प्रत्येक अवसर के लिए तैयार रहना ही उर्वशी की सफलता का रहस्य
गौरव डुडेजा इटावा कोरोना काल में अचानक आई आपदा से कई लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गय
गौरव डुडेजा, इटावा :
कोरोना काल में अचानक आई आपदा से कई लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। इस आपदा से लाखों लोग पीड़ित हुए। लेकिन कुछ फ्रंटलाइन वर्कर्स ने इस आपदा के समय भी उत्कृष्ट सेवाभाव से कार्य कर सिद्ध किया कि वह अपनी सूझबूझ से हर अवसर के लिए तैयार हैं और यही उनकी सफलता का रहस्य है। उन्होंने महिलाओं की जहां हौसला अफजाई की वहीं अस्पताल में आने वाले महिला मरीजों की खास तौर पर सेवा की।
डा. भीमराव आंबेडकर पुरुष चिकित्सालय में सहायक नर्सिंग अधीक्षक के पद पर कार्यरत उर्वशी दीक्षित ने भी कोरोना काल में अपने सेवाभाव से एक बार फिर सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा। उनकी उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लगभग 200 प्रशस्ति पत्र व प्रमाण पत्र जनपद व राज्य स्तर उन्हें प्रदान किए जा चुके हैं। दूसरों की मदद करना और विपरीत परिस्थितियों में भी सेवाभाव से काम करना उन्होंने अपने पिताजी से सीखा। जब देश में लाकडाउन लगाया गया उस समय अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में मास्क भी उपलब्ध नहीं थे। तब उन्होंने खुद मास्क सिलकर स्वास्थ्य कर्मियों, सफाई कर्मियों को वितरित किए। इतना ही नहीं उन्होंने इस संकट काल में कई महिलाओं को भी अपने साथ जोड़ लिया और वे उनका हाथ बंटाने लगी।
उर्वशी ने स्वयं ही सारे अस्पताल में सैनिटाइजेशन का काम किया और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को साफ-सफाई व कोरोना से बचाव के लिए जागरुक किया। उर्वशी अस्पताल में ड्यूटी खत्म करने के बाद देर रात तक कम्युनिटी किचन में भी जाकर सहयोग प्रदान करती थी। अस्पताल में मरीजों व इटावा जनपद से गुजरने वाले प्रवासियों के भोजन की व्यवस्था वह स्वयं देखती थी। वह बताती हैं कभी-कभी खाने के पैकेट कम पड़ जाते थे तो वह स्वयं कम्युनिटी किचन में जाकर खाना बनवाने का काम भी करती थीं।
चिकित्सालय के चिकित्सालय प्रबंधक डा. निखिलेश ने बताया उर्वशी कई वर्षों से ओटी इंचार्ज की भूमिका निभा रही हैं। उनका कार्य बहुत ही अच्छा है। साथ ही उनकी कार्यशैली से मरीज भी उनकी सराहना करते हैं। उन्होंने बताया लगभग प्रतिवर्ष उनको उनके कार्यों के लिए हास्पिटल द्वारा प्रमाण पत्र व प्रशस्ति पत्र मिलता है जो उनकी कार्यशैली को कहीं न कहीं परिभाषित करता है। अभी हाल ही में कायाकल्प व एनक्यूआस ओटी एसेसमेंट में उनका कार्य बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में जब ओपीडी बाधित थी तब उन्होंने कई गरीब मरीजों व प्रवासी मजदूरों महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कीं।
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महिलाओं को बनाया सशक्त
उर्वशी बताती हैं कि जायंट्स ग्रुप आफ इटावा के माध्यम से उन्होंने ऐसी महिलाओं को घर बाहर निकाला जो निकलना नहीं चाहती थी। उनको लेकर अपने ग्रुप के माध्यम से सशक्त बनाया और उनका मनोबल बढ़ाया। आज वे सक्रिय हैं। महिलाओं को अलग-अलग तरह के कार्यक्रम जैसे मेहंदी सिखाना, ढोलक सिखाना, सिलाई सिखाना, जूडो कराटे की ट्रेनिग दिलवाना भी शामिल है जिससे लड़किया अपना भविष्य सुरक्षित कर सकें। उन्होंने अपनी दो बेटियों को भी स्वावलंबी बनाया, एक बेटी पीएचडी कर चुकी है और वह ऐसे बच्चों पर काम कर रही है जिनको सुनाई नहीं देता। उसने कई लड़कियों की शादी भी कराई। 90 वर्षीय सास व वृद्ध ननद की सेवा करना उनकी दिनचर्या में शामिल है। 21 अगस्त 2021 को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उन्हें मिशन शक्ति सम्मान दिया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा देश का सर्वोच्च पुरस्कार नर्सिंग के लिए फ्लोरेंस नाइटिगेल पुरस्कार 15 सितंबर 2021 को प्रदेश में इकलौता उन्हें भी प्राप्त हुआ।