Ayodhya After Verdict : राम मंदिर के साथ रामकथा कुंज बनाना भी रहा न्यास का सपना
Ayodhya After Verdict 42 एकड़ में रामकथा कुंज बनाना भी रामजन्मभूमि न्यास का सपना रहा है। रामकथा कुंज की परिकल्पना मंदिर आंदोलन के शिल्पी दिवंगत अशोक सिंहल की थी।
अयोध्या [नवनीत श्रीवास्तव]। राम मंदिर के साथ ही यहां 42 एकड़ में रामकथा कुंज बनाना भी रामजन्मभूमि न्यास का सपना रहा है। रामकथा कुंज की परिकल्पना मंदिर आंदोलन के शिल्पी दिवंगत अशोक सिंहल की थी।
उन्होंने 1990 में इस परिकल्पना को संजोया था। सिंहल बातचीत में प्राय: कहा करते थे कि रामजन्मभूमि से लगा स्थान रामलला की लीला और क्रीड़ा स्थली है। यहां रामकथा कुंज विकसित कर रामलला की लीला-क्रीड़ा की स्मृति को जीवंत किया जाएगा, हालांकि जनवरी 1993 में विवादित स्थल से सटी 67.77 एकड़ भूमि अधिग्रहीत होने के साथ न्यास को रामकथा कुंज की दावेदारी से वंचित हो जाना पड़ा। इसके बावजूद न्यास ने राममंदिर के साथ रामकथा कुंज की आस नहीं छोड़ी। न्यास ने इसके लिए वर्ष 2014 में अलग से कार्यशाला की स्थापना कर तैयारियां आरंभ कर दी थीं।
रामघाट स्थित रामजन्मभूमि न्यास कार्यशाला से पांच सौ मीटर पूरब स्थित रामसेवकपुरम के प्रांगण में स्थापित रामकथा कुंज की कार्यशाला में प्रतिमाओं को आकार दिया जा रहा है। इस कार्यशाला में असम के मूर्तिकार रंजीत मंडल एवं उनके पिता नारायण मंडल पांच वर्षों से रामकथा से जुड़े प्रसंगों को मूर्तिबद्ध कर रहे हैं। भगवान राम के जन्म से लेकर गोलोक गमन तक विविध प्रसंगों का अंकन किया जाना है। हालांकि यह तभी होगा, जब न्यास को अधिग्रहीत भूमि वापस मिले। इस मसले पर विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा का कहना है कि फिलहाल भूमि केंद्र सरकार के पास है। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार भी इस दिशा में सकारात्मक पहल करेगी।
कल्याण सिंह ने न्यास को लीज पर दी थी जमीन
न्यास ने रामकथा कुंज के लिए वर्ष 1991 में तब कोशिशें शुरू की थीं, जब प्रदेश में पहली बार भाजपा सरकार बनी और कल्याण सिंह मुख्यमंत्री हुए। कल्याण सिंह ने न्यास के प्रयासों को ध्यान में रखकर विवादित भूमि के इर्द-गिर्द नजूल की 42 एकड़ भूमि न्यास के नाम सौ साल के लिए पट्टा कर दी।
न्यास के पदाधिकारियों ने इस भूमि पर कब्जा लेना भी शुरू कर दिया था। हालांकि वर्ष 1992 में विवादित इमारत के ध्वंस के बाद जनवरी 1993 में न्यास को पट्टा की गई 42 एकड़ सहित विवादित स्थल के इर्द-गिर्द 67.77 एकड़ भूमि केंद्र सरकार ने अधिग्रहीत कर ली। भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण एवं किसी का स्वामित्व निषिद्ध कर दिया गया।
जीवंत होगा भगवान राम का लीला प्रसंग
रामजन्मभूमि न्यास का उद्देश्य रामकथाकुंज के माध्यम से भगवान राम के जीवन से जुड़े विविध प्रसंगों को जीवंत करना है। इस प्रकल्प के तहत 125 से ज्यादा प्रतिमाएं निर्मित होनी हैं। भगवान राम के जन्म से लेकर उनकी बाल लीला, विवाह, वनगमन एवं लंका-विजय आदि प्रसंगों का अंकन किया जाना है। प्रत्येक प्रसंग में औसतन छह मूर्तियां और प्रसंग के अनुरूप अन्य छवियों का अंकन होना है।
अब तक पुत्रेष्टि यज्ञ से लेकर रामजन्म, बाललीला, वशिष्ठ के आश्रम में विद्या अध्ययन, विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा, ताड़का, सुबाहु वध, सीता जन्म, अहिल्या उद्धार, सीता स्वयंवर, वनवास के प्रसंगों को आकार दिया जा चुका है। यह मूर्तियां सीमेंट, सरिया और कंक्रीट के मिश्रण से बनाई जा रही है। इन मूर्तियों को इस तरह बनाया जा रहा है कि यह भगवान राम के बाल्यकाल से लेकर सरयू में गुप्त होने तक के सभी प्रमुख पहलुओं का अहसास कराए और उसको जीवंत बनाए।