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एंबुलेंस एक---अब सैफई पुलिस ऑल इज वेल दिखाने में जुटी

संवादसूत्र ऊसराहर रोगी को कानपुर ले जाने के लिए पहले 15 फिर 70 हजार रुपये किराया

By JagranEdited By: Published: Tue, 11 May 2021 06:21 PM (IST)Updated: Tue, 11 May 2021 06:21 PM (IST)
एंबुलेंस एक---अब सैफई पुलिस ऑल इज वेल दिखाने में जुटी
एंबुलेंस एक---अब सैफई पुलिस ऑल इज वेल दिखाने में जुटी

संवादसूत्र, ऊसराहर : रोगी को कानपुर ले जाने के लिए पहले 15 फिर 70 हजार रुपये किराया मांगने तथा इसी जद्दोजहद में रोगी की मौत हो जाने के मामले में आईजी कानपुर द्वारा जांच के आदेश के बाद अब सैफई पुलिस सब कुछ आल इज वेल दिखाने मे जुटी हैं और तर्क दे रही है कि उस एंबुलेंस मे वेंटिलेटर नही था इसलिए वह मरीज नही ले गया। बीते रविवार की रात सैफई यूएमएस के गेट नंबर तीन के सामने खड़ी एंबुलेंस के संचालक ने साढ़े नौ बजे से रात साढ़े 11 बजे तक दो घंटे का समय केवल किराया बढ़ाने में निकाल दिया। तीमारदार विवेक गुप्ता व नरेंद्र गुप्ता ने बताया मैनपुरी से कानपुर जाने के लिए पंद्रह हजार किराया तय होने के बाद ही वह सैफई पहुंचे थे। संचालक ने उन्हें एंबुलेंस के अंदर ले जाकर दिखाया कि वेंटिलेटर ऑक्सीजन सहित अन्य सुविधाओं से लैस है लेकिन अब किराया 70 हजार लेगा। तीमारदार 40 हजार देने के तैयार भी हो गए क्योंकि उसका भाई तड़प रहा था पर जब संचालक तैयार नहीं हुआ तो विवेक भागकर सैफई थाने गया, जहां कार्यालय में बैठे दीवान ने यह कहकर टरका दिया कि निजी एंबुलेंस है पुलिस कुछ नहीं कर सकती है। थानाध्यक्ष को फोन करने के बाद पुलिस मौके पर पहुंचती है लेकिन पुलिस के सामने ही संचालक बाइक से भाग जाता है और पुलिस कुछ नहीं कर सकी। विवेक ने बताया इस बीच उनका दो घंटे का समय इसी आपाधापी में गुजर गया। लाख कोशिश के बाद भी उन्हे एंबुलेंस नहीं मिली और तब तक बीमारी से छटपटा रहे भाई उपनीस गुप्ता की मैनपुरी में मौत हो गई। इस तरह सही बता रही है सैफई पुलिस पूरे मामले में जब लोगों ने ट्विट किया तो एडीजी भानु भाष्कर तथा आईजी मोहित अग्रवाल ने जांच कर कार्रवाई से अवगत कराने के निर्देश सोमवार को दिए थे, पुलिस ने भी कोई आका नाराज न हो ऐसी जांच रिपोर्ट बना दी है। थानाध्यक्ष सैफई ने बताया ऐंबुलेंस में वेंटिलेटर जैसी सुविधाएं नहीं थीं मरीज का ऑक्सीजन लेबल बहुत ही गिरा हुआ था। एंबुलेंस संचालक ने 70 हजार नही मांगें। थानाध्यक्ष सैफई ने पूरी जांच प्रक्रिया में पीड़ित को एक बार भी नहीं पूछा कि उससे 70 हजार मांगे गए हैं या नहीं, क्या एंबुलेंस सुविधाओं से युक्त थी या नहीं, केवल सोमवार को एक बार फोन कर अपनी हमदर्दी जताई और एंबुलेंस की फोटो मांगी थी। जांच के नाम पर खानापूर्ति आखिर जिसका मरीज सांसों के लिए तड़प रहा है क्या वह झूठ बोल रहा है, जब तीमारदार विवेक ने ऐंबुलेंस का अंदर जाकर संसाधन देख लिए तभी वह 40 हजार रुपये देने को भी तैयार हो गया था। संचालक तो पुलिस को देखते ही भाग गया था फिर वह कैसे बता सकता है कि मरीज की उसी समय मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री से की जाएगी शिकायत एंबुलेंस के अभाव में तड़पते हुए उपनीस गुप्ता की मौत के मामले में अब उसका भाई विवेक मुख्यमंत्री से शिकायत करेगा, उसने बताया कि आखिरी उम्मीद के साथ पुलिस से गुहार लगाई कि न्याय मिले लेकिन वह तो खुद अपने को अच्छा दिखाने में लग गई, अब किसी और का भाई इस तरह तड़प कर जान न दे इसलिए इस प्रकरण से मुख्यमंत्री को अवगत कराकर उच्च स्तरीय जांच कराकर पुलिस और एंबुलेंस संचालकों के नेटवर्क के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी।

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