जेल में मारा गया था कानपुर का कुख्यात मोनू पहाड़ी
जागरण संवाददाता इटावा पिछले साल एक अप्रैल की देर शाम जेल में हुए बवाल के दौरान कानपुर
जागरण संवाददाता, इटावा : पिछले वर्ष एक अप्रैल की देर शाम जेल में हुए बवाल के दौरान कानपुर के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर मोनू पहाड़ी की मारपीट में मौत होने पर जेल प्रशासन पर हत्या कराने का आरोप लगा था, लेकिन जांच में पूरा मामला साफ कर दिया गया था कि जेल में दो गुटों में संघर्ष होने से मोनू पहाड़ी की मारपीट से मौत हुई थी।
पहाड़ी की मौत होने पर उसका बहनोई जीशान अपनी पत्नी, भाई परवेज व मोनू की भाभी और परवेज का पुत्र नौशाद के साथ आया था। मोनू पहाड़ी का शव देखने के बाद जीशान ने बताया था कि करीब दो माह मोनू पेशी के लिए कानपुर न्यायालय आया था, उस दिन मोनू ने अपनी मां शहनाज से जेल में हत्या किए जाने की आशंका प्रकट की थी। मोनू का परिवार मुंबई में रहता है। इस बवाल ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिए थे। उस समय उच्चाधिकारियों ने सुरक्षा के तहत कई उपकरण और आधुनिक संसाधन जल्द उपलब्ध कराने के दावे किए थे। सभी दावे हवा-हवाई साबित हुए जेल के अंदर हालात वही हैं जो पूर्व में बरकरार थे। दूसरी ओर करीब पौने तीन अरब रुपये की लागत से बीते पांच माह से दो हजार कैदियों-बंदियों को रखने वाली नई जेल का अभी तक उद्घाटन नहीं किया गया। लगता है कि अब जेल में बंदियों और कैदियों का जीवन सुरक्षित नहीं है।
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डीएम एसएसपी ने निरीक्षण किया
- चित्रकूट की घटना को लेकर जिलाधिकारी श्रुति सिंह व एसएसपी डॉ. बृजेश कुमार सिंह ने जेल का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान सब कुछ सही पाया गया। जेल के अधिकारियों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। बंदियों की लगातार चेकिग करने को कहा गया है।