श्रावण मास में शिव पूजा देती है समृद्धि
सावन का महीना देवों के देव महादेव के सभी भक्तों के लिए किसी बड़े त्योहार से कम नहीं होता
सावन का महीना देवों के देव महादेव के सभी भक्तों के लिए किसी बड़े त्योहार से कम नहीं होता है, देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी शिवभक्त इस पवित्र मास में आने वाले हर सोमवार के दिन भोलेनाथ की विशेष पूजा आराधना करते हैं। पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले हर वर्ष के पांचवें महीने में ही श्रावण मास आता है जबकि अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार हर वर्ष सावन का महीना जुलाई या अगस्त में पड़ता है। भक्त अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस माह के प्रत्येक सोमवार का व्रत भी सच्ची श्रृद्धा से करते हैं। श्रावण मास में की जाने वाली शिव पूजा अभीष्ट मनोरथ, आरोग्य और समृद्धि प्रदान करने वाली होती है। सोमवार को किया जाने वाला पूजन महान दारिद्रय का नाश करता है। वर्तमान में देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व कोरोना के संकट से गुजर रहा है। इस व्याधि से बचने के लिए भी शिव पूजा का विशेष महत्व है। आयु के लिए दुर्वा से, पुत्र के लिए धतूरे से, मोक्ष के लिए शमी के पत्तों से तथा समस्त कामनाओं हेतु विल्वपत्रों से शिव पूजन करना चाहिए। तुलसीदल से किया गया शिव पूजन भोग और मोक्ष प्रदान करता है। वाहन सुख के लिए चमेली के पुष्प से, पत्नी पानी के लिए बेला के पुष्प से, सुख संपत्ति हेतु हरसिगार के पुष्प से, शत्रुओं के नाश के लिए राइ के पुष्प से शिव पूजन करना चाहिए। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए अखंडित चावल, वंश बढ़ाने के लिए घी की धारा, कलह निवारण के लिए दूध की धारा, शत्रु नाश के लिए सरसों के तेल की धारा, काम सुख तथा भोग के लिए इत्र धारा, आनन्द की प्राप्ति के लिए गन्ने के रस की धारा, समस्त कामना के लिए गंगाजल धारा भगवान शिव को अर्पित करनी चाहिए।
संतोष कुमार
महावीर नगर, भरथना