जरूरत भर उर्वरक का प्रयोग करें, भरपूर उत्पादन पाएं
जागरण संवाददाता इटावा धान उत्पादक किसान भरपूर उत्पादन पाने के लिए अपनी भूमि के मृदा परी
जागरण संवाददाता, इटावा : धान उत्पादक किसान भरपूर उत्पादन पाने के लिए अपनी भूमि के मृदा परीक्षण कार्ड के अनुरूप जरूरत होने पर ही उर्वरक का प्रयोग करें। कम-ज्यादा मात्रा में उर्वरक के प्रयोग से उत्पादन प्रभावित होता है। बारिश समय-समय पर होने से सिचाई की दिक्कत नहीं होगी।
जनपद को धान का कटोरा कहा जाता है। करीब 55 हजार हेक्टेयर भूमि में धान का उत्पादन किया जाता है। पूर्व में अधिकांश किसान हाइब्रिड प्रजाति के धान का उत्पादन करते थे। कृषि वैज्ञानिकों की सलाह तथा बाजार में बासमती व सुगंधा धान का भाव हाइब्रिड की तुलना में दो से तीन गुना अधिक होने से प्रगतिशील किसान इन प्रजातियों का भी धान का उत्पादन करने लगे हैं। इस साल कृषि विभाग ने रबी की फसल से पूर्व ही जनपद के अधिकतर किसानों की खेतिहर भूमि का मृदा परीक्षण कराकर परीक्षण कार्ड के अनुरूप बीज, उर्वरक का प्रयोग करने के लिए सजग किया जिससे गेहूं का उत्पादन अनुमान के मुताबिक बेहतर हुआ यदि बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि न होती तो शायद रिकार्ड उत्पादन होता है।
धान उत्पादन के लिए पर्याप्त बारिश की आवश्यकता होती है। बीते माह जुलाई में पर्याप्त बारिश न होने से किसान आसमान की ओर निहार रहे थे। बीते सप्ताह से कई बार झमाझम बारिश होने से किसान खुश हैं। ऐसे में उर्वरक का प्रयोग सही तरीके से किया जाए इसके लिए विभाग सजग कर रहा है। मृदा परीक्षण कार्ड में खेतिहर भूमि की मिट्टी का परीक्षण करके उसमे कितने उवर्रक, बीज तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां कार्ड में दर्ज की गई हैं।
सभी किसान परीक्षण कार्ड के मुताबिक उवर्रक का प्रयोग करें। जनपद में अभी तक जितनी बारिश हो रही है उससे धान का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा बल्कि बेहतर उत्पादन होगा।
एके सिंह, उप निदेशक कृषि कार्ड से बेहतर परिणाम
किसान सुनील यादव बॉबी का कहना है कि मृदा परीक्षण कार्ड के अनुरूप गेहूं की फसल उत्पादन करने से बेहतर परिणाम मिले थे। उसी के अनुरूप अब धान का उत्पादन किया जा रहा है। अभी तक बारिश पर्याप्त हो रही है इससे धान की फसल समूचे क्षेत्र में अच्छी नजर आ रही है। कार्ड से खर्चा हुआ कम
किसान सुनील शाक्य का कहना है कि मृदा परीक्षण कार्ड बनने से खर्चा कम हो गया है पूर्व में खाद का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करते थे। अब रासायनिक और जैविक खाद का समुचित प्रयोग करने से उत्पादन बेहतर होगा। नई-नई प्रजातियां आने से पूर्व की तुलना में धान का उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो रही है।
किसान विनीत कुमार का कहना है कि कृषि वैज्ञानिकों की सलाह के मुताबिक खेती करने से क्षेत्र में धान का उत्पादन इस साल बेहतर होगा। अभी तक मौसम भी साथ दे रहा है। अभी तक फसल में कोई दिक्कत नहीं हैं, अधिकांश खेती आधुनिक तरीके से की जा रही है। इससे उत्पादन बेहतर हो रहा है। अधिकांश किसान एक-दूसरे जानकारी देकर सजग कर रहे हैं।
प्रति हेक्टेयर 31.12 क्विटल का लक्ष्य
जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन सिंह ने बताया कि बीते साल 2019 में जनपद में धान का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 30.85 क्विटल हुआ था। इस साल 2020 में प्रति हेक्टेयर 31.12 क्विटल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभी तक जिस तरह बारिश हो रही है, उससे उत्पादन बेहतर होने की उम्मीद है। मिट्टी अच्छी होने से बढ़ती है पैदावार
जनपद की मिट्टी धान की फसल के लिए मुफीद है। इसलिए यहां पर धान की पैदावार अच्छी होती है। इसीलिए इस क्षेत्र को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां के पैदा हुए धान की मांग प्रदेश के तराई इलाके सहित बिहार व पश्चिम बंगाल तक होती है। शहर व भरथना धान मिल के प्रमुख केंद्र हैं।