एंबुलेंस एक---70 हजार रुपये किराया सुन मरीज ने तोड़ा दम
संवादसूत्र ऊसराहार कोरोना की दूसरी तीव्र लहर से आम जनमानस त्रहिमाम-त्राहिमाम कर रहा
संवादसूत्र, ऊसराहार : कोरोना की दूसरी तीव्र लहर से आम जनमानस त्रहिमाम-त्राहिमाम कर रहा है, ऐसे में जमाखोर और मानवता के दुश्मन बने एंबुलेंस संचालक मोटी कमाई के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसका दर्दनाक ²श्य उस समय देखने को मिला जब सैफई से कानपुर जाने के लिए मरीज की विवशता देख उसके स्वजन से 70 हजार रुपये किराया मांगा। किराया कम करने को लेकर जद्दोजहद होने के दौरान मरीज ने दम तोड़ दिया। अगर समय से यह मरीज कानपुर पहुंच जाता तो शायद उसकी जान बच जाती। शिकायत होने पर एडीजी जोन तथा आइजी कानपुर ने मामले की जांच पुलिस को सौंपी। धरातल पर हकीकत यह है कि लालची और जमाखोर डीएम के आदेशों की कतई परवाह नहीं कर रहे हैं, ऐसे लोगों को पुलिस का भी संरक्षण मिला हुआ है। सैफई में हालात कुछ ज्यादा ही बदहाल हैं जहां मरीजों और तीमारदारों की जमकर लूट हो रही है। ऊसराहार निवासी उपनीस गुप्ता की बीते 26 अप्रैल को हुई जांच में कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी हालत खराब होने पर मैनपुरी एक अस्पताल में भर्ती कराया था। अचानक तबियत बिगड़ने पर उपनीस के स्वजन ने कानपुर के निजी नर्सिग होम से। संपर्क किया। मरीज ले जाने के लिए मैनपुरी एंबुलेंस नही मिली तो फोन पर सैफई स्थित एंबुलेंस सेंटर पर फोन किया तो उसने मैनपुरी से कानपुर ले जाने के लिए 15 हजार रुपए किराया तय किया और आधा किराया पहले जमा करने के लिए सैफई यूएमएस के गेट के पास बुला लिया। उपनीस के स्वजन विवेक गुप्ता तथा नरेंद्र गुप्ता सैफई पहुंचे तो एंबुलेंस तो उसे मिल गई लेकिन उसके चालक ने मजबूरी का फायदा उठाते हुए कानपुर जाने के लिए 70 हजार किराए की मांग कर दी। दोनों ने मजबूरी में मरीज को ले जाने के लिए 40 हजार रुपए देने तक को तैयार हो गए लेकिन चालक का दिल नहीं पसीजा, यह जानकारी मरीज को हुई तो उसे काफी सदमा लगा जिसने थोड़ी ही देर में छटपटाते हुए दम तोड़ दिया। थाना से पीड़ितों को टहलाया दोनों पीड़ित विवेक गुप्ता व नरेंद्र गुप्ता का कहना कि एंबुलेंस संचालक के खिलाफ कार्रवाई के लिए सैफई थाने पहुंचे लेकिन कार्यालय मे बैठे सिपाहियों ने उन्हें टरका दिया। मदद के लिए जिलाधिकारी के नंबर पर रात में ही कॉल की लेकिन उनका भी नंबर नहीं उठा तो कुछ पत्रकारों को रात में फोन कर अपनी व्यथा बताई जिसके बाद एक रिपोर्टर ने सैफई थानाध्यक्ष को फोन कर मदद करने के लिए अनुरोध किया तो मोबाइल पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन तब तक संचालक गायब हो गया। इससे स्पष्ट है कि पुलिस का एंबुलेंस संचालकों को संरक्षण प्राप्त है और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी आम पीड़ितों की बात भी नहीं सुन रहे हैं। शासन-प्रशासन बुरी तरह फेल कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष उदयभान सिंह ने जिलाधिकारी द्वारा एंबुलेंस किराया तय किए जाने के बाद भी एंबुलेंस संचालक मनमाना किराया वसूल रहे हैं। दवाइयों की ही नहीं अपितु खाद्यान्न वस्तुओं और तेल की व्यापक पैमाने पर कालाबाजारी हो रही है। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश का शासन-प्रशासन बुरी तरह फेल है जो अंधेर नगरी-चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है। ट्विट होने पर जांच के आदेश सोमवार को जब उपनीस का शव ऊसराहार पहुंचा तो हर व्यक्ति के अंदर एंबुलेंस संचालक द्वारा किए गए दुर्व्यवहार से आक्रोश था। रजनीश मिश्रा जिला सह संयोजक बजरंग दल ने ट्विट कर लिखा आपदा में अवसर की तलाश में एंबुलेंस चालक ने पहले 15 हजार और फिर 70 हजार किराया मांगा, इसी आपा-धापी में मरीज तक की मौत हो गई, उन्होंने कार्रवाई की मांग भी की। उनकी पोस्ट पर एडीजी जोन भानु भाष्कर, आईजी रेंज कानपुर मोहित अग्रवाल ने इटावा पुलिस को कार्रवाई कर अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।