दूसरे दिन भी कई कछुए मरे मिले, वन विभाग की टीम करेगी गश्त
संवादसूत्र ऊसराहार सरसईनावर झील में दूसरे दिन भी कई कछुओं की मौत हो गई। सर्च के ब
संवादसूत्र, ऊसराहार : सरसईनावर झील में दूसरे दिन भी कई कछुओं की मौत हो गई। सर्च के बाद दूसरे दिन झील पर जगह-जगह कई कछुए मरे मिले। अब वन विभाग की टीम हर दो घंटे में झील पर गश्त करेगी।
मंगलवार को भारी संख्या में हुई कछुओं की मौत के बाद बुधवार को फिर तमाम कछुए झील में मरे पड़े मिले। जनहित कल्याण समिति के अध्यक्ष तिलक सिंह शाक्य बुधवार को जब झील पर पहुंचे तो झील पर जगह-जगह कई कछुए मरे पड़े थे। ऊसराहार निवासी बलराम यादव ने बताया कि उन्होंने बुधवार को झील में कई कछुए मरे हुए देखे जिसके बाद जानकारी रेंजर प्रबल प्रताप सिंह को दी गई। वहीं लगातार दो दिन में हुई तमाम कछुओं की मौत के बाद वन विभाग हरकत में आया है। झील की निगरानी के लिए दो टीमें गठित की गई हैं। हर दो घंटे में पांच सदस्यों की टीम झील पर गश्त करेगी।
मंगलवार को सरसईनावर झील में भारी संख्या में कछुओं के मरने के बाद वन विभाग की टीम ने 13 कछुओं का पोस्टमार्टम कराया है। मौत का असली कारण तो रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन झील में बाकी कछुओं को सुरक्षित रखा जा सके इसके लिए वन विभाग की पूरी टीम लग गई है। रेंजर प्रबल प्रताप सिंह ने बताया झील में 11 तारीख को लगभग 1300 कछुए छोड़े गए थे। यह कछुए कानपुर क्षेत्र में तस्करों से बरामद किए गए थे। हो सकता है इन तस्करों ने काफी समय तक कछुओं को अपने पास उन्हे बोरों मे भरकर रखा हो जिसके कारण कुछ कछुओं की हालत खराब हो गई हो और पानी में पहुंचने के बाद दम तोड़ दिया हो। झील के पानी को भी जांच के लिए भेजा जा रहा, सभी विदुओं पर जांच की जा रही है। फिलहाल प्राथमिकता यह है कि झील में बाकी कछुए सुरक्षित रहें इसके लिए दो टीमें बना दी गई हैं एक टीम वीट प्रभारी के नेतृत्व मे पांच सदस्यों की है जिसमें झील पर तैनात तीन कर्मचारियों को शामिल किया गया है जो हर दो घंटे में झील का निरीक्षण करेंगे और कछुओं की हालत पर नजर रखेंगे। दूसरी टीम में वह स्वयं लगातार झील पर नजर बनाए हुए हैं और मौके का निरीक्षण भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया जिन कछुओं की मौत हुई है वह सभी सुंदरी प्रजाति के हैं।
डीएफओ राजेश वर्मा ने बताया कि कछुओं का पोस्टमार्टम इटावा में ही कराया गया है। मौत का एक कारण तस्करों द्वारा कछुओं को काफी समय तक बोरों में भरकर रखना हो सकता है जिसके कारण दम घुटने से कछुओं की मौत हो गई।