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जामतारा, गिरिडीह की लोकेशन के साथ साइबर अपराधी बदल रहे ठगी के तरीके

सोहम प्रकाश इटावा झारखंड राज्य के दो शहर हैं जामतारा और गिरिडीह। साइबर क्राइम

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 09:04 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 09:04 PM (IST)
जामतारा, गिरिडीह की लोकेशन के साथ साइबर अपराधी बदल रहे ठगी के तरीके
जामतारा, गिरिडीह की लोकेशन के साथ साइबर अपराधी बदल रहे ठगी के तरीके

सोहम प्रकाश, इटावा झारखंड राज्य के दो शहर हैं जामतारा और गिरिडीह। साइबर क्राइम की जांच करने वाली पुलिस को प्राय: इन दो शहरों के साथ ही बिहार राज्य में साइबर अपराधियों की लोकेशन मिलती रही है। अब इनकी लोकेशन राजस्थान और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में ट्रेस होती है। यह तथ्य साइबर क्राइम यूनिट द्वारा कई केसों की जांच में सामने आया है, जागरण इसकी पुष्टि नहीं करता। संभव है, हाईटेक अपराधी पुलिस का शिकंजा बढ़ने से लोकेशन बदलने को विवश हुए हों अथवा इसमें भी गुमराह करने की चाल हो। बहरहाल साइबर अपराधी 'शिकार' फंसाने के लिए नये-नये तरीकों से बुना जाल फेंक रहे हैं। कथित इनामी योजनाओं की राशि हजारों से बढ़ाकर 20-25 लाख रुपये तक करने का प्रलोभन देते हैं। अधिकतर साइबर अपराधी फेक साइटों को प्रयोग में ला रहे हैं, जिससे लोगों को ठगी का एहसास न हो और उनका काम भी आसानी से हो जाए। जैसा कि नाम से प्रतीत होता है कि अमुक एक झूठी वेबसाइट है, जो हूबहू आपके बैंक के वेबसाइट, खरीदारी करने वाली साइट या पेमेंट गेट-वे जैसा इंटरफेस होता है। आनलाइन खरीदारी या कोई भी आनलाइन लेन-देन करने के लिए जैसे ही आप यहां अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिग का यूजरनेम, लागिन पासवर्ड, ट्रांजिक्शन पासवर्ड या ओटीपी इंटर करते हैं, तो वो इस डिटेल्स की कापी कर लेता है और बाद में इसका प्रयोग कोई भी गलत कार्यों के लिए कर सकता है। जिसको हम समझ नहीं पाते हैं कि यह गलत ट्रांजिक्शन कैसे हो गया। फेक वेबसाइट का संचालन एक संगठित ग्रुप के अपराधियों द्वारा ही किया जाता है। स्कीमर से कार्ड क्लोनिग स्वैपिग-शोल्डर सर्फिंग के बाद अब क्यूआर कोड स्कैनिग से खातों में सेंधमारी की जा रही है। इससे जांच एजेंसियां भी हैरान हैं। साइबर अपराधियों ने बैंकिग सिस्टम की सुरक्षा में सेंधमारी शुरू कर दी है। बैंकों की पारंपरिक सुरक्षा प्रणाली जालसाजी के सामने बौनी साबित हो रही है और आए दिन लोगों के खातों हजारों-लाखों रुपये निकल रहे हैं। एक अंजान लिक पर क्लिक करने से आपके खाते में जमा रकम चंद मिनट में पार हो सकती है। ठग अब प्रमुख कंपनियों के नाम से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। इनके निशाने पर आनलाइन शापिग करने वाले लोग सर्वाधिक हैं। जालसाज अब क्यूआर कोड के लिक के जरिये बैंक खाते हैक करने लगे हैं। ठग ओएलएक्स और फ्लिपकार्ट समेत अन्य वेबसाइट पर खरीदारी करने वाले लोगों को झांसे में ले रहे हैं। इस दौरान वह किसी सामान के क्रय-विक्रय की बात फाइनल कर आनलाइन पेमेंट की बात कहते हैं। इसके बाद लोगों को व्हाट्सएप नंबर पर एक लिक भेजते हैं। जैसे ही लोग उस लिक पर क्लिक करते हैं, ठग लोगों के मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर उनके खाते से रकम पार कर देते हैं। पुराना तरीका हो गया एटीएम का क्लोन साइबर ठगों ने अब ठगी का पैटर्न बदल दिया है। साइबर क्राइम यूनिट की एक चौकाने वाली जांच रिपोर्ट के मुताबिक कुछ समय पहले एक मामला सिम क्लोन का पकड़ में आया था। पहले एटीएम को हैक करना या उसका क्लोन तैयार कर हैकर्स द्वारा अकाउंट से रकम निकालने का तरीका अपनाया जाता रहा है। इसमें होता यह था कि जैसे ही आप एटीएम में जाते हैं, तो एटीएम मशीन में जहां आप कार्ड एंटर करते हैं, वहां पोर्टेबल स्कैनर फिक्स कर दिया जाता है। यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता कि सामान्य तौर पर कार्ड एंट्री प्वाइंट पर लाइट जलती रहती है, लेकिन स्कैनर में लगी एलईडी लाइट हमेशा आफ रहती है। जैसे ही आप कार्ड एंटर करते हैं कार्ड को एटीएम मशीन से पहले ही स्कैन कर उसकी इमेज एडीशनल ट्रैपिग डिवाइस में सेव कर ली जाती है। स्कैनर के जरिये एक बार एटीएम कार्ड का नंबर जानने के बाद एटीएम कार्ड का पिन हासिल करने की बारी आती है। पिन डालते हुए आप भले ही अकेले हों, लेकिन एटीएम मशीन के की-बोर्ड के ठीक ऊपर क्या कभी आपने गौर किया है। वहां कोई हिडेन कैमरा भी हो सकता है। ये कैमरा पिन नंबर डालते ही उसे कैप्चर कर लेते हैं। इसके बाद आपके एटीएम कार्ड नंबर और पिन समेत पूरा डाटा हैकर्स के पास पहुंच जाता है। जागरुकता बढ़ने से भले ही एटीएम क्लोन पुराना तरीका हो गया हो, लेकिन एटीएम जाने पर पूरी सतर्कता बरतने की जरूरत है। साइबर अपराध के तरीके -स्मैप ई-मेल : अनेक प्रकार के ई-मेल आते हैं, जिसमें ऐसे ई-मेल भी होते हैं जो सिर्फ कंप्यूटर को नुकसान पहुंचाते हैं। उन ई-मेल से सारे कंप्यूटर में खराबी आ जाती है।

