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निर्माणाधीन ओवरब्रिज में 92 लाख रुपये का गोलमाल

रुदौली रेलवे क्रॉसिग पर निर्माणाधीन ओवरब्रिज में सर्विस लेन निर्माण की आड़ में वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। चार वर्ष से बन रहे रेलवे समपार 143 बी उपरिगामी सेतु में आज तक सर्विस लेन नहीं बनी। लेकिन कागजों में सर्विस लेन के नाम पर कार्यदायी संस्था सेतु निगम ने 92 लाख से अधिक की धनराशि निकाल ली.

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 10:54 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 10:54 PM (IST)
निर्माणाधीन ओवरब्रिज में 92 लाख रुपये का गोलमाल
निर्माणाधीन ओवरब्रिज में 92 लाख रुपये का गोलमाल

रुदौली (अयोध्या) : रुदौली रेलवे क्रॉसिग पर निर्माणाधीन ओवरब्रिज में सर्विस लेन निर्माण की आड़ में वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है। चार वर्ष से बन रहे रेलवे समपार 143 बी उपरिगामी सेतु में आज तक सर्विस लेन नहीं बनी। लेकिन कागजों में सर्विस लेन के नाम पर कार्यदायी संस्था सेतु निगम ने 92 लाख से अधिक की धनराशि निकाल ली। विधायक रामचंद्र यादव ने वित्तीय अनियमितता की शिकायत उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से की है। विधायक की शिकायत के बाद हड़कंप मच गया। डिप्टी सीएम ने मामले को संज्ञान में लिया है। उप परियोजना प्रबंधक से स्पष्टीकरण मांगा है। वर्ष 2017 में सर्विस लेन के नाम पर सिर्फ 500 मीटर खंडजा लगाया गया था। सर्विस रोड बनाने में कुल 92 लाख 26 हजार रुपये खर्च दिखा निकालने का आरोप विधायक का है। यह धनराशि कई किस्तों में निर्माण शुरू होने के बाद से प्रति वर्ष निकाली जाती रही। विधायक के शिकायत करने के बाद सीपीएम गेंदा लाल व डीपीएम विजेंद्र कुमार का तबादला कर दिया गया। सेतु निगम के सहायक अभियंता रिजवान अहमद व अवर अभियंता अमर सिंह पर गंभीर आरोप लगे हैं। उनको प्रोजेक्ट से हटाने की मांग की गई है। एई व जेई दोनों गृह जिले में ही तैनात है। समय- समय पर जनप्रतिनिधियों से लेकर विभागीय अफसर निरीक्षण भी करते रहे लेकिन इंजीनियरों के इस खेल को पकड़ा नहीं जा सका।

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सेतु निगम के अभिलेखों के मुताबिक सर्विस लेन बनाने में वर्ष 2017-18 में 51 हजार, वर्ष 2018-19 में 11 लाख 13 हजार व वर्ष 2019-20 वित्तीय वर्ष के जून एक लाख 79 हजार, अगस्त में 48 लाख 20 हजार व दिसंबर में 30 लाख 63 हजार कुल 80 लाख 62 हजार रुपये निकाले गए। इस तरह 92 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता सामने आई है। ओवरब्रिज निर्माण में गिट्टी व कोर्स सैंड का टेंडर लगभग एक करोड़ रुपये का किया गया। निविदा समाप्त होने के बाद पुन: टेंडर न करके आपूर्ति आदेश के माध्यम से सामग्री क्रय कर अभियंताओं पर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का भी आरोप है। तत्कालीन डीपीएम विजेंद्र कुमार कहना है कि 92 लाख रुपए की धनराशि में से लगभग 60 लाख रुपए की धनराशि रिटेनिग वॉल से संबधित है। मुख्य परियोजना प्रबंधक को लिखित में अवगत कराया गया है। नवागत डीपीएम विश्वजीत सिंह ने बताया कि अभी वह जल्द ही आए हैं। प्रकरण संज्ञान में आया है। जनप्रतिनिधि ने शिकायत की है। जांच कराई जाएगी।

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पीएमओ तक हुई शिकायत

सामाजिक कार्यकर्ता संजय अग्रवाल ने सर्विस लेन न बनाने की शिकायत पीएमओ तक की है। इंजीनियरों ने सर्विस लेन का निर्माण नहीं कराया। सर्विस लेन न बनने से राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हर शिकायत के निस्तारण में सेतु निगम ओवरब्रिज का निर्माण होने के बाद सर्विस लेन का निर्माण कराने की बात कहता रहा।


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