इकबाल पर अयोध्या को नाज : जन्मेजयशरण
इकबाल पर अयोध्या को नाज है। उन्होंने सुप्रीमकोर्ट का फैसला स्वीकार करने की जो घोषणा कर रखी थी उस पर पूरी
अयोध्या : इकबाल पर अयोध्या को नाज है। उन्होंने सुप्रीमकोर्ट का फैसला स्वीकार करने की जो घोषणा कर रखी थी, उस पर पूरी ²ढ़ता से खरे उतरे और भारतीयता की मिसाल बनकर पेश हुए हैं। यह उद्गार हैं, जानकीघाट बड़ास्थान के महंत एवं रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण न्यास के अध्यक्ष महंत जन्मेजयशरण के। वे अपने आश्रम जानकीघाट बड़ास्थान में मस्जिद के पक्षकार रहे मो. इकबाल अंसारी का अभिनंदन कर रहे थे।
उन्होंने कहा, इकबाल का पूरे देश में सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने अपने आचरण से रामराज्य की याद ताजा करते हुए 'सब नर करहि परस्पर प्रीती' के आदर्श को साकार किया है। महंत ने इस दौरान इकबाल के पिता मरहूम हाशिम अंसारी को भी याद किया और कहा कि अदालती लड़ाई अपनी जगह थी पर उन्होंने कभी सांप्रदायिक भेद-भाव नहीं किया और इकबाल अपने वालिद की परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं।
इकबाल ने महंत जन्मेजयशरण और अयोध्यावासियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। कहा, यहां पहले भी रामराज्य था, अभी भी है और आगे भी रहेगा। महंत जन्मेजयशरण एवं विरक्त आश्रम के महंत माधवदास ने सम्मान स्वरूप इकबाल और उनके साथ आए वकार अहमद को अंगवस्त्र, माला और टीका लगाया। महंत माधवदास ने कहा, इकबाल ने अपने आचरण से अयोध्या का दिल जीत लिया है। इस मौके पर बड़ी संख्या में साधु-संत मौजूद रहे।