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-हैकिग : किसी की भी निजी जानकारी को हैक कराना, जैसे उपयोगकर्ता का नाम या पासवर्ड और फिर उसमें फेरबदल करना।

-साइबर फिशिग : किसी के पास स्पैम ई-मेल भेजना ताकि वो अपनी निजी जानकारी दे और उस जानकारी से उसका नुकसान हो सके।

-वायरस फैलाना : साइबर अपराधी कुछ ऐसे साफ्टवेयर आपके कंप्यूटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं। इनमें वायरस वर्म, टार्जन हार्स, लाजिक हार्स आदि शामिल हैं। यह कंप्यूटर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं।

-साफ्टवेयर पाइरेसी : साफ्टवेयर की नकल तैयार कर सस्ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम है। इससे साफ्टवेयर कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है। साथ ही आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं।

-फर्जी बैंक काल : आपको जाली ई-मेल, मैसेज या फोन काल प्राप्त हो, जो आपके बैंक जैसा लगे, जिसमें आपसे पूछा जाए कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गई तो आपका खाता बंद कर दिया जाएगा या इस लिक पर सूचना दें। याद रखें कि कोई भी बैंक ऐसी जानकारी कभी इस तरह से नहीं मांगता। इसलिए भूलकर भी अपनी कोई जानकारी न बताएं।

-साइटों पर अफवाह फैलाना : बहुत से लोग सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादे समझ नहीं पाते और जाने-अनजाने में ऐसे लिक्स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर टेरेरिज्म की श्रेणी में आता है। 'साइबर क्राइम वर्ष दर वर्ष बढ़ रहा है। इसमें बैंक फ्रॉड के केस 90 फीसद से ज्यादा होते हैं। कोरोना काल से पहले ऐसे केस भी आ रहे थे, जिसमें साइबर अपराधी खुद को बोर्ड का अधिकारी बताते हुए परीक्षा में दो से 10 अंक बढ़वाने के लिए पांच से 10 हजार रुपये खाते में ट्रांसफर करने का झांसा देते थे। साइबर क्राइम पर नियंत्रण के लिए जागरुकता जरूरी है। इसके लिए हर चौथे दिन कार्यशाला हो रही है, जिसमें जनभागीदारी होती है। पोस्टर चस्पा किए जाने के साथ ही गांवों में सब इंस्पेक्टर जाकर जागरूक कर रहे हैं।'

ज्ञानेंद्र प्रसाद सिंह, एएसपी क्राइम


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