दाग को बेदाग कर भेदभाव मिटाएंगे
जागरण संवाददाता, इटावा : कुष्ठ बहुत ही कम संक्रामक रोग है जो बैक्टीरिया के कारण होता
जागरण संवाददाता, इटावा : कुष्ठ बहुत ही कम संक्रामक रोग है जो बैक्टीरिया के कारण होता है। यह मुख्य रूप से चमड़ी एवं तंत्रिकाओं को प्रभावित करता है और धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। तीन वर्ष में पूरी तरह से लक्षण दिखाने लगते हैं। शुरुआत में कुष्ठ रोग का पता चल जाए तो इलाज के जरिए रोगी को अपंगता से बचाया जा सकता है। जनपद में 30 जनवरी को कुष्ठ निवारण दिवस मनाया जाएगा।
30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य कार्यकर्ता स्कूलों में छात्र-छात्राओं, मलिन बस्तियों और ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर कुष्ठ रोगियों के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव को समाप्त करने के संकेत दिए जाएंगे। साथ ही लक्षणों के प्रति जागरूक किया जाएगा। 15 से 28 फरवरी तक कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर रोगियों को खोजकर जांच की जाएगी। कुष्ठ रोग के लक्षण मिलने पर उनका उपचार किया जाएगा, ताकि समय से इलाज करा उन्हें दिव्यांगता से बचाया जा सके।
राष्ट्रीय कुष्ठ निवारण कार्यक्रम का उद्देश्य
- कुष्ठ रोग को प्राथमिक अवस्था में पहचान तुरंत उपचार कराना
- संक्रामक रोगियों का शीघ्र उपचार कर संक्रमण की रोकथाम
- नियमित उपचार द्वारा दिव्यांगता से बचाव
- विकृतियों का उपचार कर रोगियों को समाज का उपयोगी सदस्य बनाना ऐसे लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क
- त्वचा पर थोड़े लाल, गहरे या हल्के स्पॉट हों।
- यह स्पॉट या धब्बे सुन्न हो सकते हैं। यही नहीं त्वचा के प्रभावित हिस्से पर बाल भी झड़ने लगते हैं।
- हाथ, अंगुली या पैर की अंगुली का सुन्न होना।
- पलक झपकने में कमी आना। कुष्ठ रोग के प्रकार
पॉसीबैसिलरी : शरीर पर पांच धब्बों से कम धब्बे होते हैं, जहां त्वचा की संवेदना समाप्त हो जाती है।
मल्टीबैसिलरी : शरीर पर पांच धब्बों से अधिक धब्बे होते हैं और उस स्थान पर त्वचा की संवेदना समाप्त हो जाती है। पूरा शरीर प्रभावित होता है।
-------------
30 जनवरी को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में कुष्ठ दिवस पर शपथ दिलाई जाएगी। जनपद में 67 कुष्ठ रोगी हैं। नए रोगियों की खोज के लिए अभियान चलेगा।
- डॉ. राजेश यादव, जिला कुष्ठ अधिकारी