Move to Jagran APP

कोरोना काल में कवियों की रचनाशीलता बढ़ी

गौरव डुडेजा इटावा हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर का कहना है कि

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 10:32 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 10:32 PM (IST)
कोरोना काल में कवियों की रचनाशीलता बढ़ी
कोरोना काल में कवियों की रचनाशीलता बढ़ी

गौरव डुडेजा, इटावा

loksabha election banner

हास्य व्यंग्य के सुप्रसिद्ध कवि पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर का कहना है कि कोरोना काल में काफी बदलाव कवियों में आया है। हालांकि कोरोना ने कवियों के लिए रोना जरूर बढ़ा दिया लेकिन कवियों की रचनाशीलता बढ़ी है। वे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में इटावा महोत्सव में भाग लेने आए हुए थे। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कवियों ने मंच के लिए बहुत कुछ लिखा है। घर में स्वअध्याय करने का मौका मिला। देश के प्रतिष्ठित कवियों की कई किताबें बाजार में आ गई हैं। यह सुखद अनुभव है। उनकी भी नई किताब गई दुनियां, नई दुनियां बाजार में आ चुकी है।

उन्होंने कहा कि हास्य व्यंग्य जिदगी के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि ऐसा नहीं है कि इसका दूसरा पक्ष भी है। यह रुलाता भी है। हंसना जिदगी के लिए परम आवश्यक है। यह उतना ही जरूरी है कि अगर मौत सामने खड़ी होती है और व्यक्ति खिलखिलाकर हंस लेता है तो मौत भी एक पल के लिए ठहर जाती है।

हिदी कविता के बारे में डॉ. अशोक चक्रधर ने कहा कि यह सही है कि युवाओं में हिदी के प्रति आज उतना क्रेज नहीं है। कंप्यूटर जरूर बाजार में आ गया और लोग यही समझते हैं कि कंप्यूटर अंग्रेजी की भाषा जानता है। लेकिन यह भ्रम है। नई पीढ़ी को हिदी के प्रति लगाव रखना चाहिए। यह अपने देश की भाषा है। नए कवियों को आगे लाने के लिए वे 100 करोड़ का कवि कार्यक्रम भी टीवी पर कर रहे हैं। यह कार्यक्रम किसान चैनल पर आ रहा है। जिसमें हिदी कविता के प्रति प्रेम रखने वाले युवाओं को तराशा जा रहा है।

नई प्रतिभाओं की सोच को बदलने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि रविवार को वे लखनऊ में ख्वाजा मुईनउद्दीन चिस्ती भाषा विश्वविद्यालय के अधिष्ठान समारोह में भाग ले रहे हैं। वहां पर दीक्षांत भाषा देने जाएंगे। नीरज की जन्म स्थली को किया प्रणाम डॉ. अशोक चक्रधर ने सुप्रसिद्ध कवि गोपाल दास नीरज की जन्मस्थली को भी सलाम किया। उन्होंने बताया कि गोपालदास नीरज की जन्मस्थली है। जो देश के सुप्रसिद्ध कवि हुए हैं। नीरज ने संघर्ष के दम पर देश में अपना नाम कमाया था। वे कचहरी स्थित उस स्थान पर भी गए जहां नीरज ने टाइपिस्ट की नौकरी की थी। उन्होंने उस स्थान को प्रणाम भी किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.