वातावरण में छाया स्मॉग, सांस लेने में हो रही दिक्कत
जागरण संवाददाता इटावा बीते बुधवार की शाम से मौसम ने फिर से बदलाव हो गया। आसमान में घने
जागरण संवाददाता, इटावा : बीते बुधवार की शाम से मौसम ने फिर से बदलाव हो गया। आसमान में घने बादल छाने तथा हल्की ठंडी हवा चलने से तापमान में गिरावट हुई। सवेरा होने पर समूचे वातावरण में स्मॉग सा छा गया, जिससे लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई। सुबह करीब साढ़े नौ बजे सूरज की हल्की चमक नजर आई जो सारा दिन कायम रही। तापमान सुबह न्यूनतम 13 तो दोपहर में अधिकतम 31 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बीते चार दिनों से लगातार आतिशबाजी के धमाके तथा पराली व कूड़ा जलाए जाने से प्रदूषण भी तेजी से बढ़ रहा है जिसके तहत वायु प्रदूषण 139 एक्यूआइ पर पहुंच गया। मौसम की मार से आम जनमानस आहत है।
बीते सप्ताह से कैस्पियन सागर से चली पछुआ हवा लगातार ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान होते हुए पंजाब-हरियाणा, दिल्ली से पूर्वी ओर उत्तर प्रदेश-बिहार की ओर तेजी से बढ़ रही है। पराली, कूड़ा, आतिशबाजी व अन्य कई तरह से फैलाए जा रहे प्रदूषण से वायु प्रदूषण निरंतर बढ़ रहा है। इससे वातावरण में स्मॉग सा छाने लगा है। महानगरों में कारखानों तथा वाहनों के बेतहाशा आवागमन तथा निर्माण कार्य से यह और ज्यादा बढ़ रहा है। हाल फिलहाल कोई चक्रवात न बनने से पहाड़ों पर बर्फबारी तथा मैदानी क्षेत्र में बारिश की संभावना नहीं है इससे प्रदूषण का प्रकोप और ज्यादा बढ़ रहा है। इस ओर अभी से सजगता नहीं बरती गई तो हालात और ज्यादा खराब होने की आशंका प्रकट की जा रही है। शरद पूर्णिमा से पूर्व मौसम सामान्य था, वायु प्रदूषण 65-70 के आसपास था, गुरुवार सुबह स्मॉग छाने पर 139 एक्यूआइ दर्ज किया गया।
पराली के साथ आतिशबाजी से प्रदूषण
प्रशासन के तमाम दावों के बावजूद जनपद में पराली जलाना थम नहीं रहा है। अधिकांश धान उत्पादक किसान खेतों में पराली जला रहे हैं। दूसरी ओर शरद पूर्णिमा पर टेसू-झेंझी विवाह शहर से लेकर देहात में किए जाने के दौरान आतिशबाजी के धमाकों का दौर शुरू हुआ था जो थम नहीं रहा है। बीती रात करवाचौथ पर्व पर प्रतिबंधित पटाखों से देर रात तक धमाके किए जाने से वातावरण में जमकर प्रदूषण बढ़ा। सवाल यह है कि अभी तक किसी को फुटकर आतिशबाजी बेचने के लिए लाइसेंस नहीं दिया गया है, फिर यह लाखों रुपये की आतिशबाजी कौन बेच रहा है।
चश्मा और मास्क का करें प्रयोग
स्मॉग के रूप में छा रहे प्रदूषण से बचाव के लिए आंखों पर चश्मा तथा मुंह पर मास्क लगाकर ही आवागमन करें। जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही हो वे चिकित्सक से चेकअप कराएं। सड़क व अन्य प्रकार के निर्माण कार्य में छाया करें तथा मिट्टी के कार्य में पानी का छिड़काव करें। पराली ही नहीं अपितु कूड़ा तथा पॉलीथिन कतई न जलाएं।
कृषि वैज्ञानिक निरंतर किसानों को पराली न जलाने के लिए सजग कर रहे है। पूर्व की तुलना में इस ओर सुधार हुआ है। प्रदूषण से बचाव के लिए सभी को सजगता बरतनी चाहिए। अभी चक्रवात न बनने से ओजोन लेयर भी धरातल से टकरा रही है इससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ रहा है। दीपावली के बाद मौसम में सुखद परिवर्तन होगा।
- एसएन सुनील पाण्डेय कृषि मौसम वैज्ञानिक