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घोषित हुआ राजमार्ग, अब बढ़ेगा 84 कोस के अध्यात्मिक स्थलों का महत्व

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जिस 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राजमार्ग के तौर पर विकसित करने का एलान किया है वह करीब 275 किमी लंबा और बस्ती अयोध्या अंबेडकरनगर बाराबंकी और गोंडा में विस्तारित है। धार्मिक पर्यटन की ²ष्टि से यह पथ बेहद संभावनाशील है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 11:54 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 11:54 PM (IST)
घोषित हुआ राजमार्ग, अब बढ़ेगा 84 कोस के अध्यात्मिक स्थलों का महत्व
घोषित हुआ राजमार्ग, अब बढ़ेगा 84 कोस के अध्यात्मिक स्थलों का महत्व

अयोध्या : केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जिस 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राजमार्ग के तौर पर विकसित करने का एलान किया है, वह करीब 275 किमी लंबा और बस्ती, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी और गोंडा में विस्तारित है। धार्मिक पर्यटन की ²ष्टि से यह पथ बेहद संभावनाशील है। इस परिक्रमा मार्ग को रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा भी माना जाता है। रामायण में वर्णित करीब 151 आध्यात्म व श्रद्धा के केंद्र भी इसी पथ पर हैं। मार्ग में भगवान राम व अनेक दिग्गज ऋषियों, मुनियों से जुड़े स्थल हैं। ऋषि, मुनि भी ऐसे-ऐसे जिनका नाम लेने से ही मन पवित्रता के बोध भर जाता है, लेकिन पर्यटक इन स्थानों से या तो अनभिज्ञ हैं या फिर वहां तक आसानी से पहुंच नहीं पाते। मार्ग फोरलेन होने से इन पौराणिक स्थलों को वैभवपूर्ण ढंग से विकसित किया जा सकेगा और रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा भी नए सिरे से परिभाषित-प्रतिष्ठित होगी।

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रामनगरी की 84 कोस की परिधि में गोंडा के राजापुर गांव स्थित गोस्वामी तुलसीदास की जन्मभूमि व उनके गुरु नरहरिदास की कुटी पड़ती है। अष्टावक्र मुनि, जमदग्नि आश्रम, श्रृंगीऋषि आश्रम, आस्तीक ऋषि आश्रम, कपिलमुनि आश्रम, च्यवन मुनि आश्रम भी इसी पथ पर है। मखभूमि, आश्रम, सूर्यकुंड, सीताकुंड, रामरेखा, जनमेजयकुंड आदि पौराणिक स्थल हैं। 84 कोसी मार्ग के आसपास ही ऋषि पाराशर, गौतम, अगस्त, वामदेव आदि अनेक ऐसे दिग्गज ऋषियों के आश्रम हैं, जिन्होंने संस्कार, संस्कृति और अध्यात्म का ज्ञान दिया। इसके साथ ही दशरथ समाधि स्थल, गौराघाट, दुग्धेश्वर कुंड, नंदीग्राम भरतकुंड, पिचाशमोचन कुंड भी स्थित हैं। राजमार्ग बनने से इसपर पड़ने वाले संस्कृति, संस्कार और अध्यात्म के केंद्रों के भी विकसित होने की उम्मीद जग गई है।

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चैत्र पूर्णिमा से आरंभ होती है परिक्रमा

अयोध्या: साधु-संत व श्रद्धालुगण प्रतिवर्ष चैत्र पूर्णिमा से 84 कोसी परिक्रमा करते हैं। इसकी शुरुआत मखौड़ा से होती है। मखौड़ा बस्ती जिले में स्थित वही स्थान है, जहां श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ किया था। मखौड़ा से आरंभ होने वाली 84 कोसी परिक्रमा अयोध्या, अंबेडकरनगर, बाराबंकी, गोंडा होते हुए मखभूमि पर समाप्त होती है। करीब 20 दिनों तक परिक्रमा चलती है।

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रंग लाया सांसद लल्लू सिंह का प्रयास

अयोध्या: 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राजमार्ग घोषित करने की मांग सांसद लल्लू सिंह ने उठाई थी। अब उनका यह प्रयास रंग लाया है। लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी घोषणा की। सांसद लल्लू सिंह 2015 से ही इस मांग को उठा रहे थे। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2016 में 21 दिसंबर को जीआइसी में आयोजित कार्यक्रम में सांसद की मांग को स्वीकार किया था। सांसद लल्लू सिंह ने कहाकि परिक्रमा पथ राष्ट्रीय राजमार्ग के रूप में परिवर्तित होने से आध्यात्म, विकास व पयर्टन के संगम को प्रदर्शित करेगा। परिक्रमा पथ के निर्माण से आवागमन के लिए सरयू पर दरियाबाद विस क्षेत्र के मुर्तिहनघाट और शेरवाघाट गोसाईगंज पर पुलों की सुविधा भी श्रद्वालुओं व लोगों को मिलेगी। सांसद ने 84 कोसी परिक्रमा पथ को राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है।


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