Move to Jagran APP

काहे की फिटनेस, मनमर्जी के मुताबिक चलाए जाते हैं वाहन

जागरण संवाददाता इटावा एक दौर था जब वाहन सड़क पर तभी चलाया जाता था जब पूर्णरूपेण फिटने

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 11:34 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 11:34 PM (IST)
काहे की फिटनेस, मनमर्जी के मुताबिक चलाए जाते हैं वाहन
काहे की फिटनेस, मनमर्जी के मुताबिक चलाए जाते हैं वाहन

जागरण संवाददाता, इटावा : एक दौर था जब वाहन सड़क पर तभी चलाया जाता था जब पूर्णरूपेण फिटनेस ओके होती थी। वर्तमान दौर में हालात काफी बदहाल हैं। गौरतलब पहलु तो यह है कि ऐसे वाहनों की फिटनेस पास हो जाती है जिनका स्थान कबाड़खाना में होना चाहिए। इसके अलावा वाहन निर्माता कंपनी द्वारा निर्धारित मानकों को दरकिनार करके मनमर्जी के मुताबिक वाहन की बनावट ही बदल दी जाती है। जुगाड़ वाहन, ट्रैक्टर ट्राली के अलावा अन्य कई तरीके के वाहन लोकल स्तर पर बनाकर बगैर किसी अनुमति के सड़कों पर दौड़ाए जा रहे हैं। परिवहन विभाग को शायद इस ओर देखने की भी फुर्सत नहीं है। इससे सबकुछ रामभरोसे बना हुआ है, यात्रियों को विवशता के तहत जान की परवाह किए बगैर ही ऐसे वाहनों में सफर करना पड़ रहा है।

loksabha election banner

फिटनेस के प्रति सजगता बरतने का दायित्व तो मुख्य रूप से वाहन स्वामी का है, इसके साथ परिवहन विभाग का भी दायित्व है कि सड़क पर कोई भी वाहन निर्धारित नियमों और मानकों के विपरीत नहीं चले। वर्तमान दौर में नियम ताक पर रखकर सबकुछ मनमर्जी के मुताबिक हो रहा है। सड़कों पर सवारियों और माला भाड़ा ढोने वाले वाहनों को देखा जाए तो सबकुछ भगवान भरोसे ही प्रतीत होता है। हालात इसकदर बदहाल है कि आम यात्रियों की जान जोखिम में डालकर वाहन सड़कों पर दौड़ाए जा रहे है। कई स्लीपर लक्जरी बसें व अन्य कई यात्री वाहन फिटनेस तो दूर अन्य कई तरह के मानकों के विपरीत पाए जाते हैं। जिनसे कई भयावह हादसे घटित हो चुके हैं, इसके बावजूद वाहनों की फिटनेस के प्रति सजगता नहीं बरती जा रही है। न रजिस्ट्रेशन और न फिटनेस

निरंतर बढ़ रहे हैं जुगाड़ वाहनों की पीछे यह भी सच है कि इन वाहनों का रजिस्ट्रेशन और फिटनेस की जरूरत ही नहीं है। इससे हर क्षेत्र में जुगाड़ वाहन बढ़ रहे है। पहले पंजाब में जीप के चेसिस पर जुगाड़ वाहन बनाया गया जिससे कृषि कार्य होता था। पंजाब से यह वाहन समूचे उत्तर भारत में फैल गया जो कृषि कार्य ही नहीं अपितु सवारियों तथा मालभाड़ा ढोने के काम आने लगा। इसके साथ स्कूटर और मोटर साइकिलों के जुगाड़ वाहन बनाए। अब गन्ना का रस पिलाने और अन्य कई कार्य करने के लिए जुगाड़ वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं। ऑटो में बढ़ा दी जाती हैं सीटें

