मूंगफली की नई प्रजाति बनी मुसीबत
जागरण संवाददाता, इटावा : मूंगफली गिरनार-2 प्रजाति का प्रदर्शन जनपद में फेल हो गया है। इस प्र
जागरण संवाददाता, इटावा : मूंगफली गिरनार-2 प्रजाति का प्रदर्शन जनपद में फेल हो गया है। इस प्रजाति की मूंगफली का दाना न निकलने से उत्पादन करने वाले किसानों की चार माह की लगातार मेहनत और लागत पर पानी फिर गया है। किसान बीज खराब मानकर मुआवजा प्रदान कराने की गुहार लगा रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र पर इस प्रजाति का प्रदर्शन कराकर किसानों को राष्ट्रीय बीज विकास निगम कानपुर का बीज दिया गया था। ब्लाक बसरेहर क्षेत्र के ग्राम खड़कौली, यासीनगर तथा खुड़ीसर के किसानों ने इसका उत्पादन करने के लिए बीते माह मार्च में बुवाई की थी। इसके बाद निरंतर देखरेख करके फसल को तैयार जुलाई के प्रथम सप्ताह में फसल का समय पूरा हो गया। अधिकांश किसानों ने मूंगफली की फसल देखी तो फसल हरी नजर आई लेकिन दाना नहीं निकला। ग्राम खड़कौली के किसान अर¨वद तिवारी पुत्र ब्रह्माशंकर ने बताया कि चार बीघा खेत में इस प्रजाति का बीज कृषि विज्ञान केंद्र से पाकर बीते 15 मार्च को बुवाई कर दी थी। उस समय कृषि वैज्ञानिकों ने कहा था कि गिरनार-2 फायदेमंद प्रजाति है जो 120 दिन में तैयार हो जाती है। एक बीघा में 4 से 5 ¨क्वटल मूंगफली प्राप्त होगी। बाजार में करीब तीन हजार रुपये प्रति ¨क्वटल की दर से बेची जा सकती है। इस उम्मीद पर चार माह लगातार मेहनत करके फसल देखरेख की, समय पूर्ण होने पर मूंगफली का दाना ही निकला। सदर विधायक सरिता भदौरिया से लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं परंतु कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बीज निगम मुआवजा करे प्रदान मूंगफली उत्पादक किसानों का कहना है कि अधिकांश किसानों के पास बीज का खाली पैक और टैग सुरक्षित है। यह बीज राष्ट्रीय बीज निगम ने प्रदान किया है। इससे निगम को सभी पीड़ित किसानों को मुआवजा देना चाहिए। ऐसा न होने पर किसान यूनियन के माध्यम से आंदोलन करना पड़ेगा। यह दशा अकेले ब्लाक बसरेहर क्षेत्र के ही किसानों की नहीं अपितु जसवंतनगर, सैफई तथा ताखा ब्लाक क्षेत्र के किसानों की भी है। उच्च तापमान से उत्पादन प्रभावित कृषि वैज्ञानिक अतहर हुसैन वारसी का कहना है कि यह हालत इसी जनपद की नहीं है। फर्रुखाबाद, सीतापुर तथा औरैया में इस प्रजाति के मूंगफली उत्पादक किसानों का भी है। जांच करने पर पाया गया है कि उच्च तापमान होने पर इस प्रजाति का उत्पादन प्रभावित हो जाता है। बीते माह मई-जून में अत्याधिक तापमान होने से यह स्थिति हुई है। जहां तापमान इस प्रजाति के अनुकूल रहा वहां सही दाना निकला है।