Move to Jagran APP

अयोध्या से आत्मीय संबंध बना रही दुनिया : योगी

महर्षि आश्रम परिसर में मुख्यमंत्री ने किया विष्णु महायज्ञ का समापन परिभाषित किया रामनगरी का वैशिष्ट्य

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 11:06 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 11:06 PM (IST)
अयोध्या से आत्मीय संबंध बना रही दुनिया : योगी
अयोध्या से आत्मीय संबंध बना रही दुनिया : योगी

अयोध्या : दुनिया आज अयोध्या से आत्मीय संबंध बना रही है। अयोध्या में गत तीन दिसंबर को ही आयोजित दीपोत्सव के दौरान श्रीलंका के कलाकारों ने रामलीला का मंचन किया और इससे कुछ समय पूर्व ही श्रीलंका के उच्चायुक्त रामलला का दर्शन कर अशोक वाटिका की शिला अर्पित की। यह उद्गार हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के। वह पंचकोसी परिक्रमा मार्ग स्थित महर्षि आश्रम में 'श्री विष्णु सर्व अद्भुत शांति महायज्ञ' के समापन अवसर पर सभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में अयोध्या के प्रथम दीपोत्सव का उल्लेख करते हुए बताया कि उस अवसर पर कंबोडिया, लाओस, थाईलैंड के साथ इंडोनेशिया के भी कलाकारों के दल ने रामलीला की प्रस्तुति दी थी। कंबोडिया, लाओस और थाईलैंड जैसे हिदू संस्कृति के प्रभाव वाले देशों में रामलीला के चलन का औचित्य तो समझ में आ रहा था, कितु दुनिया की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के कलाकारों का रामलीला के प्रति अनुराग आश्चर्य में डालने वाला था और इस उत्सुकता का समाधान स्वयं इंडोनेशिया के कलाकारों ने मुख्यमंत्री को यह बताते हुए किया कि राम हमारे भी पूर्वज हैं, कभी हमारे पूर्वजों ने धर्म बदल लिया, कितु श्रीराम हमारे पूर्वज हैं, इस सच्चाई को नहीं बदला जा सका। मुख्यमंत्री ने श्रीराम को धर्म का साक्षात स्वरूप बताया। मुख्यमंत्री ने रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के साथ दिव्य अयोध्या के निर्माण के प्रयासों की जानकारी साझा की, तो यह भी याद दिलाया कि राम मंदिर को अपवित्र करने का काम मोहम्मद गोरी के पूर्व ही सालार मसूद गाजी ने किया था। मुख्यमंत्री ने कहा, भले ही ऐसे हमलों से हमारी भावनाओं को कुंद करने का प्रयास किया जाता रहा, कितु अयोध्या ऐसे हमलों के सामने कभी चुप नहीं रही और यही अयोध्या का वैशिष्ट्य है। वह न अन्याय करती है और न अन्याय सहती है। इससे पूर्व भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सदस्य सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, रामजन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण किसी सामान्य भवन का निर्माण नहीं है, बल्कि यह भारत के स्वाभिमान और वैभव की यात्रा है। इस देश की संस्कृति में गहरे तक निबद्ध धर्म की ओर संकेत करते हुए त्रिवेदी ने यह भी कहा कि यह देश धर्म निरपेक्ष नहीं हो सकता। इस मौके पर महापौर रिषिकेश उपाध्याय, विधायक वेदप्रकाश गुप्त, रामचंद्र यादव, श्रीमती शोभा सिंह चौहान एवं गोरखनाथ बाबा सहित जिलाध्यक्ष संजीव सिंह, महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र, भाजयुमो के प्रदेश महासचिव हर्षव‌र्द्धन सिंह भी मंच पर मौजूद रहे। मुख्यमंत्री सहित अन्य अतिथियों का स्वागत रामायण विद्यापीठ के प्रबंध न्यासी अजयप्रकाश ने किया। सभा का संचालन विद्यापीठ के निदेशक दिनेश पाठक ने किया।

prime article banner

-इनसेट-

अद्भुत अभिनंदनीय हैं महर्षि

- मुख्यमंत्री ने विष्णु महायज्ञ का समापन करने के साथ रामायण विद्यापीठ परिवार के प्रेरक-प्रणेता एवं दुनिया में भारतीय अध्यात्म और संस्कृति की अलख जगाने वाले महर्षि महेश योगी को भी नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा, महर्षि ने ऐसे दौर में भारतीय परंपरा, ज्ञान और मूल्यों को दुनिया के सामने प्रतिष्ठापित किया, जिस दौर की सरकारें स्वयं को सेक्युलर दिखाने के चक्कर में भारत और भारतीयता से मुख मोड़ने का प्रयास कर रही थीं। इस अवदान के लिए उन्होंने महर्षि के प्रयासों को अद्भुत और अभिनंदनीय बताया।

----------------

हवनकुंड में डाली आहुति, संतों के साथ किया भोजन

- मुख्यमंत्री ने महायज्ञ का समापन यज्ञ कुंड में आहुति डालकर किया और संतों के साथ पंक्तिबद्ध हो भोजन किया।

----------------

संतों की रही मौजूदगी

- विष्णु महायज्ञ के समापन अवसर पर रामनगरी के प्रतिनिधि संत मौजूद रहे। मौजूद रहने वालों में मणिरामदास जी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी अनंताचार्य, रामवल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमारदास, उदासीन ऋषि आश्रम के महंत डॉ. भरतदास, नाका हनुमानगढ़ी के महंत रामदास, लक्ष्मणकिलाधीश महंत मैथिलीरमणशरण, बावन मंदिर के महंत वैदेहीवल्लभशरण, रंगमहल के महंत रामशरणदास, दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, आंजनेय सेवा संस्थान के अध्यक्ष महंत शशिकांतदास, मंगलभवन पीठाधीश्वर रामभूषणदास कृपालु, गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड के मुख्यग्रंथी ज्ञानी गुरुजीत सिंह, हनुमानगढ़ी से जुड़े रामकुमारदास, महंत अर्जुनदास, महंत राजीवलोचनशरण, महंत दंतधावनकुंड के महंत विवेकाचारी, महामंडलेश्वर गिरीशदास, महामंडलेश्वर आशुतोषदास, आनंद शास्त्री, पार्षद रमेशदास, सरदार चरनजीत सिंह आदि सहित सौ से अधिक संत-महंत रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.