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इंटर्न छात्रों का धरना जारी, कुलपति को सौंपी गई जांच रिपोर्ट

इंटर्न छात्रों का धरना जारी कुलपति को सौंपी गई जांच रिपोर्ट

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 08:09 PM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 08:09 PM (IST)
इंटर्न छात्रों का धरना जारी, कुलपति को सौंपी गई जांच रिपोर्ट
इंटर्न छात्रों का धरना जारी, कुलपति को सौंपी गई जांच रिपोर्ट

इंटर्न छात्रों का धरना जारी, कुलपति को सौंपी गई जांच रिपोर्ट

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संवाद सहयोगी, सैफई : उप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के इंटर्न छात्र-छात्राओं का धरना प्रदर्शन तीसरे दिन भी प्रशासनिक भवन के अंदर जारी रहा। दोपहर बाद इंटर्न छात्रों ने एसडीएम ज्योत्सना बंधु से मुलाकात की और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। दूसरी तरफ कुलपति द्वारा गठित की गई जांच कमेटी ने छात्र-छात्राओं को समझाने का प्रयास किया और बताया कि अपनी रिपोर्ट कुलपति को सौंप दी है।

विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग में कार्यरत नान पीजी डा. विजय भदौरिया पुत्र डा. राजीव सिंह भदौरिया निवासी किशनी थाना मैनपुरी के बड़े भाई डा. अजय भदौरिया ने सैफई थाने बीते सोमवार को 2016 बैच के इंटर्नशिप छात्र कुलदीप वर्मा एवं तीन अज्ञात के के खिलाफ उनके छोटे भाई को हास्टल के प्रथम तल से नीचे फेंकने का आरोप लागते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। जिसके चलते बुधवार से गुस्साये इंटर्न छात्र-छात्रा बैनर पोस्टर लेकर प्रशासनिक भवन के लिए अंदर धरने पर बैठ गए थे। विश्वविद्यालय प्रशासन एवं स्थानीय प्रशासन पर मदद न करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राजनीतिक दबाव के चलते इंटर्न की बात नहीं सुनी जा रही है और न ही उनकी थाने में रिपोर्ट लिखी जा रही है। राजनीतिक दबाव के चलते उनके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। जबकि सच्चाई यह है कि डा. विजय भदौरिया खुद नशे में कूदे हैं। उनका महिला इंटर्न के साथ गलत तरीके से व्यवहार रहा है।

इन मांगों पर डटे इंटर्न छात्र-छात्राएं

मुकदमे को तत्काल वापस लिया जाए। आरोपित डा. विजय भदौरिया व डा. निहारिका को संस्थान से तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया जाए। संस्थान में महिला सहायता केंद्र की स्थापना कराई जाए। महिला एवं छात्रों की सुरक्षा हित संस्थान में सीसीटीवी कैमरा लगाए जाएं तथा संस्थान में सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। नान पीजी जूनियर रेजिडेंट की भर्ती जांच करके की जाए एवं स्थानीय प्राइवेट कालेज से आए डाक्टरों को वरीयता न दी जाए। संस्थान एवं छात्रावास में स्थानीय लोगों का प्रवेश बंद किया जाए।


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