After Ayodhya Verdict : धर्म और सत्य की जीत का विश्वास पुख्ता हुआ : महंत नृत्यगोपालदास
After Ayodhya Verdict महंत नृत्यगोपालदास अपने मिजाज के अनुरूप पूरी दृढ़ता से रामजन्मभूमि की मुक्ति के साथ मंदिर निर्माण का स्वप्न साकार करने में लगे रहे।
अयोध्या [रमाशरण अवस्थी]। महंत नृत्यगोपालदास उन चुनिंदा किरदारों में रहे हैं, राममंदिर से जिनका सरोकार शीर्ष धर्माचार्य के रूप में ही नहीं मंदिर आंदोलन के नायक की भी भूमिका में रहा है। वह उस पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं, जिसने साढ़े तीन दशक पूर्व मंदिर आंदोलन का आगाज किया और उन्होंने समय-समय पर आंदोलन की अगुवाई की। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष ने साल-दो साल में मंदिर निर्माण पूरा होने का भरोसा जताया है।
इस दौरान आंदोलन के साथ महंत नृत्यगोपालदास भी अनेक मोड़ से गुजरे। कुछ दौर ऐसे भी आए, जब आंदोलन के अंजाम को लेकर संशय भी पैदा हुआ पर महंत नृत्यगोपालदास अपने मिजाज के अनुरूप पूरी दृढ़ता से रामजन्मभूमि की मुक्ति के साथ मंदिर निर्माण का स्वप्न साकार करने में लगे रहे। आज जब यह आंदोलन अंजाम तक पहुंच गया है, तब महंत नृत्यगोपालदास से 'जागरण' ने विस्तार से बात की, जो इस प्रकार है-
सवाल : सुप्रीमकोर्ट का फैसला आने के बाद कैसा लग रहा है?
जवाब : हम रामलला पर भरोसा करने वाले लोग हैं और हमारा विश्वास कभी विचलित नहीं हुआ। कोर्ट का फैसला आने के बाद धर्म और सत्य की जीत का विश्वास पुख्ता हुआ है।
सवाल : फैसला आने के बाद रामलला के भव्य मंदिर की संभावना प्रशस्त हुई है। कब तक यह संभावना फलीभूत होगी?
जवाब : पहले शुरू तो होने दीजिए, बनते अधिक देर नहीं लगेगी। यह मंदिर करोड़ों रामभक्तों की आस्था का केंद्र है और उनका हरसंभव सहयोग तमाम प्रकार के संसाधनों की कोई कमी नहीं रहने देगा।
सवाल : आपको क्या लगता है, मंदिर निर्माण की शुरुआत कब तक होगी?
जवाब : ऐसा प्रतीत होता है कि अब माह - दो माह में मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए आवश्यक औपचारिकता पूरी कर ली जाएगी और इसी के साथ ही निर्माण की शुरुआत होगी।
सवाल : मंदिर निर्माण के लिए रामजन्मभूमि न्यास तीन दशक से तैयारी कर रहा है, आज यह तैयारी किस दौर में है?
जवाब : हमारी तो तैयारी पूरी है। प्रस्तावित मंदिर के लिए दो तिहाई पत्थरों की तराशी कर ली गई है। प्रथम तल का काम पूरा हो चुका है। औपचारिकता पूरी होते ही हम रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए तैयार हैं। इसके लिए वहां पत्थरों को मात्र ले जाने का काम बाकी है।
सवाल : सुप्रीमकोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए शासकीय न्यास के गठन का आदेश दिया है। ऐसे में रामजन्मभूमि न्यास की क्या भूमिका होगी?
जवाब : संभावित शासकीय न्यास और रामजन्मभूमि न्यास को अलग-अलग कर देखे जाने की जरूरत नहीं है और न्यास ने मंदिर निर्माण की जो तैयारी कर रखी है, उसे पूर्णता मिलेगी।
सवाल : रामजन्मभूमि मुक्ति का प्रयास 491 वर्ष पूर्व वहां बना मंदिर तोड़े जाने के साथ ही शुरू हो गया था। यह प्रयास अनेक रूपों में था। आज जब यह चिर प्रयास फलीभूत हुआ है, तो श्रेय किसे देंगे?
जवाब : न्यायालय ने जो किया, वह अभूतपूर्व है। मंदिर के लिए लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिया, वे भी हमारे लिए पूज्यनीय-प्रेरक हैं। 30 वर्ष पूर्व राममंदिर के लिए आंदोलन की शुरुआत करने वाला विहिप नेतृत्व भी कम अहम नहीं है पर निर्णायक प्रयास करने वाली अदालत के अलावा संतों का आशीर्वाद वह ताकत बना, जिसके बूते मंदिर का आग्रह समाधान तक तब्दील होने में कामयाब हुआ।
सवाल : मंदिर आंदोलन के कई शिल्पी आज नहीं हैं, आंदोलन की सफलता के अवसर पर उन्हें किस रूप में याद करेंगे?
जवाब : आज सभी आनंद में हैं, उनकी आत्मा भी जहां होगी, वहां आनंदित होगी।
सवाल : इस अहम अवसर पर देश के बारे में आपका क्या संदेश है?
जवाब : सर्वे भवंतु सुखिन:/ सर्वे संतु निरामया:/ सर्वे भद्राणि पश्यंतु/ मा कश्चित दुख भाग्भवेत। (सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त हों, सभी का जीवन मंगलमय बने और कोई भी दुख का भागी न बने)।