्रीमकोर्ट में राम मंदिर की पैरोकारी से जुड़े नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास के अनुसार संवैधानिक मर्यादाओं के बावजूद यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से राममंदिर के लिए जो भी संभव हो रहा है, वह कर रहे हैं और जिस दिन मंदिर निर्माण की मुनादी होगी, उस दिन विकास के मौजूदा प्रयत्नों के बीच रामनगरी की गौरव-गरिमा सातवें आसमान पर होगी।

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अपनत्व-अनुराग में भी रहे पगे

- मुख्यमंत्री विकास के विहंगम स्वप्न के साथ अपनत्व-अनुराग में भी पगे नजर आए। पुराने परिचित, मंदिर आंदोलन और नगरी का सांस्कृतिक प्रतिनिधित्व करते संतों के साथ वे न केवल रामकथा पार्क में दीपोत्सव के मंच पर घुले-मिले और उन्हें सम्मान प्रदान करते नजर आए बल्कि अगले दिन यानी बुधवार को भी अनेक आश्रमों पर पहुंचकर मुख्यमंत्री ने संतों से भेंट की। दो दिवसीय प्रवास के दौरान जिन संतों से मुख्यमंत्री की निकटता बयां हुई, उनमें रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, पूर्व सांसद डॉ. रामविलासदास वेदांती, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास, दशरथमहल बड़ास्थान के महंत ¨वदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, रंगमहल के महंत रामशरणदास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवचार्य विद्याभास्कर, जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्रीधराचार्य, रसिक पीठाधीश्वर महंत जन्मेजयशरण, संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास, बड़ा भक्तमाल के महंत अवधेशदास आदि रहे। मुख्यमंत्री ने अपने गुरु साकेतवासी गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के मित्र रहे जगद्गुरु पुरुषोत्तमाचार्य से भी उनके आश्रम सुग्रीवकिला पहुंच भेंट की।


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