इटावा-आसपास---निर्माणाधीन रेल ओवरब्रिज का जाल गिरने से पांच मजदूर दबे, तीन घायल
संवाद सहयोगी भरथना (इटावा) दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन पर कंधेसी फाटक संख्या 21सी के समीप
फोटो-32 से 35)
- दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन पर कंधेसी क्रासिंग पर हुआ हादसा
- दो घंटे चले रेस्क्यू में सभी घायल मजदूरों को निकाला, एक रेफर
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संवाद सहयोगी, भरथना (इटावा) : दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर निर्माणाधीन ओवरब्रिज के लोहे के साढ़े छह मीटर ऊंचे पिलर का लोहे का जाल (कालम) गिरने से पांच मजदूर दब गए। कंधेसी फाटक संख्या 21सी के पास हुए हादसे में दो मजदूर सुरक्षित निकल आए जबकि तीन मजदूर घायल हो गए। करीब 2.10 घंटे चले राहत कार्य के बाद सभी को निकालकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) भेजा गया। एक गंभीर घायल को जिला अस्पताल रेफर किया गया है।
डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर (डीएफसी) तथा दिल्ली-हावड़ा रेल मार्ग की एक ही रेलवे क्रासिग होने से यहां जाम की समस्या रहती है। ग्रामीणों की मांग पर इस पुल का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। यहां जीएसपीसील कंपनी रेल ओवरब्रिज बना रही है। तहसील की ओर से बने लोहे के दो जालनुमा (कालम) पिलर पर ठेके पर मजदूरों से काम कराया जा रहा था। दोनों पिलरों के अंदर तथा बाहर जाल में तार कसा जा रहा था। अचानक दोनों लोहे के जालनुमा पिलर ढहने से उसमें कार्य कर रहे पांच मजदूर बरेली के थाना भमोरा के ग्राम नगला नया निवासी सत्यपाल, सतीश, वीरेश, श्यामबाबू और योगेश लोहे के पिलर के अंदर फंस गए। इनमें श्यामबाबू और योगेश अन्य मजदूरों की मदद से सुरक्षित बाहर निकल आए जबकि सतीश, वीरेश और सत्यपाल जाल के अंदर फंस गए। उनके फंसे होने की जानकारी पर थाना प्रभारी कृष्णलाल पटेल, एसएसआइ दीपक कुमार सहित कंधेसी निवासी समाजसेवी दीपक तिवारी व अन्य ग्रामीण तीनों मजदूरों को निकालने में जुट गए लेकिन जाल भारी होने के कारण उन्हें नहीं निकाल पा रहे थे। थाना प्रभारी ने दमकल टीम को बुला लिया। इस बीच साथियों को जाल के अंदर फंसा देख अन्य मजदूरों ने आरी ब्लेड से जाल की मोटी सरिया काटीं। करीब दो घंटे मशक्कत के बाद लोहे के जाल को काटकर तीनों मजदूरों को निकालकर सीएचसी भेजा गया। सतीश को गंभीर हालत में जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। बाकी को प्राथमिक उपचार के बाद घर भेज दिया गया। उपजिलाधिकारी विजयशंकर तिवारी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर कहा कि जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
मजदूरों को नहीं दिए गए थे सुरक्षा उपकरण
पिलर के आसपास कार्यदायी संस्था ने कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं की थी। मजदूरों के पास सुरक्षा उपकरण भी नहीं थे। सुरक्षातंत्र मजबूत होता तो शायद हादसा नहीं होता। रेलवे अधिकारी इस पर चुप्पी साधे हैं।