अपनी भूमिका को लेकर ब्राह्मण समाज ने किया आत्मावलोकन
ब्राह्मणों की एकता के आह्वान के विपरीत दो गुटों में बंटा रहा चाणक्य परिषद का स्थापना दिवस समारोह
अयोध्या : मकर संक्रांति के अवसर पर समाज में अपनी भूमिका को लेकर ब्राह्मण समाज ने आत्मावलोकन किया। इसी पावन पर्व पर 27 वर्ष पूर्व ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने चतुर्थ शताब्दी ईसा पूर्व के महान व्यवस्थाकार, दार्शनिक एवं राष्ट्रवादी आचार्य चाणक्य के नाम से चाणक्य परिषद का गठन किया था। हालांकि चाणक्य परिषद अपने प्रेरक से न्याय नहीं कर सकी। कहां चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य के माध्यम से वृहत्तर भारत की आधारशिला रखी थी और कहां चाणक्य परिषद जिलास्तरीय संगठन के रूप में भी एकजुट नहीं रहा सकी। स्थापना दिवस समारोह के मौके पर भी चाणक्य परिषद का बिखराव फलक पर उभरा। संस्थापक संरक्षक पं. कृपानिधान के गुट ने रामकी पैड़ी परिसर में स्थापना दिवस मनाया, तो दूसरे गुट ने सूर्यकुंड परिसर में संगठन का स्थापना दिवस मनाया। पैड़ी परिसर में आयोजित समारोह के दौरान मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व विधायक रामकुमार शुक्ल एवं पूर्व डीजी होमगार्ड डॉ. सूर्यकुमार शुक्ल रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा, समाज को दिशा देने का काम ब्राह्मणों का है। ब्राह्मण संस्कारवान बनें। समाज को शिक्षित कर अपनी कमियां दूर करें। बच्चों को शिक्षित करें। इस दौरान परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक पं. कृपानिधान तिवारी ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजने का संकल्प दोहराया, जिसमें आरक्षण आर्थिक आधार पर करने, सवर्ण आयोग का गठन, अयोध्या में परशुराम की मूर्ति की स्थापना तथा भगवान परशुराम चिकित्सालय बनाने की मांग की गयी। संचालन लखनधर त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम में संत आनंददास, महंत विमलकिशोरदास, जिलाध्यक्ष दुर्गाप्रसाद तिवारी आफत, जिला उपाध्यक्ष राधेश्याम मिश्र, रामभरत पांडेय, रमेश पांडेय, गुरुप्रसाद पांडेय, अरुणोदय तिवारी, रामतिलक पांडेय, डॉ. आरडी पांडेय, डॉ. शिवकुमार मिश्र, द्वारिका प्रसाद पांडेय, डॉ. रामतेज पांडेय, शिवाकांत तिवारी आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे। दर्शननगर स्थित सूर्यकुंड परिसर के स्थापना दिवस में विधायक इंद्रप्रताप तिवारी खब्बू, पूर्व मंत्री तेजनारायण पांडेय पवन, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, पूर्व जिला पंचायत सदस्य करुणाकर पांडेय आदि ने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष रामनारायण शुक्ल ने की तथा संचालन मानस तिवारी ने किया। सम्मेलन को राष्ट्रीय सरंक्षक रामानुज तिवारी, राष्ट्रीय महामंत्री यादवेश्वरदत्त मिश्र, सुनील पाठक, शीतला पाठक, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अवधेश मिश्र, विनय पांडेय, रमेश शुक्ल व डॉ. दिनेशकांत पांडेय आदि ने भी विचार रखे।