हर वाहन कंपनी ने थ्री व्हीलर तीन और सात सवार के लिए बनाए हैं। इनमें सभी ऑटो वाले लोहे के जाल और सीटे बढ़ाकर कंपनी के वाहन का मॉडल ही बदल देते है। यह ऑटो सरपट दौड़ रहे हैं गौरतलब पहलू तो यह है कि परिवहन इसी रूप में इनकी फिटनेस भी पास कर देता है। सात सीटर में 15 से 20 तो तीन सीटर में आठ से दस सवारियां खुलेआम बैठाकर दौड़ाए जा रहे है। इस ओर किसी को देखने की फुर्सत तक नहीं है। ट्रॉली बना दी गई है ट्रॉला

एक दौर था जब ट्रैक्टर में पांच फीट चौड़ा और आठ फीट लंबाई की ट्राली बनवाकर फसल ढोने के लिए बनवाई जाती थी। बीते तीन दशक से यह ट्राली ट्राला में परिवर्तित कर दी गई है। अब आठ फीट चौड़ी और 15 फीट लंबा ट्राला बनाया जा रहा है। यह ट्राला 12 से 15 टन वजन ढो रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष नजारा रेलवे मालगोदाम पर देखा जा सकता है। अधिकतर ट्रैक्टर ट्राला लेकर कृषि के बजाए व्यवसायिक कार्य कर रहे हैं। दो पहिया वाहनों की फिटनेस नहीं

दो पहिया वाहनों में फिटनेस का कोई महत्व नहीं है, पूर्व में अधिकांश वाहन चालक वाहन भारी हो या हल्का टायरों की हवा, स्टेयरिग कट, ब्रेक, लाइट और हार्न चेक करके वाहन चलाते थे। वर्तमान दौर में यह सब गुजरे जमाने की बात हो गई है। अब सीधे चाबी लगाकर वाहन दौड़ा दिए जाते हैं, खराबी होने पर मैकेनिक ही चेक करके बताता है कि फलां कमी है। दो पहिया वाहनों की फिटनेस के कोई मायने ही नहीं रहे सबकुछ भगवान भरोसे चल रहा है। रेडियम पट्टी-रिफ्लेक्टर तक नहीं

जुगाड़ वाहन और ट्रैक्टर ट्राली बेतहाशा दौड़ रहे हैं। इन वाहनों में लाइटें तो भगवान भरोसे ही जलती है। गौरतलब पहलु तो यह है कि रात के साए में साइकिल में छोटा सा लगा रिफ्लेक्टर चमकता नजर आता है लेकिन कई लाखों की कीमत के ट्रैक्टर-ट्राली में कुछ रुपयों के रिफ्लेक्टर और रेडियम पट्टी नजर नहीं आती हैं। अब तो हालत इसकदर बदहाल है कि एक ट्रैक्टर के पीछे दो ट्राली लगी होती है जिससे अन्य वाहन ओवरटेक करने से कतराते हैं। सही मायनों में सबकुछ रामभरोसे चल रहा है। शो-पीस बना 62 लाख का फिटनेस सेंटर

परिवहन विभाग ने फिटनेस के प्रति सजगता बरतने के तहत एआरटीओ कार्यालय परिसर में वाहनों की समुचित फिटनेस चेक करने के लिए करीब 62 लाख रुपये की लागत का कंप्यूटरीकृत फिटनेस सेंटर का निर्माण कराया था। बीते पांच सालों से यह शो-पीस बना हुआ है। सभी वाहनों की फिटनेस सड़क पर ही पास हो रही है। मानक पूरे होने पर ही फिटनेस पास

परिवहन विभाग के आरआइ विवेक खरबार का कहना है कि वाहनों की फिटनेस मानक पूरे होने पर ही पास होती है। सड़क पर वाहनों का ट्रायल लिया जाता है, जिसमें सीट बेल्ट से लेकर स्टेयरिग प्ले, ब्रेक, बाइफर, हेडलाइट्स व अन्य तकनीकी मानकों को देखा जाता है उसके बाद ही फिटनेस पास की जाती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.