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जातिवाद और ऊंच-नीच धर्मांतरण की प्रमुख वजह : गहलोत

अयोध्या : डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय स्थित वाल्मीकि नगर में आयोजित दो दिनी समरसता कुंभ जातिवाद, धर्मांतरण पर प्रहार के साथ ¨हदू समाज की एकजुटता का नाम रहा। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने ऊंच-नीच की भावना और जातिवाद को धर्मांतरण की प्रमुख वजह बताया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 11:22 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 11:22 PM (IST)
जातिवाद और ऊंच-नीच धर्मांतरण की प्रमुख वजह : गहलोत
जातिवाद और ऊंच-नीच धर्मांतरण की प्रमुख वजह : गहलोत

अयोध्या : डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय स्थित वाल्मीकि नगर में आयोजित दो दिनी समरसता कुंभ जातिवाद, धर्मांतरण पर प्रहार के साथ ¨हदू समाज की एकजुटता के नाम रहा। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने ऊंच-नीच की भावना और जातिवाद को धर्मांतरण की प्रमुख वजह बताया। सवाल उठाया कि भारत में रहने वाले गैर ¨हदुओं के 90 फीसद परिवार कभी न कभी ¨हदू थे, फिर उन्होंने धर्म परिवर्तन क्यों किया। इस पर विचार करना चाहिए। अब महापुरुषों को और देवी-देवताओं को जातियों में बांटने की कोशिश हो रही है। जयंती और पुण्यतिथि के नाम पर महापुरुषों को जातियों में बांटा जा रहा है। उन्होंने धर्मांतरण करने वाले ही देशविरोधी गतिविधियों में भी लिप्त हुए। उन्होंने कहा, अंग्रेजों और मुगलों ने हमारी परंपराओं को विकृत किया। आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, प्रो. संजय पासवान आदि वक्ताओं ने जातिवाद पर प्रहार किया। ------------

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समता के साथ हो समरसता

केंद्रीय मंत्री ने कहा, कई लोग समता की बात करते हैं। यह वैसे ही है, जैसे दस लोगों के पास बंगले, गाड़ी और सुख-सुविधाएं हैं, लेकिन आपस में बातचीत नहीं। समता संपन्नता दे सकती है, लेकिन समरसता आपसी समन्वय और सामाजिकता विकसित करती है। समता और समरसता का संबंध दूध में शक्कर जैसा है। ------------

आंबेडकर का हो अनुपालन -केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने डॉ. आंबेडकर के सिद्धांतों के अनुपालन का आह्वान किया। कहा, आंबेडकर ने विदेशों में पढ़ाई की। वे चाहते तो वहीं ऐशो-आराम की ¨जदगी बिता सकते थे, लेकिन उन्होंने देश को समृद्ध बनाने के लिए काम किया। विषमताओं को दूर करने के प्रयास किए। मंत्री ने कहाकि डॉ. आंबेडकर के प्रयासों को तह तक ले जाने की आवश्यकता है।

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सिर्फ रामभक्त हनुमान -उन्होंने कहाकि हनुमानजी भगवान के सच्चे भक्त के तौर पर प्रतिष्ठित हैं। उन्हें सिर्फ रामभक्त हनुमान के रूप में ही जानना अच्छा होगा और सद्मार्ग पर चलने की आवश्यकता है।

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